बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 1) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi :निकल जाओ तुम लोग अभी की अभी मेरे घर से , भगवान यह दिन दिखाने से पहले काश मुझे उठा लेते , इतने सालों से जो परिवार एक साथ रहा मैं नहीं जानता था वह इस तरह टूटेगा , क्या यही दिन देखने के लिए तुम लोगों को इतना बडा किया था , आज तुम लोगों को इस तरह झगड़ते देख मेरा खुन खौल रहा है चीखकर गुस्से में बोले मगनलाल जी !!
बड़ी बहु राधा जिसने अभी छोटी बहु आभा को झन्नाटेदार चाटा मारा था वह ससुर जी के यह शब्द सुनकर अंदर तक हिल गई और बड़ा बेटा सोमेन जो छोटे बेटे राज का गिरेबान पकड़कर खड़ा था उसने गिरेबान अपने हाथों से छोड़ दिया !!
बडी बहु राधा कुछ कहना चाहती थी मगर मगनलाल जी किसी की बात सुने बिना वहां से चले गए और आकर एकांत में अपनी बालकनी में बैठ गए और सोचने लगे कितने प्यार और अरमानों से बनाया था उन्होने यह घर जिसका नाम उन्होने अपनी पत्नी के नाम पर रखा था चंदानिवास मगर आज अपने बेटे बहुओ को इस तरह लड़ते झगड़ते देख उन्हें बहुत बुरा लगा था !! उन्हें लगा जैसे उनकी बरसों की मेहनत पानी में मिल गई , जिस संयुक्त परिवार का सपना उन्होने देखा था , आज उन्हें वह सपना अपनी आंखों से चकनाचूर होता दिखाई दे रहा था !!
इस घर में मगनलाल जी उनकी पत्नी चंदा , बड़ा बेटा सोमन उसकी पत्नी राधा और उनकी बेटी रिया और छोटा बेटा राज उसकी पत्नी आभा और उनका छोटा बेटा आरव रहते थे !!
चंदा जी जब मंदिर से घर आई तो मगनलाल जी ने उन्हें सारी बात बताई !!
चंदा जी भी यह सब सुनकर दुःखी हो गई और एक जगह बैठ गई , थोड़ी देर बाद राधा ने डायनिंग टेबल पर सभी के लिए खाना लगा दिया था मगर किसी को खाना खाने की मर्जी नहीं थी इसीलिए कोई खाना खाने नहीं आया !!
राधा अपने सास ससुर से माफी मांगने उनके कमरे में पहुंची मगर मगन लाल जी और चंदा जी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया !!
राधा अपनी देवरानी आभा के कमरे में पहुंची तो आभा ने भी उसे देखकर मुंह फेर लिया !!
राधा उदास होकर अपने कमरे में आ गई !!
पति सोमेन बोला तुम क्यों बार-बार सभी के सामने झुकने जाती हो ?? नहीं सुनी ना तुम्हारी बात किसी ने !! मैं तो कहता हूं हम दोनों को इस घर से अलग ही हो जाना चाहिए , वैसे भी मां पापा बहुत फर्क करते हैं हम दोनों भाइयों में !!
राधा बोली आप दोनों भाइयों में ही नहीं हम दोनों बहुओं में भी इस घर में बहुत फर्क समझा जाता हैं , मैं भी तो कब से अलग होने की राह देख रही हूं !!
उसी रात राधा के भाई का फोन आ जाता है और वह कहता हैं कि मां की तबीयत खराब है और वह तुमसे मिलना चाहती हैं !!
दूसरे दिन राधा के भाई को घर आया देख मगनलाल जी और चंदा जी हैरान रह जाते हैं , राधा का भाई बताता है कि उसकी मां की तबीयत खराब है और वह राधा को ले जाना चाहता हैं !!
राधा एक खत लिखती है और मगन लाल जी की डायरी में वह खत रख देती हैं , वह जानती है कि मगनलाल जी रोज डायरी लिखते हैं इसीलिए उसका खत शायद वह पढ़ लेंगे और अपने भाई के साथ कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जाती है !!
राधा के मायके जाने के बाद घर के काम की जिम्मेदारी चंदा जी पर आ जाती हैं क्योंकि आभा के मुड़ पर आधारित होता था !! उसका मुड़ अच्छा होता तो वह काम करती वर्ना काम पडा रखती मगर चंदा जी को घर के काम ऐसे पड़े रखना अच्छा नहीं लगता इसलिए वह घर के ज्यादातर काम कर देती !!
मगन लाल जी रात को जैसे ही डायरी खोलते हैं उन्हें बहू राधा द्वारा लिखा खत मिलता है !! खत में लिखा होता है पापा जी आपने कल मुझे बोलने का मौका नहीं दिया लेकिन आपने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैंने आभा को थप्पड़ क्यों मारा था और सोमन ने उनके छोटे भाई का कॉलर क्यों पकड़ा हुआ था बस यही बताने यह खत लिखा है !!
पापा जी उस दिन मेरी बेटी रिया के हाथ से कांच का गिलास फूट गया था जो देख आभा बोली लंगडी कहीं की !! देखकर भी नहीं चल सकती क्या ?? इतना महंगा ग्लास फोड़ दिया !!
पीछे से राज भैया बोले इतना महंगा ग्लास फोड़ दिया अब उसका हर्जाना कौन भरेगा ते रा बाप ?? कहकर दोनों रिया को डांट लगा रहे थे !!

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बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 2 ) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

स्वाति जैन

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