रिश्तों की खिचड़ी – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

सुगंधा एक भरे पूरे संयुक्त परिवार में पली बढ़ी खुशमिजाज लड़की थी जो रिश्तों की कीमत भली भांति जानती थी।।उसने अपने हर रिश्ते चाहे वो चाचा हो, बुआ, ताऊ, मौसी, मामा, नाना, नानी, दादा_ दादी हो सबको बहुत पास से देखा और समझा था।        वो चार भाई बहिनों में सबसे छोटी थी और सबकी लाडली … Read more

अनजाना बंधन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  मुझे बचा लो,बेटा, ये मुझे क्यो मार रहे हैं?अच्छा लो मैं भी मारूंगी, हाँ-कहते कहते उसने भी एक पत्थर उस भीड़ की ओर उछाल दिया। उसका पत्थर फेंकना था कि बच्चो की भीड़ जिसे उकसाने में बड़ी उम्र के लोग भी शामिल थे, तीतर बितर होने लगी।और इससे उत्साहित हो उसने फिर एक और पत्थर … Read more

ननद भाभी का अनूठा रिश्ता – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“रचना तेरे भैया भाभी अभी तक नहीं आए जब तक मायके की चौक (साड़ी सुहाग का सामान  और बेटी की पीली साड़ी) की साड़ी नहीं आएगी तुम क्या पहनकर बिटिया की शादी की पूजा करोगी? मुझे तो लगता है तेरे भैया और भाभी आज आएंगे ही नहीं तेरी चहेती भाभी ने राजीव को मना कर … Read more

अनुपमा आंटी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“आज सत्रह साल बाद फिर से  मेरे पति का वहाँ  तबादला हुआ है । हाँ ! ये वही जगह है जहाँ हमारे और बच्चों की कितनी यादें जुड़ी हैं । अनुपमा  बैठे – बैठे बुदबुदा रही थीं ।  जैसे ही गाड़ी पर बैठी बीजपुर की मीठी  यादें मन में हिलोरे लेने लगीं । हालांकि कम … Read more

दुबली हथेलियां – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आंटी जी आंटी जी आपका मोबाइल … भीनी आवाज पर मैं तुरंत पलटी तो सामने एक दुबली सी लड़की खड़ी थी जिसकी दुबली हथेलियां मेरा भारी मोबाइल संभाल कर पकड़ी हुईं थीं। ये कहां था तुम्हे कैसे मिला मैने मोबाइल पर झपटते हुए पूछा और अपना बड़ा सा अस्त व्यस्त पर्स खोलकर झांकने लगी। आंटी … Read more

स्नेह का बंधन – खुशी : Moral Stories in Hindi

हम दो बहने थी अदिति और स्वरा जो अपने माता पिता के साथ रहती थीं। मां स्कूल में टीचर और पिताजी प्राइवेट नौकरी करते थे।पिताजी जरा दिमाग के गरम थे इसलिए नौकरी छोड़ पकड़ रहती थीं पर मां इतनी मेहनती थी कि स्कूल , ट्यूशन से घर चलाती यूं अभावों में पलते बढ़ते हम जवानी … Read more

स्नेह का बंधन – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

 14 वर्ष की अल्पायु में उसके सिर से पिता का साया उठ गया था। गरीबी इतनी कि 2 जून की रोटी की भी जुगाड़ नहीं। राजन….. जी हां यही नाम था उसका, परिस्थितियां बिल्कुल नाम के विपरीत, हौंसले यथा नाम। पिता की असमय मृत्यु ने अंदर तक झकझोर दिया था उसको, उसका बाल मन समझ … Read more

स्नेह का बंधन – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

“क्यों रूठी हो गुडिया?” “अभी तक बचपना गया नहीं तुम्हारा?” ” कह दिया, बहुत याद आ रही है आपकी। मिलने चले आओ।” ” नेहा, हमें भी तो तुम्हारी याद आती रहती है। तुम्हारी नई-नई शादी हुई है, ससुराल में मन रमाओ अब।” “जंवाई राजा समझदार है। सास ससुर चाहते हैं, तुम घर संभालो।” नेहा शादी … Read more

आओ भैया ! कुछ तुम कहो, कुछ मैं कहूँ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

कितने बरस हो गए हमें एक साथ आराम से बैठ कर बातचीत किए हुए ! वह बचपन का सरल और निश्छल प्रेम, बात-बात पर झगड़ पड़ना ,एक दूसरे को मारने के लिए अंधाधुंध दौड़ पड़ना और बाबूजी को सामने पा कर शराफत से एकदम ठहर जाना, तुम्हारी किताबों को हाथ न लगाने की सख्त ताकीद … Read more

कांता बाई के केक की मिठास – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

लॉक डाउन के बाद कांता बाई का आज काम पर जाना हुआ। अंदर ही अंदर डर समाया हुआ था पता नहीं मालिक काम पर रखेंगे या नहीं। लेकिन कांता बाई को देखकर कोठी वाली मेमसाब की खुशी देखते ही बन रही थी, वो भी थक चुकी थी रोज काम करते हुए, सोच रही थी पता … Read more

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