अफ़सोस – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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देवी अपने माता-पिता की तीसरी संतान थी उसके दो भाई थे । माता-पिता भाई अत्यधिक लाड़ प्यार के कारण उसे घर से बाहर निकलने नहीं देते थे। जब भी वह कहती थी कि माँ बाहर भाइयों को खेलते हुए देखूँगी तब भी माँ बाहर बैठने नहीं देती थी कहतीं थीं कि लड़कियों को चारदीवारी पार … Read more

मायके में हस्तक्षेप ना करो बिटिया रानी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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प्रतिदिन की तरह फोन पर आरना का पहला सवाल….. ” हैलो मम्मी क्या कर रही हो …??”  “कुछ नहीं बेटा वो सब्जी बना रही हूं…!” ” तुम क्यों सब्जी बना रही हो…? भाभी कहां गई …..?” ” आज रेनू के कमर में दर्द है इसीलिए वो लेटी है, मैंने सोचा तब तक मैं ही सब्जी … Read more

अब अफ़सोस कर क्या मिलेगा – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“मम्मा मम्मा कहाँ हो आप…. ?”दस साल का ध्रुव पूरे घर में नित्या को खोजता हुआ घूम रहा था  “ तेरी माँ कहाँ होगी बस बैठ कर अफ़सोस करती रहती है पहले ही समझ जाती तो आज ये दिन तो ना देखना पड़ता… और बेटा तुम भी तो जानते ही हो ना…. तुम्हारी माँ कहाँ … Read more

अफ़सोस – सोनिया सरीन : Moral Stories in Hindi

दिल्ली जैसे महानगर के एक मध्यम वर्ग पर शिक्षित परिवार में जन्मी माधुरी अपने परिवार की सबसे बड़ी बेटी थी । माता पिता दोनों शिक्षित थे सो उसने परिवार में कभी भी कोई भेद भाव महसूस नही किया था। उन्ही की अच्छी परवरिश के कारण माधुरी को अपने जीवन में एक राह मिल गई थी। … Read more

अफसोस – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैने अपनी जिंदगी मैं “ना ” कहना नही सीखा था | इसका अफसोस हमको हमेशा होता है | मैने ” ना ” कहा होता तो शायद मेरी जिंदगी आज इस मकाम पे नही होती | मैं अपने परिवार वालो की हर सही ,गलत  बातो को मानती | कभी मना नही किया |इस कारण मेरे परिवार … Read more

मसाले वाली चाय – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        आज सुबह सो कर उठने के बाद से ही आशुतोष जी बड़े खिन्न से थे।असल मे उन्हें सुबह सुबह ब्रश करने के तुरंत बाद चाय पीने की आदत थी,आदत क्या तलब थी,मसाले वाली चाय पीने मात्र से ही वे अपने मे स्फूर्ति महसूस करते थे।अपने समय मे अच्छी पर्सनालिटी के आशुतोष जी बड़े ठसके के … Read more

आखिर घुटन भरे रिश्ते से आजादी मिल ही गई – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

अपराध बोध ग्रसित मन विचलित हो गया था। संदेह की काली छाया ने सब कुछ अपने आंचल में समेट लिया था। सिसक सिसक कर रोने के सिवाय अब कुछ नही बचा था। राव्या तकिए को आसुओं में भिगोती हुई पछता रही थी। कितनी खूबसूरत जोड़ी थी । आन्या और प्रवेश की। दोनो में एक दूजे … Read more

हमें अपनी पहली संतान की खुशी है अफसोस नही – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” मम्मा कुहू के जन्मोत्सव का कार्यक्रम किस जगह रखना है ?” केशव ने अपनी माँ कामिनी जी से पूछा। ” अरे कार्यक्रम कुछ नही बस हवन करेंगे क्या फायदा हो हल्ला करके कौन सा लड़का हुआ है !” कामिनी जी मुंह बनाते हुए बोली। ” पर मम्मा भाभी की पहली बेटी के होने पर … Read more

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