दास्तान इश्क़ की (भाग -10)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…..

राधिका ओम ठाकुर , विक्रम और उसके लोगो को बंद करके देवेंद्र जी और शीतल के साथ गाड़ी में चली जाती है…

अब आगे…..

ओम ठाकुर ने विक्रम को उठाया और कुर्सी पर बिठा दिया…. विक्रम अभी भी अपने पेट पर हाथ रखे हुए था…

मालिक हम जाए क्या पीछे उनके?? उनमें से एक ने पूछा

चुप एकदम चुप …. उस  लड़की ने हमारे इतने बड़े 6 फुट के लड़के को मारा और ये कुछ नही कर सके ….और  तो और बाक़ी सारे ये हमारे लोग जो दिन रात लड़ते है उनको भी बेबस कर दिया… …. ओम ठाकुर गुस्से में बोले

वाह!! ओम ठाकुर क्या लोग रखे है तुमने वो ज़ोर -ज़ोर से तालियाँ बजा कर हँसने लगा

सब ओम ठाकुर की तरफ देख रहे थे उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था

ओम ठाकुर एकदम से हँसते – हँसते रुक गया.,.. और बोला

अब क्या यहीं रहने का इरादा है जाओ खोलो दरवाज़ा या उसके लिए कोई महूर्त निकलवाए हम

एक आदमी ने जा कर दरवाज़े को तीन चार धक्का मारा तो दरवाज़ा खुल गया

चलें मालिक….

ओम ठाकुर विक्रम को पकड़े हुए बाहर आ गया…

उसने कहा शेरा…. डॉक्टर को बुलाओ दिखाए ज़र हम अपने नाजुक बेटे को ..

राधिका रास्ते में देखती जा रही थी… उसने देखा एक माइलस्टोन पर प्रीतमपुरा 15 km लिखा हुआ था…उसने कहा ताऊजी प्रीतमपुरा है यहाँ से 15 किलोमीटर है… वहाँ देखते है कुछ पता चलेगा पूछ कर कि आगे किस तरफ जाना है

“ठीक है लाडो “

“आप थक गए हो तो हम चला लें गाड़ी… “

“नही अभी तो हम चला रहे है जब लगेगा तो दे देंगे आपको “

ठीक है

उधर आदित्य राधिका, देवेंद्र जी और शीतल को बार – बार call करके थक गया था…. उसने भुवन से कहा….अपने आदमियों  को चारों तरफ जाने का बोलो कुछ नही होना चाहिए किसी को भी मुझे वो तीनों सही सलामत चाहिए

जी… भुवन ने कहा

तभी आदित्य का फोन बजा उसने देखा तो  unknown नंबर से call था उसने पिक

किया और बोला

हैलो…

कैसे हो आदित्य?

कौन?

अरे हम ओम ठाकुर बोल रहे है

आप… आपने मुझे फोन क्यों किया ?

अरे… आपने शादी कर ली और हमें बताया भी नही… उदय भाईसाहब ना सही हम तो हैं अभी घर के बड़े…

मैं आपसे बात नही करना चाहता…. ना ही कुछ सुनना चाहता हूँ

बहुरानी के बारे में भी नही सुनना चाहते?

बहुरानी  ??

हाँ…. नहीं सुनना चाहते  ?

आपको कैसे ???आदित्य इतना ही बोल पाया था

वो सब रहने दो हमें कैसे पता चला किसने बताया..अभी ये सब बातों के लिए टाइम नही है ….. ढूँढ रहे हो ना बहुरानी को?

कहाँ है वो – आदित्य चिल्लाते हुए बोला

अगर कुछ भी हुआ ना उन तीनों मे से किसी को तो मैं जिंदा नही छोडूंगा आप में से किसी को भी …

राघव ने उसके कंधे पर हाथ रख कर शांत होने को बोला

और इशारे से फोन को स्पीकर पर करने को बोला  ” हमने उन सबको रास्ते मे  उठवा लिया था और सब वैसा हुआ भी जैसा हम चाह रहे थे…. लेकिन बहुरानी…. ओम ठाकुर इतना कह कर रुक गया

हैलो हैलो …आदित्य ने कहा..मुझे कुछ सुनायी नही दे रहा हैलो

ओम ठाकुर ने फिर कहा  – बहुरानी

क्या ?? आगे बोलेंगे आप?

बहुरानी देवेंद्र जी और शीतल जी को हमारी क़ैद से निकाल कर लेकर कहीं चली गयी

चली गयी  ??? कहाँ

पता नहीं… अब आप ढूँढ लो हमने इसलिए बता दिया कि बाद बहुरानी बताए तो आप ये ना कहे कि हमने बताया नही था …….वैसे आपके दुश्मन भी तो बहुत है क्या पता उनमें से किसी को ये पता चल गया हो कि आप ने शादी कर ली है तो……..अच्छा खुश रहिए 

जो हम आपको रहने नही देंगे ये बात ओम ठाकुर ने मन मे ही कही थी

ओम ठाकुर के फोन कट करते ही आदित्य ने राघव से कहा – “फोन करो भुवन को और  सब बताओ … हम तब तक कमिशनर साहब को फोन करके घर आने को बोलते हैं… और चलो तुम भी “

आदित्य राघव के साथ वापस आ गया कमिशनर साहब भी अपनी थोड़ी सी फोर्स के साथ आदित्य के घर आ गए थे… वीर प्रताप जी को राघव ने फोन कर के बताया तो वो भी आ गए…. भुवन भी बाक़ी लोगो के साथ आ गया था

कमिशनर साहब ने कहा – ठाकुर साहब आप चिंता ना करें इस एरिया में ठाकुराइन हैं तो हमें पता चल जायेगा…. सब जगह सी.सी टीवी  लगे है…. बस हमें आप ये बताए कि वो सब यहाँ से निकले कितने बजे ..

