“अहंकार की आग”- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

करीने से सजी हुई मिठाई की टोकरियों में से मोनू ने धीरे से एक मिठाई निकाल ली। छोटे भाई ने देखा तो वह भी धीरे-धीरे टोकरियों के पास सरकते हुए गया और जैसे ही एक टोकरी में हाथ डाला माँ कमरे में से चीखते हुए आई-” नालायक कहीं का….बोली थी न कि ये मिठाइयां मामा … Read more

तुम्हारी माँ- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

मैके से विदा होकर ससुराल आने के बाद सिमी बहू होने की सारी रस्में निभाते- निभाते चूर हो गई थी। वैसे भी ल़डकियों को शादी में सप्ताह दिन पहले से ही अनेकों रस्म-रिवाज भूखे प्यासे निभाने पड़ते हैं ।सो थकान के कारण वह बैठे बैठे ऊँघ रही थी। सिमी को सबने मिलकर उसे अपने कमरे … Read more

“कैसी इज्जत” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

“नालायक कहीं का!” मेरी इज्जत का जरा भी परवाह नहीं है इस लड़के को! इंजीनियरिंग की डिग्री क्या मिल गई अपने आप को ज्यादा काबिल समझने लगा है। बाप का सिर झुकाने पर लगा है।मेरा सारा इज्जत प्रतिष्ठा मिट्टी में मिला देगा यह लड़का! “ पिताजी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। वह … Read more

“मनहूसियत” (भाग दो) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा 

माँ,तुमने तो मेरे मूंह की बात कह डाली। मैं तो सोच रहा था पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कहने की। आखिर किस तरह और कैसे कहता…समझ नहीं आ रहा था। चलो अच्छा हुआ तुमने मेरे मन की बात खुद ही कह दिया। छोटी को देख रिया भी खुश हो जायेगी।  मैं तीन टिकट … Read more

मनहुसीयत – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ओह्ह माँ.. तुम मना मत करना। तुमको आना ही होगा। आओगी न! “पर बेटा, मैं बूढ़ी अपना ही काम खुद से नहीं कर पाती वहां जाकर क्या करूंगी। वहाँ और बोझ बन जाउंगी तुम लोगों के माथे पर!” ” माँ ..वो सब मैं कुछ नहीं जानता बस तुम हाँ कर … Read more

“प्रतिरोध” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

मानसी बुआ आज बहुत खुश थीं। चंदेरी साड़ी और बालों में गजरा लगाए वह पूरे हवेली में चक्कर लगा रही थीं। खुश होने का कारण भी था उनके बेटे की शादी जो तय हो गई थी। सगुन का दिन आज के लिए ही निकल आया था। लड़की वाले पंहुचने वाले थे।  इतने सालों के बाद … Read more

लौट आओ नर्मदा ” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

सावन का महीना शुरू होते ही शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इंद्र भगवान जोर शोर से अपने काम में लग गये थे। भोले नाथ पर अभिषेक करने के लिए रात दिन जल बरसा रहे थे । हर ओर हर -हर महादेव का नाद गूंज रहा था। शिवजी की प्रिया “प्रकृति” की छटा देखते … Read more

  ” पाखी ”  – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

सुबह- सुबह एक हाथ में चाय की प्याली और दूसरे हाथ में पानी का ग्लास लिए चाची कमरे में घुसी और जोर -जोर से बोलने लगी, अजी सुनते हैं जल्दी उठिए  पेपर में रमाकांत जी की बेटी का नाम छपा है ।  पूरे जिले में टॉप आई है। नाम रौशन कर दिया माँ- बाप का … Read more

“मेरी चाहतें” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : अपने बड़े से हवेली जैसे घर में बिनोद बाबू अपनी पत्नी सुधा जी के साथ फिलहाल अकेले हैं। कहने का मतलब है कि बेटियों की शादी हो चुकी है ।दोनों बेटों में से एक विदेश में सेटल है और दूसरा बंगलूर में इंजीनियर है। वही कभी-कभी पर्व- त्योहार में आ … Read more

error: Content is Copyright protected !!