“समझौता अब नहीं” – समिधा नवीन वर्मा : Moral Stories in Hindi
बाजार में अचानक अपने बचपन की सहेली को देख मुझसे रहा नही गया । मैने उसे आवाज़ लगाई। उसने मुड़कर देखा भी ,पर न जाने क्यूं मुझे अनसुना कर वो तेजी से आगे बढ़ गई । मुझे लगा वो मुझे नज़रअन्दाज़ कर रही है । बारहवीं तक मै और विशाखा साथ साथ पढ़े थे ।स्वभाव … Read more