राघव ने कहा – यही कोई 10 बजे करीब

कमिशनर साहब ने अपने ऑफिसर में से एक को बुलाया और कहा – किसी बोलो जहाँ तक भुवन साथ में थे उसके आगे और आस- पास जीतने गाँव या शहर हैं वहाँ जीतने सी सी टीवी लगे हैं चेक करे और रिकॉर्डिंग निकलवाये

जी सर …. ऑफिसर ने कहा और चले गए

उधर राधिका और देवेंद्र जी दोनो ही प्रीतमपुरा पहुँचने के इंतज़ार में थे….देवेंद्र जी ने देखा गाड़ी का पेट्रोल ख़तम होने वाला है… उन्होंने राधिका से कहा “लाडो पेट्रोल ख़तम होने वाला है “

“ताऊजी बस हम पहुँचने ही वाले है वो देखिये दिखायी दे रहा है शहर यहाँ से… “

देवेंद्र जी ने गाड़ी की स्पीड बढ़ायी और प्रीतमपुरा  में आपका स्वागत है सड़क के किनारे लगे हुए बोर्ड तक गाड़ी को ले आये…

बस लाडो अब ये यहाँ से आगे नही जायेगी

“कोई बात नहीं ताऊजी आप आइये देखते है  पता करते हैं यहाँ से किस तरफ जाना होगा

देवेंद्र जी शीतल और राधिका तीनों गाड़ी से उतरे धूप इस वक़्त काफी तेज़ थी …

चलते हुए राधिका ने पूछा – ताऊजी आपको किसी का नंबर याद है.. ?

नहीं लाडो सब नंबर तो मोबाइल में ही होते है आजकल तो याद रहता ही नही है किसी का नंबर

हाँ ये तो सही कहा आपने

चलिए यहाँ बैठिए हम पूछाते है किसो से राधिका ने एक छोटा सा रेस्टुरेंट देख कर उनको बोला

तीनों अंदर चले गए….. राधिका ने वहाँ देवेंद्र जी और शीतल को एक टेबल पर बैठाया और देवेंद्र जी से कुछ ऑर्डर करने को कहा…..और वो खुद वहाँ बैठे हुए मैनेजर से पूछने चली गयी  – सर ज़रा बतायेंगे यहाँ से रायपुर कितनी दूर है ???

जी मैडम अभी बताते है गूगल देख कर

ठीक है … राधिका वहीं इंतज़ार करने लगी

वैसे आप आ कहाँ से आ रही हैं ?

राधिका ने एक मिनट सोचा फिर बोली किशनगढ़ से

अच्छा…. उस मैनेजर ने कहा

मैडम ये देखिए आपको रायपुर जाना है तो आप उलटे रास्ते पर आ गयीं है…… आपको यहीं से वापस जाना होगा और फिर किशनगढ़ होते हुए रायपुर जाना होगा

और कोई रास्ता नही है?

नहीं मैडम जी फ्लाईओवर का काम चल रहा है और रास्ता तो गूगल ये ही दिखा रहा है आपको वापस जाना पड़ेगा .. वैसे आप किशनगढ़ में किसके यहाँ से है?? मैं वहीं से हूँ

आदित्य ठाकुर के यहाँ से …… देवेंद्र जी ने कहा

क्या??ठाकुर साहब के यहाँ से ?? फिर तो आप हमारे पुरे प्रीतमपुरा के मेहमान है ये प्रीतमपुरा उन्हीं का बसाया हुआ है उदय ठाकुर जी का

आपके पास कुंवर का नंबर है ? देवेंद्र जी ने पूछा??

नहीं सर उनका तो नही लेकिन उनके एक गार्ड राजीव का है… वो मेरे रिश्ते में भाई लगता है

उनका नंबर लगा देंगे

हाँ सर बिल्कुल

मैनेजर ने राजीव का नंबर लगाया  उधर से राजीव ने फोन उठा कर कहा

हैलो….

हैलो राजीव हमें देवेंद्र बोल रहे हैं., . .

सर…आप??? आप कहाँ हैं सर हमें लोग आपको कितने घंटों से ढूँढ रहे है….. कुंवर भी बहुत परेशान है आप रुकिए हम अभी उनको फोन देते है

राजीव भागते हुए घर के अंदर आया….. कुंवर ताऊजी का फोन है…. आदित्य ने तुरंत फोन लिया और बोला

हैलो ताऊजी कहाँ है आप और आप लोग ठीक है ना किसी को कुछ हुआ तो नहीं?

नहीं…कुंवर सब ठीक है ….हम  प्रीतमपुर में हैं …..

आप लोग वहीं रुकिए हम लोग बस निकाल रहे हैं …. आप इस फोन से लोकेशन हमें भेज दीजिए ! !

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दास्तान इश्क़ की (भाग -11)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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