भाग्यविधाता – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

वैभव जब इंजीनियरिंग के अंतिम साल में था तब ही उसकी नौकरी एक बहुत बड़ी कंपनी में लग गई थी ।

उसी साल उसकी मुलाक़ात रश्मि से हुई जिसका भी अंतिम साल ही था । उन दोनों की थोडी सी मुलाक़ातों में ही इतनी अच्छी दोस्ती हो गई थी कि वे दोनों शादी के बँधन में बँधने के लिए तैयार हो गए थे ।

रश्मि के पिता शहर के बहुत बड़े बिज़नेसमैन थे । रश्मि उनकी इकलौती संतान थी । जब रश्मि ने उन्हें वैभव के बारे में बताया तो उन्होंने उससे बात की अनुभवी आँखों ने पहचान लिया था कि वैभव होनहार छात्र है । उसकी एक अकेली माँ ही थी उसका और कोई नहीं था ।

वैभव शादी के बाद पत्नी रश्मि और माँ सुमित्रा के साथ एक ही घर में रहने लगा । रश्मि को सास का उनके साथ रहना बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था पर वह मजबूर थी । उसे उनसे शिकायत थी कि वे सूती साड़ी पहनती थीं उनके बाल सफ़ेद हो गए थे । एकदम देहाती जैसे दिखती थी क्या रहती ही थी । रश्मि के माता-पिता पढ़े लिखे और मार्डन ख़यालात के थे ।

एक दिन रश्मि और वैभव के दोस्त आए हुए थे रश्मि के माता-पिता को भी बुलाया गया था । सब बातें कर रहे थे उनकी बातें अंग्रेज़ी में ही हो रहीं थीं । उसी समय कमरे से सुमित्रा जी बाहर आई और उनके साथ बैठ गई । यह बात रश्मि को रास नहीं आई ।

सबके जाने के बाद उसने सुमित्रा से कहा कि आपको अंग्रेज़ी बोलनी नहीं आती है और आप इस तरह ठेठ देहाती बनकर सबके बीच बैठकर हमारी नाक कटवाने पर तुली हुई हैं आप क्या कह रहीं थीं कि मैंने उसे पढ़ाया है । वाहहह अ आ इ ई पढ़ाते ही लोग एम सेट में टॉप कर लेते हैं क्या? हँसी आती है मुझे आपकी सोच पर ग़नीमत है आप का परिचय वैभव ने माँ कहकर करा दिया था । मुझसे पूछते थे तो मैं क्या जवाब देती पता नहीं?

रश्मि की बातों ने सुमित्रा के दिल को चीरकर रख दिया था । सुमित्रा अपने कमरे में चली गई उसकी आँखों के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ।

वे पति की तस्वीर के पास खड़े होकर देखने लगी जैसे कह रही हो कि मुझे छोड़कर क्यों चले गए हो ।

उसे याद आ रहा था कि वैभव उनका अकेला पुत्र है पति पत्नी दोनों की इच्छा थी कि वे उसे खूब पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाएँ । उनकी गाँव में खेतीबाड़ी थी । उसी से ही उनका गुज़ारा चलता था ।

वैभव भी माता-पिता के सपनों को साकार करने के लिए दिल लगाकर पढ़ने लगा । वैभव ने जब गाँव के स्कूल की पढ़ाई पूरी की तो सुमित्रा और पति ने मिलकर डिसाइड किया कि सुमित्रा वैभव के साथ शहर में रहेगी और पति गाँव में खेतीबाड़ी देखेंगे पैसे भेजते रहेंगे ।

 वैसे ही वैभव माँ के साथ रहते हुए ही इंजीनियरिंग तक पहुँच गया लेकिन इस बीच उसे पिता के मृत्यु का दुख भी सहना पड़ा था । माँ अकेले ही सब समस्याओं सामना करते हुए आगे बढ़ी थी ।

वैभव ने रश्मि के साथ शादी की तब भी सुमित्रा ने कुछ नहीं कहा था । आज उसका ही नतीजा है जो वे भोग रही हैं ।

वैभव ने दूसरे दिन अपनी माँ से कहा कि चल माँ तुझे घुमा लाता हूँ । सुमित्रा को उससे कोई ख़ुशी तो नहीं हुई पर उसकी बात रखने के लिए तैयार हो गई थी ।

सुमित्रा का दिल कह रहा था कि कुछ तो समस्या है । उसने अपने आप को भाग्य के हवाले कर दिया था । जब से शादी करके आई है तब से उसे ऐसा लगता है कि भाग्यविधाता उससे रूठ गए हैं शायद इसलिए उसके मुसीबतों में कमी ही नहीं आ रही है ।

यह सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए । वैभव को यह देख ग़ुस्सा आया था और उसने कहा कि माँ इतना रोने की ज़रूरत नहीं है । अब तक आप समझ गई होंगी मैं आपको कहाँ लेकर जा रहा हूँ ।

मैंने वृद्धाश्रम में आपका नाम दर्ज करा दिया है । हम वहीं जा रहे हैं मैं बीच बीच में आकर देखते रहूँगा । सुमित्रा ने कहा वहाँ तू नहीं रहेगा ना ।

वैभव को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया हो । उसे याद आ रहा था जब पिता की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गई थी तो माँ ने उसे हॉस्टल में रखने का निश्चय किया था ।  

माँ रास्ते भर उसे समझाती रही कि वहाँ तुझे दोस्त मिलेंगे तुम्हें पढ़ने के लिए समय मिलेगा तो वैभव ने कहा कि तुम नहीं मिलोगी ना माँ ।

माँ ने उसी समय अपना इरादा बदल लिया था और उसे घर ले आई थी । पिताजी बिचारे अकेले ही रह गए थे परंतु उन्हें खाना पीना दवाई समय पर ना मिलने से उनकी मृत्यु जल्द ही हो गई थी ।

अभी वह बीती बातों में खोया हुआ था कि फोन की घंटी बजी देखा तो रश्मि का फ़ोन था वह पूछ रही थी कि कहाँ तक पहुँचे हो । वैभव ने कहा कि रास्ते में ही हैं बस दस मिनट में पहुँच जाएँगे ।

रश्मि ने कहा कि वापस आ जाओ मैं बाथरूम में गिर गई हूँ डॉक्टर ने चार हफ़्ते तक आराम करने के लिए कहा है । हमारे घर के काम के लिए किसी की ज़रूरत पड़ेगी ना तो माँ आ जाएँगी तो काम कर देंगी ।

यह सब बातें वे दोनों अंग्रेज़ी में कर रहे थे । सुमित्रा ने भी अंग्रेज़ी में ही कहा कि मुझे यहीं रास्ते में उतार दे वैभव ।

वैभव ने आश्चर्य से माँ की तरफ़ देख कर कहा कि माँ आप को अंग्रेज़ी आती है । उसने कहा माँ हूँ बेटा सब कुछ सीख सकती हूँ । मैंने तुम दोनों की बातें सुन ली हैं । मुझे तुम्हारे घर की नौकरानी नहीं बनना है रोक गाड़ी ।

वैभव ने गाड़ी रोक कर कहा माँ कहाँ जाएगी । मेरे भाग्य में जो होगा वही होगा वैभव मुझे अपने आपको सँभालना आता है । बॉय कहकर वे वहाँ से निकल गई और वैभव उन्हें जाते हुए देखता रह गया उधर फोन पर रश्मि कह रही थी कि कब तक पहुँच जाओगे आप दोनों?

के कामेश्वरी

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