दास्तान इश्क़ की (भाग -11)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…

ओम ठाकुर आदित्य को बता देता है कि उसने राधिका को उठवा लिया था…

देवेंद्र जी गाड़ी को प्रीतमपुरा तक ले आते है और एक रेस्टुरेंट में जा कर उन्हें आदित्य को call करने का मौका मिल जाता है ..

अब आगे….

देवेंद्र जी ने मैनेजर से कहा  – आप राजीव को लोकेशन भेज दीजिए..

जी सर ,. ..आप बैठिए

मैनेजर ने राजीव को लोकेशन भेजी….. राजीव ने आदित्य को और बाक़ी सबको लोकेशन भेज दी…. आदित्य तुरंत गाड़ी ले कर लोकेशन की तरफ बढ़ गया …

मैनेजर ने देवेंद्र जी से कहा –  सर आप बैठिए… मैं आपके लिए खाने का अरेंजमेंट देखता हूँ..

देवेंद्र जी ने हाँ कहा और शीतल और राधिका के साथ जा कर अंदर बने हुए केबिन में बैठ गए

राधिका ने देवेंद्र जी से कहा – ताऊजी आपने कुंवर को फोन करने के लिए क्यों कहा.. अब देखना आप वो हम सबको अपने साथ ले जायेंगे

लाडो देख लिया ना आपने कि कुंवर के अपने ही उनके दुश्मन है …अभी तो आप एक से मिली है….. कुंवर तो घिरे हुए है इन सबसे….. इसीलिए वो आपसे हुयी शादी को किसी को बता नही रहे थे.,. ना ही उन्होंने आपसे किशनगढ़ आने की आपसे ज़िद की….. वो तो ख़ामोशी से आपकी

हिफाज़त कर रहे थे आपने ही उनको कहा गार्ड्स को हटाने के लिए और ….

हाँ सारी ग़लती मेरी ही है ताऊजी….. मैं देख रही हूँ जब से कुंवर ने हमसे शादी की है तब से आप हमारे ताऊजी कम और उनके ताऊजी ज़्यादा हो गए हैं कह कर राधिका ने शीतल को गले से लगा लिया

शीतल मुस्कुरा दी और बोली – वैसे आपने बहुत बहादुरी दिखायी

हाँ बस सोचा बहुत दिनों से किसी को पीटा नहीं है दो चार पीट लें और राधिका हँसने लगी

लाडो अभी आपने एक बात सही कही

क्या ताऊजी??

कुंवर और आपकी शादी वाली… तो आप मान गयी कि आपकी शादी हुयी है??

नहीं ताऊजी वो तो ऐसे ही राधिका आगे कुछ बोलती तब तक मैनेजर ने दरवाजे पर knock किया और अंदर आ गया उसके साथ वेटर थे और उनके हाथों में खाने की ट्रे… उन्होंने  सबको खाना परोसा और चले गए….. मैनेजर ने कहा – सर आप शुरू कीजिए बाक़ी कुछ चाहिए तो बता दीजिए

देवेंद्र जी ने कहा नहीं ये सब काफी है आप बैठे कुछ होगा तो हम बोल देंगे

जी कह कर मैनेजर वहाँ से चला गया

थोड़ी देर में सबने खाना खा लिया था……

मैनेजर ने आ कर कहा – सर आप थोड़ा रेस्ट करें तब तक कुंवर भी आ जायेंगे

देवेंद्र जी ने शीतल और राधिका की तरफ देखा तो दोनों ने हाँ कहा

देवेंद्र जी मैनेजर के साथ रूम्स की तरफ चले गए…

आदित्य, राघव और भुवन एक ही गाड़ी में थे,,,,भुवन काफी स्पीड से गाड़ी चला रहा था… आदित्य बेचैनी से बार – बार घड़ी की तरफ देख रहा था

उसने भुवन से कहा – भुवन अभी कितनी और देर? भुवन ने मैप देखते हुए कहा सर बस एक घंटा और… एक घंटा आदित्य ने थोड़ा तेज़ हो कर बोला

राघव ने आदित्य की तरफ देख कर बोला 60 मिनट….. अब शांत हो और भुवन को गाड़ी चलाने दो |

आदित्य मूँह बना कर खिड़की से बाहर देखने लगा…. राघव भुवन को देखकर मुस्कुरा दिया !!

