दामाद जी बने मेरा सहारा – सुषमा यादव

मुझे अपनी बेटी, तीन साल की नातिन और दो माह के नाती से मिलने पेरिस अकेले ही जाना पड़ा, बेटियों ने कहा,, मम्मी, आप इतनी दूर अकेले कैसे आयेंगी,, बच्चा अभी दो माह का ही है ,,,हम आपको लेने नहीं आ सकते, मैंने कहा, अरे, तुम्हारे पापा मुझे इतना आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर और हिम्मती बना कर चले गए हैं ,कि मैंने लगभग अपना देश ही घूम डाला है, पेरिस तो फ्लाईट में ही बैठ कर आना है, चिंता मत करो,,

 

रात को जैसे ही मैं ग्यारह बजे पेरिस एयरपोर्ट पर पहुंची, बेटी और दामाद जी गाड़ी लेकर मुझे लेने आये थे,, मैंने कहा, इतनी ठंड में क्यों आये, मैं टैक्सी कर के आ जाती, अरे आप इतनी दूर‌‌‌ इतनी रात को अकेले कैसे आतीं।।

 

एक दिन हम सब शाम को बैठे थे, गपशप हो रही थी,, मैंने उदास हो कर कहा,, मेरी बीमारी अब सिर उठाने लगी है,,, मैं तो अब बिल्कुल ही अकेली हो गई हूं,,, मेरी जिंदगी का कोई उद्देश्य नहीं रह गया, तुम सब बाहर हो और मैं वहां अकेले,

मेरा तो कोई सहारा ही नहीं रह गया, मुझे कुछ हो गया तो किसके सहारे रहूंगी,। मेरी आंखों से आंसू बहने लगे,।

बेटी ने मेरे आंसू पोंछते हुए कहा,, मम्मी, मैं हूं ना, आपको जरा सा भी कुछ हुआ तो, मैं तुरंत आपके पास आ जाऊंगी। जहां भी आपका इलाज करवाना होगा, मैं करवाऊंगी,,

मैंने कहा,बेटा तुम्हारे दो बच्चे हैं एक अभी दो माह का ही है, तुम इन दोनों को लेकर कैसे आ पाओगी। नहीं मम्मी, ये बच्चे ये लोग संभाले, मेरी जिम्मेदारी आप हैं,आप मेरी पहली प्राथमिकता हैं,, आपने हमारे लिए क्या क्या नहीं किया,,अब हमारी बारी है, ये बच्चे अब इनकी जिम्मेदारी है,जब तक आप ठीक नहीं हो जाती,,,

इतने में दामाद जी उठकर मेरे पैरों के पास आ कर बैठ गए,, मम्मी, आपने ये कैसे कह दिया कि मेरा कोई सहारा नहीं है,, क्या एक दामाद आपका सहारा नहीं बन सकता,, क्या बेटा और बेटी ही अपने माता पिता का सहारा होते हैं,, दामाद क्यों नहीं हो सकता,




मैं बनूंगा आपका सहारा,,

आपको हम यहीं पर हमेशा के लिए रखेंगे, आपका लंबे समय के लिए वीजा बनवा देंगे,हम सब मिलकर रहेंगे,, आपने कैसे सोच लिया कि हम आपको अकेला बेसहारा छोड़ देंगे। हम सबने पहले से ही सब सोच लिया है।

 

दामाद जी ने जैसा कहा,उस पर अमल भी करने लगे।

मम्मी को पौष्टिक खाना खिलाना है, मम्मी दिन भर रसोई में काम नहीं करेंगी, शाम का खाना वो दोनों मिलकर बनाते, मेरे लिए जूस बनाना, नाश्ता देना, समय समय पर फल काट कर देना, मेरी पल पल की निगरानी करना,सब कुछ देख कर मन प्रफुल्लित हो रहा था। बेटी तो अपने दोनों बच्चों में ही व्यस्त रहती,,

हम सब को आल्प्स पर्वत लेकर जाने का प्रोग्राम बना। 

दामाद जी ने कहा,, मम्मी के पास वहां के ठंड के मुताबिक गर्म कपड़े और बूट नहीं है। फिर क्या था, सबको लेकर चल दिए। मॉल में ले जाकर दौड़ दौड़ कर तमाम कोट, जूते स्वेटर वगैरह मेरे ऊपर ट्राई किये गये, मेरे पैरों के पास एड़ी के बल पर बैठ कर दामाद जी मेरे पैरों में जूते पहनाने लगे, मैंने झट से अपने पैर खींच लिए, अरे, ये आप क्या कर रहे हैं, मेरे पैर मत छूना, ओह मम्मी, अगर आपका बेटा भी होता तो क्या आप तब भी ऐसा ही कहतीं,आप मेरे साथ इतना भेदभाव क्यों करतीं हैं। मैंने भावुक हो कर उनके सिर पर प्यार से हाथ फेरा,बेटा, तुम जैसा दामाद पाकर तो मैं धन्य हो गई,,।

मैं जब तक रही वहां, दोनों बेटियों से बढ़ कर मेरे दामाद ने मेरी अच्छी तरह से देखभाल की।

 

अब मेरे वहां हमेशा रहने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

अब मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा प्यारा दामाद मेरा सहारा बन कर हमेशा मेरे साथ खड़ा रहेगा।

मेरी दोनों बेटियां तो मेरा सहारा है हीं,पर जब तक उनके घरवाले उनका पूरी तरह से साथ नहीं देंगे,तब तक तो सब बेमानी है।

अब मैं पूरी तरह से निश्चिंत हूं, जो दामाद जी ने कहा, वो कर दिखाया, मेरा सबसे बड़ा सहारा बन कर।।

#सहारा

सुषमा यादव, प्रतापगढ़ उ प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित,

 

 

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