चांदी का दिया सोने की सलाही – मंजू तिवारी

आज से ठीक 15 साल पहले मेरे घर में लगभग आधी शताब्दी बाद किसी बेटी का विवाह का उत्सव हो रहा था कहने का मतलब यह आंगन में बेटी का मंडप गाढ़ा जा रहा था,,,, मैं घर की बड़ी बेटी हूं। और संयुक्त परिवार की सबसे लाडली बेटी,,,, तो पापा मम्मी किसी प्रकार की मेरे  विवाह में कमी छोड़ना नहीं चाहते थे,,,,

ऐसा शायद कुछ भी ना था जो मेरे पापा ने मुझे ना दिया हो,,,,, उपहारों के साथ-साथ सभी का प्रेम भी मेरे साथ था मेरे चाचा चाची यों का,,, मेरे चचेरे भाई बहनों का

पापा का कहना बता देना किसी चीज की कमी ना रह जाए जो पापा ने ना दी हो,, पापा की आंखों में आंसू थे,,,,, मेरा गला रुधा हुआ था कुछ भी कह पाने में असमर्थ थी,,,, पापा ने  घर छोड़कर मुझे सब कुछ दिया था,,,, जब मैं पापा से घर पर कहती थी पापा यह कूलर बड़ा आवाज करता है। पापा कहते थे तुम्हें क्या करना तुम्हें हम ऐसी देंगे,,,,,,

 घर दरवाजा मेरी विवाह में दिए जाने वाले उपहारों से भरा था दरवाजे पर मेरे लिए मेरे पिता ने एक कार खड़ी  कर दी थी,,,,, उस समय यह सब चीजें बड़ी रेयर हुआ करती थी,,,,, बारात का स्वागत ऐसा किया अभी भी चर्चा का विषय बन जाता है।

कमियां निकालने वालों के लिए कुछ कह भी नहीं सकते जिस में जलन की भावना होती है वह अच्छी से अच्छी चीज में कमियां निकाल ही लेते हैं।

एक ट्रक भर के उपहार आए थे घर में,,,, उसी समय मेरे पापा ने मम्मी के हाथ में एक बहुमूल्य उपहार दिया जो मैं दूर से खड़ी देख रही थी,,,, उपहार था चांदी का दिया और सोने की सलाही,,,, माचिस की तीली के आकार की,,,,,,,

 यह रस्म इटावा में दूल्हा बाती के नाम से जानी जाती है।,,,,,,

हमारा जयमाला प्रोग्राम हुआ उसके बाद  मंडप में हमारे सात फेरे हुए,,,,, अब बारी आई दूल्हा बाती की रस्म की,,,, जो भगवान जी और कुलदेवता के सामने की जाती है। चांदी के दीए में दो बाती रखी गई और उन दोनों बातियो को प्रज्वलित किया गया




 उसके बाद मेरे जीवन साथी से कहा गया इस चांदी के दीए में जो दो वाती प्रज्वलित  है इन दोनों वातियों को इस सोने की माचिस की तीली नुमा सलाही से  बड़े प्यार से एक कर दो,,, मेरे पतिदेव ने सोने की सलाई से धीरे से दोनों बतियों को मिला दिया,,,,, बातियां साथ-साथ प्रज्वलित होने लगी,,,, और उन बातियों का प्रकाश फैलने लगा,,,,, और विदाई के समय इस दीया बाती को मेरे बटुए में रख दिया गया

शायद यह रस्म हमें यह संदेश दे रही थी कि अब तुम्हारा जीवन एक हुआ तुम साथ-सथ ही आगे बढ़ सकते हो और घर परिवार रोशन तभी हो सकेगा,,,,,

यह रस्म मेरे लिए प्रेरणास्रोत बन गई आज भी पापा का दिया हुआ सारे उपहार स्त्रीधन समय के साथ मेरे लिए बेकार हो गए अगर यही सब मुझे सोने चांदी के रूप में दिया होता तो मेरे पास आज कई गुना होकर मेरे पास होता,,,,, क्योंकि सोने चांदी की कीमत हमेशा बढ़ती है। स्त्रीधन  बेटी के लिए बेकार ही होता है इसलिए सोना चांदी दे क्योंकि इसकी कीमत हमेशा बढ़ती रहती है। बेटी के पास स्त्री धन के रूप में सदैव रहे,,,

 आज भी मेरे बटुए में चांदी का दिया सोने की सलाई रखी हुई है जिसे मैं देखती हूं तो मन बड़ा खुश हो जाता है। जो हमें प्रतिपल संदेश देता रहता है कि हम एक हैं।

हमारे सनातन धर्म में न जाने कितनी ऐसी रस्में बनाई है जो हमारे वैवाहिक गठबंधन को मजबूत करने का संदेश देती हैं।

जितनी प्रेम से मेरे पतिदेव ने यह रस्म निभाई थी उससे कहीं ज्यादा प्रेम से जीवन की सारी रस्में निभा रहे हैं। जैसे विवाह के बाद स्त्रियों पर बहुत सारे बंधन होते हैं। शायद मेरे ऊपर यह सारे बंधन मेरे पति ने नहीं बाधे,,, बंधन तो है लेकिन बहुत ही मजबूत प्रेम का अटूट बंधन,,,,,

हमारी माता पिता द्वारा कराई हुई अरेंज मैरिज थी,,, हमने अपना जिंदगी का सफर औपचारिकताओं से शुरू किया और ना जाने कब हम अनौपचारिक रिश्ते में बाध गए हमें पता भी न चला,,,,, विश्वास हमारे रिश्ते को बहुत मजबूत बनाता है। मुझे अपने घर की मालकिन बना दिया,,,,, ऐसा जीवन साथी बड़े पुण्य कर्मों से मिलता है शायद मेरे भी पुनर्जन्म के कुछ बहुत पुण्य कर्म रहे होंगे जिसके फलस्वरूप मुझे ऐसा जीवन साथी मिला,,,,

जो खुद तो आगे बढ़ता ही है मुझे भी हाथ पकड़ कर आगे बढ़ाता है। जो मेरे चेहरे को पढ़ना जानता है जो मेरी आवाज के उतार-चढ़ाव से मेरी खुशी और परेशानी को समझ सकता है।

हमें पता भी नहीं चला कि कब हमने प्रेम के सफर में अपने 15 साल पूरे कर लिए आज मेरी विवाह की वर्षगांठ है।

आगे यही कहना चाहूंगी प्रेम शब्दों से परे है अब शब्दों का अभाव हो रहा है शायद व्यक्त करना असंभव है।

मेरे जीवन साथी को समर्पित 

मेरा आर्टिकल

मंजू तिवारी गुड़गांव

लिखित मौलिक

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!