देवेंद्र जी थके हुए थी… वो लेटते ही सो गए……शीतल और राधिका दूसरे कमरे में थे…..राधिका शीतल का हाथ पकड़े हुए लेटी हुयी थी…

एक घंटे बाद भुवन ने गाड़ी रेस्टुरेंट के सामने पार्क की…. बाक़ी सभी गाडियाँ भी आ गयी थी….. सभी गार्ड्स उस रेस्टुरेंट को घेर कर खड़े हो गए

मैनेजर ने जब आदित्य को देखा तो भाग कर उसके पास गया

हैलो सर…..कहाँ हैं सब? आदित्य ने पूछा

सर वो लोग रूम में हैं रेस्ट कर रहे हैं

ठीक है हम इंतज़ार कर लेते है उनके उठने का …

सर आप यहाँ अंदर आइए… मैं कुछ सर्व करवाता हूँ आपके लिए…आदित्य , राघव और भुवन अंदर रेस्टुरेंट में चले गए

दस मिनट बाद आदित्य अपनी जगह से उठा और बाहर आ गया …. वो बेचैन होकर इधर उधर घूम रहा था…. राघव और भुवन उसे ऐसे देख कर मुस्कुरा रहे थे

आदित्य कभी अंदर की तरफ आ जाता और कभी बाहर की तरफ जा कर घूमने लगता..,.

लगभग एक घंटे बाद देवेंद्र जी आए….

आदित्य ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए

कैसे है आप ताऊजी ??

हम ठीक हैं कुंवर

ओम ठाकुर का फोन आया था बताया उन्होंने कि आपको उन्होंने ही रास्ते में से….

हाँ…. ओम ठाकुर ने ही किया और विक्रम ने….. लेकिन राधिका ने उसे बहुत मारा और हम सबको को वहाँ से निकाल कर ले आयी…

राघव ने कहा -“भाभी ने मारा उस विक्रम

को  ?? भाभी तो कितनी निज़ुक सी दिखती हैं “

हाँ ….राघव वो ऐसी ही है दिखने में नाज़ुक सी लेकिन जब मारने पर आती है तो उस से जीतना लगभग नामुमकिन है  ….. देखना कभी आपसे ना उलझ बैठे…देवेंद्र जी कहते हुए मुस्कुरा रहे थे

आदित्य देवेंद्र जी की बात सुनकर बस मुस्कुरा रहा था

तभी शीतल और राधिका आती हुयी दिखायी दी

आदित्य ने जब राधिका को देखा  तो बिना कुछ सोचे उसकी तरफ दौड़ कर गया और उसे गले से लगा लिया….. आदित्य राधिका को गले से लगाकर बड़े सुकून से खड़ा हुआ था… राधिका उसके ऐसे गले लगने से असहज महसूस कर रह थी

आदित्य ने पूछा – आप ठीक हैं ना…. उस विक्रम ने आपको कुछ किया तो नही.. आपको लगी तो नहीं…. पता हमारी जान निकाल गयी थी जब ओम ठाकुर ने हमें बताया कि उन्होंने आपको किडनेप कर लिया है

कुंवर हम ठीक है..,… आप हमें छोड़े देखिये सब देख रहे..,

आदित्य ने राधिका की आवाज़ सुनकर उसे अपने से अलग किया…… बाक़ी सब उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे

आदित्य ने शीतल को देखा और पूछा कैसी हैं आप…

हम बिल्कुल ठीक हैं कुंवर…

राघव राधिका के पास आया और बोला – भाभी आप तो बहुत बहादुर है … अपने विक्रम का मारा वाह मज़ा ही आ गया सुनकर….. राधिका बस उसकी बात पर मुस्कुरा दी

भुवन थोड़ा दूर खड़ा था….. वो सबके पास आया और बोला माफ कर दें हमें ये सब हमारी वजह से हुआ है…

देवेंद्र जी ने कहा इसमें आपकी कोई गलती नही है भुवन इसलिए माफ़ी मांगने की ज़रूरत नही है

ताऊजी अगर ठाकुराइन को कुछ हो जाता तो?

