अरमान – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : आज शिल्पी के अरमान सारे चकनाचूर हो गए।उदास चेहरा, खाली आंखें,बेतरबी से पहने हुए कपड़े, बेपरवाही से बांधे हुए बाल।उसे देखकर मन दुखी होता है सोंचता हूं क्या यह वही शिल्पी है, हंसती ,खिलिलाती,सजी संवरी सी ढंग का पहनावा , अल्हड़ , मदमस्त सी क्या हो गया क्या से क्या हो गया शिल्पी के साथ आइए चलते हैं शिल्पी के अतीत में।

                पांच बहनें दो भाइयों में सबसे छोटी थी शिल्पी। धीरे धीरे सभी बहनों की शादी हो गई और वे अपने घर चली गई , भाइयों की तो पहले ही हो चुकी थी क्योंकि वे सभी बहनों से बड़े थे ।घर में धन संपत्ति की कोई कमी न थी पिता जी को बुढ़ापे में कुछ ग़लत लत लग गई थी अन्यथा न लें लाटरी के टिकटों को खरीदने की ।

उसमें एक बार जीत गए तो लत बढ़ती गई।लालच बुरी बला।घर का बिजनेस था कुछ भाइयों ने भी धीरे-धीरे पैसा निकाल कर अपने पास जोड़ने लगे ।अब तो भाई के बच्चे भी जवान हो चुके थे उन लोगों ने भी घर का पैसा खूब बर्बाद किया।घर में एक जवान बहन बैठी है शादी के लिए इसका किसी को होश नहीं रहा। धीरे धीरे बिजनेस चौपट होने लगा।

मां बहुत चिंतित रहती थी शिल्पी की शादी के लिए मेरे सामने उसकी शादी हो जाए । लेकिन किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगती थी ।सब अपने अपने कामों में व्यस्त थे ।इधर शिल्पी को भी महसूस होने लगा कि 28 की हो गई हूं पर मेरा किसी को खयाल ही नहीं है।

                   मां ने बहनों से कहा शिल्पी के लिए कोई लड़का देखो।मैं शिल्पी से दस साल बड़ी थी फिर मैंने कोशिश करनी शुरू की । फिर मुझे मेरे शहर में ही एक लड़का मिल गया बातचीत चलाई तो आपस में देखने सुनने को तैयार हो गये।और अंत में उन लोगों को शिल्पी पसंद आ गई। पसंद तो करना था शिल्पी का गोरा रंग अच्छी हाइट पढ़ने लिखने में होशियार , इंग्लिश से एम,ए  किया था नाच गाने का बेहद शौक रखती थी ।

और लड़का जो उसके लिए देखा था वो दुबला पतला और हाइट भी औसत ही थी ,हंलाकि परिवार बहुत अच्छा था तीन लड़के थे पढ़ाई-लिखाई का माहौल था पिता जी इंटर स्कूल में टीचर थे । दोनों लड़कों ने एम बीए कर रखा था एक शिल्पी के लिए जिसको पसंद किया था उसकी पढ़ाई ठीक से बता नहीं रहें थे बाद में पता लगा कि उसने सिंपल सा बी काम किया है ।

घर में सारे संगीत का शौक रखते थे सारे वाद्म यंत्र घर में थे । गाने बजाने का माहौल था । मेरे मां और भाइयों को लड़का पसंद नहीं था । लड़के वाले घर पर बुलाया हम लोगों को घर देखने को हम लोग शिल्पी को भी साथ ले गए ।घर का माहौल देखकर शिल्पी तो फिसल गई संगीत भरा माहौल देखकर सारे वाद्म यंत्र घर में हंसी ठिठोली का माहौल कोई पर्दा नहीं शिल्पी को सबकुछ अच्छा लगा । मां के मना करने के बाद शिल्पी अब गई कि मुझे तो शादी यही करना है ।

शायद शिल्पी को आभास था कि घर में कोई मेरे ऊपर ध्यान नही दे रहा है यहां लड़का थोड़ा देखने सुनने में कम है लेकिन मेरे मन माफिक माहौल मिल रहा है तो ठीक है और उसने हां कर दी सबके विरोध के बावजूद।जब उसने हमसे कहा दी मुझे तो यही शादी करनी है तो फिर मैं भी तैयार हो गई । 

