माँ का अधिकार – संगीता त्रिपाठी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुबह खाने की टेबल पर सबको पराठे परोसते उमा बेटे से बोली, “रात तुम लोग देर से आये हो..”       “तो क्या हुआ मम्मी जी, पार्टी में गये थे, थोड़ा देर हो जाना स्वाभाविक है…”बहू ने चिढ़ कर जवाब दिया.।        “हाँ.. मै कुछ कह नहीं रही, ऐसे ही पूछ रही थी..”पति … Read more

कर्मो का हिसाब – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : जब से समारोह से प्रकाश जी आये कुछ अनमने से दिख रहे थे, लतिका ने पूछा भी “तबियत ठीक है “..।    “थोड़ा सरदर्द है आराम करूँगा तो ठीक हो जायेगा, “कहते हुये वे बैडरूम में चले गये, कपड़े बदल बिस्तर पर लेटते ही फिर समारोह उनके सामने चलचित्र की तरह … Read more

जज्बातों के रंग – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सर्दियों की शुरूआत थी,गुलाबी ठण्ड पड़ने लगी थी।स्वेटर की जरूरत जल्दी ही पड़ेगी ये सोच मैंने बॉक्स खोला, सबके स्वेटर को निकाल ही रही थी कि नजर पीले रंग से बुने उस स्वेटर पर पड़ी जो सबसे नीचे दबी हुई थी। उसे देख मेरी यादों की पोटली भी खुल गई। … Read more

वो पुरुष है…. – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

“बधाई हो, आपके घर नन्हा मेहमान आने वाला है “डॉ. की बात सुनते ही रूपा के चेहरे पर मुस्कान छा गई, पति अरुण के चेहरे पर चिंता की लकीरें देख रूपा ने मुँह बनाया,”पुरुष लोग भी कितने अजीब है, सिर्फ अपनी ही सोचते है ..बिसूरने दो…., मन के विचार झटक रूपा ने सबसे पहले अपनी … Read more

स्वाभिमान जाग उठा – संगीता त्रिपाठी 

छनाक…. आवाज सुन कर रमा जी भागी -भागी बाहर के कमरे में आई, जहाँ शीशे का गिलास कई भाग में टूटा पड़ा था। निगाहें कोने में गई, जहाँ पाखी आँखों में आँसू भरे थर -थर काँपती खड़ी थी। रमा जी समझ गई, आज फिर प्रसून और पाखी में झगड़ा हुआ।   “हड़बड़ी में कोई काम ठीक … Read more

मॉर्डन होना कपड़ों से नहीं विचारों से होता हैं… – संगीता त्रिपाठी

ऑफिस जाते समय राघव ने रीना से कहा -अगले हफ्ते  गोवा में मेरा चार दिन का सेमीनार हैं ,दो दिन वीकेंड के मिल जायेंगे तो पूरा हफ्ता गोवा में मस्ती ,तुम लोग चलने की तैयारी कर लो। हुर्रे.. तनु और मयंक दोनों उछल पड़े पापा आप ग्रेट हो…।रीना मुस्कुरा कर बोली -ये दल बदलू बच्चे … Read more

संस्कार के नाम पर. – संगीता त्रिपाठी

“शोभा सुना है तू और देवर जी पायल को उसकी ससुराल से वापस ले आये, कुछ समझ है तुम लोगों को, बेटी अपने घर में ही सोहती है,हमारे घर का यही संस्कार है, शादी हो गई, चाहे जैसा ससुराल हो बेटियों को ही निभाना है।”रमा जी ने देवरानी शोभा को डांटते हुये कहा।      शोभा तो … Read more

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