हम इतने भी कमज़ोर नहीं है भुवन जी

और आप अपने को कुसूरवार मत ठेहरायें

भुवन ने राधिका के हाथ जोड़ लिए

अब चलें…. वैसे भी शाम हो गयी है राघव ने कहा

हाँ…. और हम सब किशनगढ़ चल रहे है – देवेंद्र जी ने कहा

राधिका ने उनकी तरफ देखा

राधिका देखो हम आपकी बात समझते है…. लेकिन अब आपने देख लिया ना कि लोग किस तरह के हैं…. आज तो सिर्फ एक ही से लड़ा आपने सोचिये अगर और होते तो क्या होता….. आपकी किस्मत अब कुंवर के साथ है… और अब हम आपकी ज़िंदगी को खतरे में नहीं दाल सकते |

राधिका ने कुछ कहना ठीक नही समझा और उसे भी लगा कि देवेंद्र जी ठीक कह रहे है….

उसने कहा – हम चलेंगे लेकिन एक शर्त पर

कि आप दोनों भी हमारे साथ वहीं रहेंगे क्योंकि खतरा अगर हमको है तो आपको भी है…. अगर आपको मंजूर है तो ?

और कुंवर को कोई एतराज़ ना हो तो?

हमें क्यों एतराज़ होगा हम तो वैसे भी अब अकेले ही रहते है….

तो चलें फिर

सब गाड़ी में बैठ गए…… आदित्य,राधिका , शीतल और भुवन एक गाड़ी में थे….

राघव देवेंद्र जी राजीव और बाक़ी गार्ड्स के साथ मेनेजर को थैंक्स बोल कर सब लोग किशनगढ़ के लिए निकाल गए….

आदित्य खुश था क्योंकि राधिका अब उसके घर में रहेगी…. राधिका खुश थी क्योंकि उसकी माँ और ताऊजी उसके ही साथ रहेंगे

वीर प्रताप जी को राघव ने फोन करके सब बता दिया था |

सब लोग किशनगढ़ आ गए थे…… वीर प्रताप जी रुपाली के साथ दरवाज़े पर ही सबका इंतज़ार कर रहे थे……

देवेंद्र जी शीतल और राधिका को सही सलामत देख कर उन्हें बहुत तसल्ली हुयी

रुपाली ने आदित्य और राधिका की नज़र उतरी और सब अंदर आ गए !!

रुपाली ने सबके लिए चाय बनवाई और सब वहीं बैठ गए……

वीरप्रताप जी  ने  कहा – ओम ने बहुत नीच हरक़त की है…

अरे पापा उन्होंने जो किया सो किया…. भाभी ने विक्रम को मारा और ताऊजी और ऑन्टी को बचा कर ले आयी…. मैं तो फैन हो गया इनका

हाँ …..बेटा आपने बहुत बहादुरी दिखायी गर्व है हमें कि आप आदित्य की जीवन संगिनी हो

राधिका बस मुस्कुरा रही थी…. आदित्य उसे ही देख रहा था..

सबने चाय पी और रात को खाने पर आने का कह कर कमरे में चले गए…

राधिका कमरे में बैठी कुछ सोच रही थी….. क्या हुआ राधिका?

“वो माँ हम इन सबमें कावेरी को भूल ही गए वो अगर हमें फोन कर रही होगी तो…. बहुत परेशान होगी क्योंकि आपका भी फोन नही है “

“फोन तो लेना होगा राधिका क्योंकि उसके बिना तो काम नहीं चलेगा…. भाईसाहब के लिए भी फोन लेना होगा “

“माँ हमें यहाँ के मार्केट बारे में तो कुछ पता नही है और online फोन लेने के लिए फोन चाहिए “

और माँ हमें हमारे कपड़े भी  चाहिए….और भी हमारा ज़रूरी सामान जो वहीं पर है  अब यहीं रहना है तो सामान लगेगा ही एक बार हमें रायपुर तो जाना ही होगा “

“आप फ्रेश हो जाए फिर कुंवर से बात कर लें ….. देखते हैं वो क्या कहते है “

“मैं बात करूँ….. आप क्यों नही ? “

“क्योंकि कुंवर आपकी बात सुनेंगे…. “

“आपकी नही सुनेंगे?? “

“सुनेंगे…. लेकिन वो कोई बहाना भी तो बना सकते है कि आप यही से कपड़े ले लो…. या थोड़े दिन बाद चलेंगे “

ठीक है कहते हुए राधिका तकिये पर सिर रख कर लेट गयी

तो जाओ….

