बन्धन नेह का – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

इति एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रही थी। कोरोना के बाद से लगातार उसका वर्क फ्रॉम होम चल रहा था। माता-पिता की इकलौती संतान होने के कारण बहुत ही नाजों से पली थी। बेटी विवाह योग्य होने पर  किसी भी माता-पिता का उसके विवाह के लिए चिंतित होना लाजिमी हैं। चाहे बेटी नौकरी करती … Read more

स्नेह का बंधन – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मत रो बिटिया मां चली गई तो क्या हुआ बाबू जी तो है ,हम है मायके आती रहना इतना कहकर शकुन्तला ने दोनों बेटियों को गले लगा लिया और दोनों के हाथों में दस ,दस का एक-एक नोट रख दिया।और खुद भी आंसू पोंछने लगी। बिटिया जो आया है संसार में वाको तो एक दिन … Read more

समाधान – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

अरे केशव आ ना आज बहुत बहुत दिन बाद आया सब ठीक तो है न। तेरे चेहरे पर इतनी उदासी ,क्या हुआ है। अरे रे एक साथ इतने प्रश्न अर्जुन जरा मुझे सांस तो लेने दे।मन उदास था तो अपने मित्र की याद आ गई सोचा चलो चलकर उसी के पास अपना मन हल्का कर … Read more

स्नेह का बंधन – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मेरा बेटा संकल्प घर आकर बहुत खुश है। दादी और मम्मी-पापा के दुलार की अनुभूति अलग ही होती है। पर पुणे और गुड़गांव के मौसम में अंतर के कारण, गुड़गांव आने पर जनवरी की सर्दी उसे जकड़ लेती है। उसे लगातार छींकें आने लगती हैं। मां जी (संकल्प की दादी) उसे काढ़ा बनाकर पिलाती हैं। … Read more

दिल के तार – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        ” मम्मी जी, पापाजी तो अब रहें नहीं ,तो अब उनकी बात का क्या महत्त्व।एक नौकरी करने वाले परिवार में हमारी पूजा कैसे रह पायेगी।” कविता अपनी सास को समझाते हुए बोली तब पास खड़ी उसकी देवरानी मंजू भी उसकी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली,” हाँ मम्मी जी..मेरा भी यही कहना है कि … Read more

ये बंधन है नेह का – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शर्माती,लजाती लाल जोड़े में लिपटी पीहू ने जैसे ही चावल भरे कलश को गिराकर गृह-प्रवेश किया,वैसे ही उसकी जेठानी मुग्धा ने उसे गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में प्यार से बोली “टेंशन मत लो, मैं हूँ ना।” इतना वात्सलय और अपनापन था उन शब्दों में कि पलभर में ही पीहू का … Read more

*हरि* – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

   सन्नाटे ने लीला के बढ़ते कदम को रुकने के लिए विवश कर दिया। ज्योंही वह अपनी कोठरी से बाहर निकली सुबह पौ फटते ही वह  कुम्हला उठी । उसने अपनी पैनी दृष्टि इधर-उधर दौड़ाई।अचानक उसकी नजर टकरा गई  छप्पर से लटकते पिंजड़े से उसका दिल धक् से रह गया।पिंजड़ा खाली पड़ा था फांसी पर लटकते … Read more

अपनापन – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

  साक्षी एक पढ़ी-लिखी कुशल गृहिणी थी। उम्र लगभग 42 वर्ष। साक्षी की दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था अपने आसपास की महिलाओं से मिलना-जुलना। यह मिलना-जुलना केवल समय व्यतीत करना मात्र नहीं था। इस तरह से मिलने की एक खास वजह थी। साक्षी को अच्छा लगता था किसी के दुख-दर्द सुनना, उनकी कोई समस्या हो … Read more

दिल में प्यार हो तो पराए भी अपने बन जाते हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

हमेशा की तरह सरोज के भाई का इस बार भी राखी का पांच सौ रुपए का मनीऑडर आ गया।ना ही उसने कोई फोन किया,कि दीदी तुम्हारी राखी मिल गई थी ना ही उसकी कोई चिट्ठी आई।सरोज की आँखें फिर से नम हो गईं।माता पिता के जाने के बाद सरोज के छोटे भाई साहिल ने तो … Read more

स्नेह का बंधन – सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

मैं अलार्म की आवाज सुनकर उठी | घड़ी की ओर देखा 6:00 बजा रही थी | मन कर रहा था कि थोड़ी देर और सो जाऊं | मौसम बड़ा सुहावना हो रहा है | हल्की-हल्की बारिश की बौछार, मंद मंद हवा | मैं अलसाईं सी 5 मिनट के लिए लेट गई | लेटते ही आंख … Read more

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