अनमोल प्यार – गोमती सिंह

नंदिनी ने अपने बेटे का ब्याह बड़ी धूमधाम से किया , बहू भी बहुत ही खूबसूरत और पढी-लिख मिली थी , मगर नंदिनी को बहू की एक बात खलती थी उसकी बहू सुबह बहुत देरी से सोकर  उठती थी ।लगभग 9 बज जाते थे उसके उठते उठते । एक दो दिन तो सभी ने नजरअंदाज किया ।और इस एक दो दिन के अंदर में घर के सभी मेहमान अपने-अपने घर वापस चले गए।  रह गई दोनों बेटियाँ, वो दोनों भी आजकल की लड़कियां पुराने ढर्रे पर नहीं चलती , ऐसा कहकर समझौता करते हुए वे दोनों भी ससुराल वापस चलीं गईं।  अब रह गई बेटा – बहु और नंदिनी ।

            इन सब के सिवाय घर में एक काम करनें वाली महिला आती थी, जो सुबह 8 बजे आ जाती थी । उस वक्त नंदिनी की बहु सोई रहती थी । नई बहु की गतिविधियों पर प्रायः सभी की नज़र होती है परिस्थितिवस वह काम वाली महिला नंदिनी से चुगली के अंदाज में कहनें लगी — नई बहुरिया बहुत देर में सोकर उठती हैं न माँ जी ! नहीं नहीं ऐसा मत बोल , अभी घर में काम ही क्या है जो भोर में उठेगी , चल जा तू अपना काम कर ऐसा कहकर उसे हल्का सा झल्लाने लगी । नंदिनी को फर्क नहीं पड़ता था कि उसकी बहु देरी से उठती है मगर आस-पड़ोस के लोग चार बातें न बनाए ये सोचकर काम वाली को जाते समय प्यार से पास बुलाई और कहने लगी सुन – ये 100₹ रख ले और घर की बात कहीं भी बाहर मत कहना ,समझ गई ,जा तेरा भला हो, इस तरह उसे विदा किया ।

             इन सभी बातों को अपने कमरे में अलसाई सोती हुई बहु ने सुन लिया उसकी तो जैसे दिमाग की घंटी बज गई वह तुरंत उठी और अपने सासु माँ के करीब जाकर बैठ गई नंदिनी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-उठ गई बेटी-  जा मुंह धो ले , जी माँ जी कहकर बहु अपनी सासु माँ के करीब और चिपक कर लटक गई और इस अनमोल प्यार के आगे अपनी गलती स्वीकार कर ली । माँ जी मुझसे गलती हो रही थी मुझे माफ करिए आज से सुबह 6 बजे उठ जाया करूँगी। नहीं बहु इसमें कोई गलती नहीं है तुम अपने हिसाब स कहानी ” अनमोल प्यार “

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नंदिनी ने अपने बेटे का ब्याह बड़ी धूमधाम से किया , बहू भी बहुत ही खूबसूरत और पढी-लिख मिली थी , मगर नंदिनी को बहू की एक बात खलती थी उसकी बहू सुबह बहुत देरी से सोकर  उठती थी ।लगभग 9 बज जाते थे उसके उठते उठते । एक दो दिन तो सभी ने नजरअंदाज किया ।और इस एक दो दिन के अंदर में घर के सभी मेहमान अपने-अपने घर वापस चले गए।  रह गई दोनों बेटियाँ, वो दोनों भी आजकल की लड़कियां पुराने ढर्रे पर नहीं चलती , ऐसा कहकर समझौता करते हुए वे दोनों भी ससुराल वापस चलीं गईं।  अब रह गई बेटा – बहु और नंदिनी ।

            इन सब के सिवाय घर में एक काम करनें वाली महिला आती थी, जो सुबह 8 बजे आ जाती थी । उस वक्त नंदिनी की बहु सोई रहती थी । नई बहु की गतिविधियों पर प्रायः सभी की नज़र होती है परिस्थितिवस वह काम वाली महिला नंदिनी से चुगली के अंदाज में कहनें लगी — नई बहुरिया बहुत देर में सोकर उठती हैं न माँ जी ! नहीं नहीं ऐसा मत बोल , अभी घर में काम ही क्या है जो भोर में उठेगी , चल जा तू अपना काम कर ऐसा कहकर उसे हल्का सा झल्लाने लगी । नंदिनी को फर्क नहीं पड़ता था कि उसकी बहु देरी से उठती है मगर आस-पड़ोस के लोग चार बातें न बनाए ये सोचकर काम वाली को जाते समय प्यार से पास बुलाई और कहने लगी सुन – ये 100₹ रख ले और घर की बात कहीं भी बाहर मत कहना ,समझ गई ,जा तेरा भला हो, इस तरह उसे विदा किया ।

             इन सभी बातों को अपने कमरे में अलसाई सोती हुई बहु ने सुन लिया उसकी तो जैसे दिमाग की घंटी बज गई वह तुरंत उठी और अपने सासु माँ के करीब जाकर बैठ गई नंदिनी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-उठ गई बेटी-  जा मुंह धो ले , जी माँ जी कहकर बहु अपनी सासु माँ के करीब और चिपक कर लटक गई और इस अनमोल प्यार के आगे अपनी गलती स्वीकार कर ली । माँ जी मुझसे गलती हो रही थी मुझे माफ करिए आज से सुबह 6 बजे उठ जाया करूँगी। नहीं बहु इसमें कोई गलती नहीं है तुम अपने हिसाब से उठा करो । नहीं माँ जी ये आपका प्यार है भगवान ऐसी सासु माँ सभी बहु को  दें । फिर बहु अनमोल प्यार का मान रखते हुए सुबह 6बजे  उठने लगी । ताकि किसी को कुछ कहने का मौका ही न मिले।

           ।।इति।।

            -गोमती सिंह

                 छत्तीसगढ़

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