अभी….

हाँ…. फोन तो चाहिए ही ना राधिका चलो बाक़ी तो बाद में भी आ जायेगा सामान  क्यों नहीं चाहिए फोन???

हाँ चाहिए तो….. ठीक है जाती हूँ

राधिका जाने लगी तो पीछे से शीतल मुस्कुरा कर उसे जाते हुए देख रही थी…

राधिका आदित्य के कमरे के बाहर पहुँची तो देखा कमरा बंद था…. राधिका ने मन में सोचा अभी तो यहीं थे कहाँ चले गए … उसने घर में काम कर रहे एक नौकर से पूछा – कुंवर कहाँ है?

जी वो तो स्टैडी रूम में हैं

कहाँ है स्टैडी रूम? 

जी वो उसने एक कमरे की तरफ इशारा कर के बताया

राधिका उस कमरे कि तरफ बढ़ गयी उसने हल्के से दरवाज़ा खोला और अंदर चली गयी….

उसने देखा आदित्य सिर कुर्सी पर टिकाए हुए आँखे बंद किये हुए एक हाथ से अपना सिर दबा रहा था….. कमरे में आहट हुयी तो उसने सोचा नौकर होगा वो वैसे ही बोला – शंभु ज़रा दवा दे देना सिर दर्द की

राधिका धीरे से उसके पीछे गयी और उसका सिर दबाने लगी…… आदित्य  ने आँखे खोल कर देखा तो बोला – क्या हुआ आप यहाँ?

हाँ कुछ काम था आपसे

कहें? अच्छा पहले आप ज़रा हमें दवा दें दे हम आपकी बात फिर सुनेंगे…..

राधिका ने आदित्य का दवा दी… जब राधिका वापस से उसका सिर दबाने जाने लगी तो आदित्य ने उसका हाथ अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी गोद में बैठा लिया….

ये क्या कर रहे हैं आप कुंवर छोड़ दीजिए हमें …

नहीं…. आप ऐसे ही अपनी बात कहें हम सुन रहें हैं…

अरे…. ऐसे मैं कैसे बात करूँ कुंवर छोड़िये कोई आ जायेगा

कोई नही आयेगा…आप कहें हम फिर आपको छोड़ देंगे…..आदित्य ने कह कर अपनी दोनों बाहें उसकी कमर में डाल दी

कुंवर…. ये…

क्या ये…… ???

कुंवर… हमें ये कहना था कि हमें फोन चाहिए था और अब हम यहाँ रहने वाले हैं तो हमारा ज़रूरी सामान जो भी रायपुर में हैं वो भी चाहिए था…

आदित्य राधिका को एकटक देखे जा रहा था..

राधिका ने फिर कहा – कुंवर

हाँ…. बोले

क्या बोले??? अपने सुना हमने क्या कहा

बिल्कुल सुना

तो बस हमें यही चाहिए

और इसके बदले हमें क्या मिलेगा?

क्या मतलब???

मतलब ये कि हम आपको सब ला देंगे तो उसके बदले हमें क्या मिलेगा

राधिका ने उसके हाथों को अपनी कमर से अलग किया और खड़ी हो गयी….

क्या चाहिए आपको?

जो मांगेंगे मिलेगा….? आदित्य ने उसके नजदीक आते हुए कहा

हम्म ….अगर हम दे सके तो?

एक शाम चाहिए आपके साथ… मिलेगी ?

राधिका ने आदित्य की तरफ देखा जो बड़े प्यार सेउसे ही देख रहा था

राधिका ने अपनी पलकों को नीचे किया हाँ में सिर हिलाया और कमरे में से चली गयी….

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग पसंद आया होगा… जल्दी ही मिलूँगी नये भाग के साथ….

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -12)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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