नसीहत – संध्या सिन्हा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “माँ तुम्हारे खर्चे बढ़ते ही जा रहे है… कोई कंट्रोल नहीं है तुम्हारे खर्चे पर… तुम्हें ज़रा भी अंदाज़ा है कि.. कितनी मेहनत से हम पैसा कमाते है…तुम हो कि… हमने कोई धर्मशाला नहीं खोल रखी है जो…नित्य तुम्हारे रिश्तेदार मुँह उठाए चले आते है…अब पापा नहीं है.. ये घर … Read more

मैं उसकी होने वाली पत्नी ही नहीं… किसी की बेटी भी हूँ – संध्या सिन्हा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : राधा की बेटी कि सगाई अभी दो महीने पहले ही हुई थी और चार माह बाद ब्याह होने को हैं। आजकल वो और उसका पति उसी की तैयारी में लगे रहते हैं।  आज दोनों उसके लिए कुछ अपने पुराने ज़ेवर के बदले और कुछ पैसे लगा कर दो सेट ज़ेवर … Read more

एक गृहलक्ष्मी की चाह “आत्मसम्मान” – संध्या सिन्हा: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रसोई का सारा काम निपटा कर विभा अपने बेडरूम में आयी तो देखा वैभव बड़े आराम से सो रहे थे लेकिन तकिया नीचे गिरा हुआ था। उसने एक प्यार भरी निगाह ड़ालते हुए तकिया बेड़ पर रख कर शावर लेने चली गयी। लौट कर आयी तो वैभव को कोई किताब … Read more

सुधा बुटीक – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

दूसरों को मदद करके इंसान को जो सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती हैं. वह कहीं और नहीं होती हैं।जितनी अजीब ये बाहर की दुनिया है, उससे भी ज्यादा अजीब हमारे अंदर की दुनिया है। सुधा हमारे ही पड़ोस में रहती है, बहुत ही सुंदर, सुशील और गुणी-सहुरदार। पर कहते है ना दुनिया में सब … Read more

स्नेह के तार – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  मेरी छोटी बहन की शादी की सिल्वर जुबली में मेरा मायके जाना हुआ क्योंकि मेरी छोटी बहन भी उसी शहर में रहती हैं। शाम की पार्टी में जब मैं उसके घर पहुँची तो अजीब सुखद अहसास हुआ मुझे।,मेरी माँ के पास मेरी इकलौती मामी बैठी थी। वह मुझे देख कर … Read more

क़ाबिलियत और सपने! – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“शिवानी अधिकारी मछली शहर की पहली आई.पी.स. बनीं।”आज के अख़बार की हेडलाइन पढ़ा तो नाम कुछ जाना-पहचाना लगा… ध्यान से फ़ोटो देखी…. अरे!… यह तो मेरी स्कूल की सखी मिताली की बेटी है। क़रीब दो बरस पहले मेरी बात हुई थी उससे, तब बहुत परेशान थी। बेटी शिवानी आगे पढ़ कर कुछ बनना चाहती थी … Read more

समझौता नहीं समर्पण – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “ अरे! यह क्या शुभी तुमने चाय के साथ वो वाले नमकपारे नहीं दिए माँ ने अपने हाथों से बनाकर भेजे थे।” “ इतने नमकीन तो है ना नाश्ते के बाउल में तभी आपको चैन नहीं, “भुनभुनाते हुवे वह नमक पारे लेने चली गयी। और राहुल मुस्कुराता रहा। कविता को … Read more

चाँद पर थूकना – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“ बेटा तेरा गला नंगा क्यों हैं?” “ पहना तो है मंगलसूत्र माँ।”गले में हाथ फिरते हुए …अरे! मेरा मंगलसूत्र… कहाँ  गया…”संजना बोली। “देख बेटा कहीं उतर जार रखा होगा तुमने।” “ नहीं माँ! मैंने कहीं नहीं रखा… जब से तुमने बताया कि.. किसी भी माँ को अपना गला ख़ाली नहीं रखना चाहिए… तब से … Read more

दिया और बाती हम…. – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज आठ बजने को आए और निलेश अभी तक ऑफ़िस से नहीं आए… फ़ोन भी नहीं उठा रहे… शायद ड्राइव कर रहे है… नीता ने मन में सोचा… पर फिर भी थोड़ी आशंका से दिल घबरा भी रहा था…वह बार-बार ईश्वर से निलेश की रक्षा की प्रार्थना कर रही थी … Read more

धोखा… अपने ही देते है धोखा….ग़ैरों में कहाँ दम है! – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

” चाचा उस प्लाट के पेपर होंगे आपके पास, दे दीजिए प्लीज़ हमें।” ” कौन से पेपर और कौन सा प्लाट???” ” अरे! वही प्लाट और पेपर, जो पापा ने आपके कहने पर ख़रीदा था।” ” अरे! वह तो’ भू-माफ़ियों के क़ब्ज़े में है।” ” कैसे और कब ???चाचा आपने बताया नहीं कभी।” “ क्या … Read more

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