प्रसव-पीड़ा – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : स्नेहा प्रसव-पीड़ा से कराह रही थी और नर्स उसे बार-बार सांत्वना दे रही थी कि बस थोड़ी देर और… सब ठीक हो जायेगा।स्नेहा को दर्द से छटपटाते देख सुकेश नर्स से पूछता,” ऐसा कब तक…और कितना टाइम..।” जवाब में नर्स कहती,” हैव पेशेंस…फ़र्स्ट बेबी है, ऐसा तो होता ही है।” … Read more

 उपेक्षा का प्रतिफल – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

   Moral stories in hindi : ” तो ऐसा कौन-सा तीर मार लिया आपके लाडले ने जो मिठाई खिलाऊँ।” थाली में एक रोटी और थोड़ी-सी सब्ज़ी रखकर अनिरुद्ध के सामने पटकते हुए सुशीला जी बोलीं तो दिवाकर बाबू मन में बोले,” मिठाई न सही, अपने शब्दों में मिठास तो घोल ही सकती हो।आज मेरा बेटा का … Read more

तुमसे न हो सकेगा –  विभा गुप्ता : Short Stories in Hindi

    ” बधाई हो निशिकांत जी, लक्ष्मी आई है आपके घर में।आप नाना बन गये हैं।” कहते हुए नर्स ने एक नवजात शिशु को निशिकांत जी की गोद में दे दिया।बच्ची के नन्हें-नन्हें हाथों को स्पर्श करते ही उनका वात्सल्य आँसू बनकर उनकी आँखों से छलकने लगा।बच्ची की आँखें देखकर उन्हें लगा जैसे रूही ही उनकी … Read more

मेरे पापा – विभा गुप्ता : short stories in hindi

” एक बार कह दिया न आपको कि मेरा कन्यादान वो नहीं करेंगे।मेरे साथ आप अकेली ही बैठेंगी।” दुल्हन बनी रीमा चीखते हुए अपनी माँ मालती से बोली तो मालती ने पीछे मुड़कर अपने पति यशवंत को देखा जो दरवाजे के बाहर ही खड़े होकर बेटी के जवाब का इंतज़ार कर रहें थें। रीमा तब … Read more

 माफ़ी का क्या करुॅं – विभा गुप्ता

” कंचन सुन, चाय के साथ थोड़ी पकौड़ियाॅं भी तल लेना। मेरी रेशमा काॅलेज से थकी-हारी आई है, बेचारी को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, मोटी- मोटी किताबों में सिर खपाना….।”   ” जानती हूँ मामी।रेशमा के लिए पकौड़ियाॅं भी तल दूॅंगी।” कंचन ने अपनी मामी मालती से कहा और प्याज काटने लगी।       कंचन मालती जी … Read more

मैं हूँ ना –  विभा गुप्ता

 ” भईया, रुनझुन की शादी कैसे होगी?लड़के वालों की डिमांड तो कुछ भी नहीं है, फिर भी खाली हाथ बेटी को कैसे विदा कर दूॅं।जेठ जी ने तो पल्ला झाड़ लिया है।रुनझुन के पापा रहते तो मुझे कोई चिंता ही नहीं रहती लेकिन….।” कहते हुए देवकी रोने लगी तो नारायण बाबू बहन के कंधों पर … Read more

 ‘ सच्चा सुख ‘ –   विभा गुप्ता

 आज पूरा घर रंग – बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।ममता दुल्हन बनी अपने होने वाले पति के सपनों में खोई बारात के आने का इंतज़ार कर रही थी।बचपन से वह राजकुमार-सा पति ,बड़ी गाड़ी , नौकर- चाकर और सुख -सुविधाओं से भरे घर का सपना देखती आई थी जो आज पूरा होने जा रहा … Read more

 इंसानियत का रिश्ता – विभा गुप्ता

मेरे पति का तबादला एक नये शहर में हुआ था।घर के कामों के लिए मैंने एक नौकरानी रखी थी जो समय पर आकर सारा काम कर जाती थी।मैंने नोटिस किया कि बाल-बच्चेदार होने के बावज़ूद भी उसे घर जाने की जल्दी नहीं होती है।एक दिन मैंने उससे पूछ लिया, ” रागिनी,तेरे बच्चे कितने हैं?, उनकी … Read more

 ‘ स्वाभिमान है, अभिमान नहीं ‘ – विभा गुप्ता

” विपिन, एक जगह बैठ नहीं सकते,तो चले जाओ यहाँ से।तूने तो मेरे नये कुरते का सत्यानाश कर डाला।” नितिन बाबू अपने छोटे भाई पर चिल्लाये जो अपनी बैसाखी के सहारे चलकर पानी पीने आया था,हाथ से गिलास छूट गया और पानी के कुछ छींटें उनके नये कुरते पर पड़ गये।फिर उन्होंने विपिन की पत्नी … Read more

 अहंकार कभी न करना   –  विभा गुप्ता 

   ” सुनो, अगर आप इजाज़त दो तो मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर लूँ।” विनिता ने अपने पति विनय से पूछा जो ऑफ़िस की कुछ फ़ाइलों को देखने में व्यस्त था।पत्नी की बात सुनकर उसने तुरन्त हाँ कह दिया क्योंकि वह भी चाहता था कि विनिता अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर ले।               विनिता अपने चार भाईयों के … Read more

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