                ऐसे ही शादी का दिन भी आ गया शिल्पी के ससुर ने ऐन शादी के वक्त कुछ पैसों की मांग रख दी जो भाई और पिता जी देने को तैयार न थे तो शिल्पी की खातिर हम बहनों ने मिलकर उनकी मांग पूरी की । शिल्पी की शादी हो गई और वह बहुत खुश भी थी । लेकिन शिल्पी की ख़ुशी ज्यादा दिन तक यह नहीं पाई पति अजीब अजीब लांछन लगाने लगा कि ये तो रात में उठकर चलती है किसी को पुकारतीं है बातें करती है बेसिर पैर की बातें ।

             शिल्पी के पति की कोई खास नौकरी नहीं थी , दवाइयों की कंपनी में एम,आर था । बाकी दोनों भाई अच्छी नौकरी पर आ गए थे । धीरे धीरे परत दर परत राज खुलने लगे । शिल्पी का पति बहुत शक्की मिजाज का था शिल्पी के पति को छोड़ कर शिल्पी के चारों जीजाजी काफी हैंडसम थे , उसने धीरे धीरे मेरे घर भी आना जाना बंद करा दिया शिल्पी का कहता तुमहारा जीजा जी से चक्कर है ।

ऐसा बोल कर उसने शिल्पी को मेरे घर आने से मना कर दिया। जबकि हम दोनों एक ही शहर में रहते थे। मायके भी नहीं जाने देता था मां बिचारी मिलने को तरसती रहती थी शिल्पी किसी से बात नहीं कर सकती थी किसी के साथ खड़ी नहीं हो सकती थी हर समय वो उसके साथ मौजूद रहता था कि कहीं शिल्पी घर की कोई बात न बता दें।

उसके इस आदत ने नौकरी पर भी असर डाला जल्दी जाता ही नही था नौकरी पर घर में शिल्पी की चौकीदारी करता ।सांस ससुर का भी रवैए धीरे धीरे बदलने लगा । फिर शिल्पी गर्भवती हो गई उसने बेटी को जन्म दिया उस समय भी उसकी कोई देखभाल नहीं की गई और बात बात में मायके से पैसा मंगाने की सब जिद करने लगते।इधर मायके में भी सबकुछ खत्म हो गया था बिजनेस पूरी तरह ठप्प हो गया था ‌।

शिल्पी का पति कुछ मानसिक रूप से भी अस्वस्थ था अजीब अजीब हरकतें करता था। धीरे धीरे पता लगा कि वो नशा करता है ड्रग्स का इसी चक्कर में वो शिल्पी पर हाथ भी उठाने लगा। शिल्पी ने अपनी जबरदस्ती से शादी की थी इसलिए वो मायके में भी किसी को कुछ नहीं बता सकती थी ।भाई वगैरह पूछते नहीं थे मां की चलती नही थी तो किसको बताए अपनी परेशानी शिल्पी फिर गर्भवती हो गई इसबार उसने एक बेटे को जन्म दिया ।

               फिलहाल बच्चे किसी तरह बड़े हुए मैं अगर पूरी कहानी बताने बैठुगी तो बहुत ज्यादा हो जायेगा ।अब बच्चों को स्कूल जाने की बारी आई तो घर में सब कहते पैसे नहीं है । परेशान होकर शिल्पी ने घर में ट्यूशन कर लिया लेकिन चंद पैसों से क्या होता है। बच्चों की जरूरत भी घर में कोई पूरी नहीं करता था।

पति को जो कुछ पैसा मिलता था खा-पीकर उड़ा देता था।और जब शिल्पी कुछ पैसे मांगती तो मारा-पीटा करता था। फिर शिल्पी ने स्कूल में एक छोटी सी नौकरी कर ली पहली तनख्वाह दो हजार रुपए मिले थे बहुत खुश थी शिल्पी कि चलो कुछ तो मिले लेकिन रात में कमरे में बंद करके शिल्पी के सारे पैसे पति ने छुडा लिए बहुत रोई थी उस दिन शिल्पी ।सास ससुर भी कुछ नहीं कहते थे बेटे की ऐसी हरकत पर । उल्टा शिल्पी को ही ग़लत बताते।

जैसे तैसे जिंदगी से जूझते हुए शिल्पी निराश हो चुकी थी की बार उसने आत्महत्या करने की भी सोंची लेकिन बच्चों की ममता हर बार उसे बचा लेती थी । शिल्पी के सारे अरमान पानी में बह गए क्या सोंचा था और क्या हो गया ।और फिर एक दिन ड्रग्स की ज्यादा खुराक लेने पर शिल्पी के पति की मौत हो गई । शिल्पी आसमान की तरफ एकटक शून्य में देखें जा रही थी । एकं एक कर सारे अरमान टूट कर बिखर गए शिल्पी के ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

2 सितम्बर 23

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