अपने हैं तो सपने हैं” –  सुधा जैन

अरे मम्मी ,क्या हुआ? आप तो रो रही हैं, क्या फिर कोई दिल दुखाने वाली मूवी देख ली ?

बेटे शुभम ने देखा ,मम्मी एक शार्ट मूवी देख रही है जिसमें बेटा अपनी मां को एयरपोर्ट पर छोड़कर विदेश चला जाता है ,और मां अपना सब कुछ खोकर रो रही है। यह देख कर शुभम की मम्मी की आंखों में भी आंसू आ गए ।शुभम प्यार से अपनी मम्मी से बोला “अरे मम्मी क्यों देखते हो ऐसी मूवी ,जिससे आपके दिल में दर्द होता है …

रियल जिंदगी अलग है और यह मूवी अलग है ,रियल लाइफऔर रील लाइफ में बहुत फर्क है। 

 तब मम्मी कहने लगी कहीं ना कहीं तो ऐसा होता होगा… तब तो ऐसी मूवी बनती है… खबरें भी सुनने को मिलती है… वृद्ध आश्रम  बढ़ रहे हैं… वृद्धों की व्यथा कथा से हमेशा मन दुखी हो जाता है….. तब बेटे शुभम ने अपने हाथों में अपने मम्मी का हाथ लिया और कहा” होता होगा, मम्मी कहीं ना कहीं होता होगा, क्योंकि अपवाद हर जगह है, पर आप तो ज्यादा दूर मत जाओ… अपने आसपास ही देखो तो आपको हर कदम पर महसूस होगा कि अपने तो अपने होते हैं…. याद करो 2 वर्ष पहले कोरोना की चपेट में फूफाजी आ गए थे ,तबीयत  कितनी बिगड़ गई उन्हें इलाज के लिए बाहर ले जाना पड़ा ,तब फूफा जी के बेटे अंशुल भी उनके साथ गए और वहीं पर एक होटल में रुके… क्योंकि अस्पताल में तो किसी को भी रुकना अलव नहीं था और इतनी सारी परेशानी के बाद भी अंशुल फूफाजी को स्वस्थ करके घर पर लौटा।

 आपके भाई और मेरे मामा जी पिछले 3 वर्षों से नानाजी बिस्तर पर है, उन्हें संभाल रहे हैं, वह भी बिना किसी शिकवा शिकायत के.. प्रेम पूर्वक …कभी भी उपेक्षा का भाव नहीं लगा…



 नानी जी की भी मामीजी ने खूब सेवा की, हम सबकी देखी बात है। मेरे पापा भी दादाजी की सेवा में हर वक्त लगे ही रहते हैं। कभी भी उनको शिकायत का मौका नहीं देते। आप भी अपने ससुराल और मायके दोनों से कितना तालमेल बनाकर चलते हैं।  बड़ी बुआ के यहां जब फूफा जी शांत हो गए थे ,तब आपने बुआ का कितना साथ दिया, और उनके दुख भरे समय को निकाला। छोटी बुआ और आप तो पिछले 25 सालों से पड़ोसी हैं, पर मजाल है रिश्ते में जरा सी भी कड़वाहट आ जाए, इतने प्यार से रहते हैं, और हां अभी जब पापा की तबीयत खराब हुई तब छोटी बुआ के बेटे अंशुल और अनुराग ने पापा का कितना ख्याल रखा है, उन्हें एक पल भी अकेला नहीं छोड़ा। अंकल जी का बेटा लाभम भी आपके लिए दिन रात दौड़-धूप करता रहा ।

आपकी बहन ने और सभी पारिवारिकजन एक दूसरे की कितनी केयर करते हैं। जरा सी बात पर सब इकट्ठे हो जाते हैं और मदद करते हैं। अंकल जी, आंटी जी बुआ जी ,फूफा जी मामाजी, मामी जी, मासज जी मासी जी आपके मित्र परिचित सभी इतने सहयोग और प्यार से रहते हैं। आपके आसपास जितने भी परिवार हैं ,सभी अपने माता पिता के साथ कितने खुशहाल तरीके से रह रहे हैं ।आपको कभी भी अपने मन को नकारात्मकता की ओर नहीं मोड़ना चाहिए ,बेटा अपनी मम्मी को समझा रहा था।

 इतने में बहू श्रेया भी आ गई और बोली” हां मम्मी ,आपको बिल्कुल भी चिंता नहीं करना चाहिए आपको पता नहीं ,शुभम आपकी कितनी चिंता करते है और जब शुभम चिंता करते है तो स्वाभाविक है कि मैं भी चिंतित हो जाती हूं… तब मैंने श्रेया के सिर पर हाथ रख कर कहा” हां मुझे इस बात का तो पूरा विश्वास है… तुम दोनों हमारी बहुत फिक्र करते हो.. तब तो हम इलाज के लिए तुम्हारे पास बेंगलुरु आ गए हैं ..और हमें कितना प्यार और केयर से रख रहे हो …मेरा मन बहुत ही खुश हो जाता है, और मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूं कि मैंने ऐसे पुत्र और पुत्रवधू पाई.. मेरे मन की चिंता अब खत्म हो गई थी… और सोचने लगी थी कि ये युवा पीढ़ी कितनी प्रैक्टिकल होकर सोचती है ,और कितनी अच्छी भावनाएं रखती है… दुनिया चाहे कुछ भी कहती रहे… लेकिन अपने माता, पिता ,बेटे, बहू, भाई ,बहन कभी भी हमसे दूर नहीं हैं, और कभी भी महसूस कर लो… हमेशा इस बात को सत्यता के करीब पाओगे की अपने तो अपने होते हैं।

 

 सुधा जैन

 मौलिक रचना

 

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