डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -59)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

थोड़ी देर के पश्चात नैना फ्रेश हो कर आ गई। 

” मुन्नी, मुझे सिर्फ चाय पिला दो मैं खाना बाहर से खा कर आई हूं। सपना के लिए डिनर लगा लो “

रात ठंडी होने लगी थी। डिनर लेने के उपरांत दोनों बाहर निकल कर आ गई बाहर नैना ने बहुत सुंदर छोटी सी फुलवारी सजा रखी है जिसके बीचों-बीच कुर्सियां रखी है।

जिस पर वे दोनों आकर बैठ गईं। और शुरू हो गया था उनके बातों का सिलसिला।

बेटू प्यार से नैना के गले से चिपक गया। नैना ने भी उसे ज़ोर से अपनी बांहों में भींच लिया।

सपना उसकी ममता को गौर कर रही है।

उसे नैना के जीवन के खालीपन का अहसास है। 

” औरत!

एक ऐसी बेल की तरह होती है। जिसमें ओस की बूंद गिरने से भी फूल आ जाते हैं। एक अकेली बेल भी अपने बूते हर फूल को सहेज कर रखना जानती है  “

नैना ने चाय का एक बड़ा सा घूंट लिया।

” और बताओ, तुम्हारी लाइफ में सब ठीक चल रहा है ना ?

देवेन्द्र अच्छा प्रेमी तो है, अब अच्छा पति भी साबित हो रहा है या नहीं ? “

” हां उसका प्रमोशन हो गया है काफ़ी व्यस्त रहने लगा है ,

दूसरा बच्चा भी चाहता है। हम दोनों में अक्सर इसी बात को लेकर बहस हो जाती है ” सपना ने गहरी सांस ली,

“वाकई में प्रेम बहुत पेचीदी गुत्थी है “

” तुम अपनी सुनाओ… ।

शहर में आजकल तुम्हारे और शोभित के साथ तुम दोनों के द्वारा अभिनीत  नाटकों के बड़े चर्चे हैं   “

नैना मुस्कुराई,

” शोभित कैसा है ?

” बहुत माइल्ड है। स्वभाव से और भरोसे वाला भी है। एक भी शब्द ज्यादा ना कम बोलने वाला ,

उसके साथ काम करते हुए मेरा रोम- रोम सार्थकता से भरा रहता है “

” और हिमांशु ? ” उसकी क्या खबर है ?”

नैना की लंबी , पतली सुंदर उंगलियों में पहनी अंगूठी पर नज़र टिकाती ,

” ये हिमांशु के नाम की है ? “

झेंपकर नैना ने नजर झुका लीं।

” क्या समय के साथ-साथ तुम्हारे साथ शोभित के संबंधों को लेकर उसकी ईर्ष्या कम हो गई है ?”

नैना ने घुटनों को घेर कर उस पर सिर रख लिया है।

” देखो , क्या होता है ?

हिमांशु मेरा प्रथम और अविजित प्रेम है।

जब कि शोभित की मित्रता मेरे मनोबल को आगे बढ़ाता है”

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