डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -4)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

— नैना

उस दिन श्रेया दी से अपने संभावित दूल्हे के वर्णन सुनकर नैना का दिल कांप गया था।

जया ने शोभित से फिर कभी दोबारा नहीं मिलने की शर्त पर उसे घर बुलाने वाली बात घर में सबसे छिपा ली थी। 

पर उनके साथ नैना भी जानती है। कि वो अधिक दिनों तक शर्त निभा नहीं पाएगी।

नैना को आज ही यह खयाल‌ आया है,

” आख़िर वह  इतना डरती क्यों है शोभित से मिलने से ?

” मैं क्यों  रूकी रही इतने दिनों तक न जाने वह यहां होगा भी या नहीं  कहीं चला ना गया हो ? “

यह ख्याल दिमाग में आते ही  जितनी तेज उसकी चाल है उससे भी अधिक तेज चाल से चल कर शोभित के ठिकाने पर जा पहुंची है।

उसे शोभित से मिले हुए एक हफ्ते से उपर बीत चुके हैं। ‌‌‌‌

उसके दरवाजे पर खड़ी नैना ने फिर से पिछले दिनों देखी फिल्म को याद किया ,

”  फिल्म के नायक की तरह शोभित में ऐसा क्या है ?

रंध्र जिससे मेरा दिल उसपर आ जाए।

क्या मेरा  यहां आना उसके प्रति प्रेम भाव से है? 

या फिर बस ऐसे ही  मात्र लगाव ? “

उसने एक आनंद जैसा महसूस किया।

इससे पहले की  उसका विवेक जग जाता और वह उल्टे पांव वापस हो लेती।

नैना ने  शोभित को  खुद के सामने खड़े पाया ।

वह उसके काफी करीब खड़ा है।

शोभित गंभीर किस्म का है। उसने नैना की ओर झुक कर ,

” तुम आ गई ! अंदर आओ  नैना “

” मैं पहले ही आने वाली थी। दरअसल इन दिनों मैं पशोपेश में पड़ी हूं “

” क्यों  ? आजकल कुछ खास ?”

” कोई ऐसी भी चिंता नहीं असल में मैं खुद ही नहीं समझ पा रही हूं बात क्या है ? “

कहती हुई सहजता से दीदी से लगी शर्त वाली बात छिपा ली और वहां  रखे सोफे पर बैठ गई।

जल्दी – जल्दी चल कर आने की वजह से उसकी सांसें तेज चल रही थीं।

जिसे महसूस कर शोभित ने पंखे को औन कर ,

” पहले तुम रिलैक्स हो लो फिर हम बातें करें ?”

  तुम्हारे जीवन का कोई महत्व पूर्ण अध्याय शुरू होने वाला है “

कुछ चौंक कर नैना ने पूछा —

” क्यों ? ऐसा किस तरह कह सकते हो तुम ? “

” यों ही तुम्हें मालूम नहीं मैं बहुत अच्छा ज्योतिष भी हूं “

” ओह , समझी ! ”  कह कर हल्के से मुस्कुराई और अपने नर्म  हथेलियों को शोभित के सामने फैला कर बोली,

” अच्छा तो यह बताओ , निकट भविष्य में  मेरे जीवन में क्या – क्या  चेंजेज आने वाले हैं “

फिर बच्चों की तरह मचलती हुई,

” जरा अच्छी तरह देखना  “

चकित शोभित ने  महज बात को टालने के लिए कही थी।

जिसे नैना उसकी सहज इच्छा जान कर सोफे पर पांव चढ़ा कर बैठ गई ,

” सच में जानते हो तुम “

” नहीं मैं तो यों ही बस।

अच्छा चलो आज मुझे अपनी  पिछली सारी बातें बताओ “

 शोभित  फ्रिज खोल कर खड़ा हो गया

” कुछ लेना चाहोगी  ? “

” क्या  है ? “

” वाइन, शैम्पेन,लाइम जूस “

”  मैं  लाइमजूस ले  लूंगी “

कुछ देर फिर सन्नाटा छाया रहा।

नैना ने अपनी जिंदगी के पन्ने पलटने शुरू किए। 

सबसे पहले अपने बचपन के दिन।

अगला भाग

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