खट-खट – वंदना चौहान

मेरे मायके में घर से सटा सरकारी प्राइमरी स्कूल है। घर के आस-पास नीम, पीपल व बबूल के पेड़  हैं। कभी-कभी बचपन में बाबा से भूत की कहानियां सुनते तो हम सब बच्चे वृक्षों के झुरमुटों की आकृति से एक नई कल्पना कर डर जाते थे। 

मैंने कई लोगों से यह सुन रखा था कि जिन पेड़ों में काँटे होते हैं उन पर भूत रहते हैं। अब तो हम बच्चे रात में बबूल के पेड़ को देखकर डरते थे।

 अचानक कई दिनों से रात को मेरे घर का दरवाजा खटकने की आवाज आती। जब तक  खोलने जाते तो खटखटाने वाला चला जाता था । 

यह घटना कई बार हुई । पहले तो लगा कि कोई शरारती तत्व परेशान कर रहा होगा।  एक बार मेरी मम्मी रात गहराते से ही दरवाजे के पास बैठ गईं । दरवाजे  पर दस्तक केवल तीन बार ही होती थी। 

मम्मी ने प्लान बनाया कि जैसे ही गेट पहली बार खटकेगा तुरंत दरवाजा खोल देंगे अगर कोई बच्चा होगा तो पता चल जाएगा या फिर दरवाजा खटकने की जो भी असली वजह होगी पता चल जाएगी। 

जैसे ही दरवाजे पर खट- खट की आवाज हुई मम्मी ने एकदम अंदर से आवाज लगाई , कौन ? उधर से एक भरभराती हुई आवाज आई , मैं , गुड्डू , गेट खोलो ,बात करनी है ।”  मम्मी एकदम से सहम गईं पर बहुत तेज़ से बोलीं , अभी अपने घर जाओ, मैं कल सुबह बात करूँगी और तेजी से  अंदर आ गयीं। 

उस समय मैं शायद कक्षा 7- 8 में पढ़  रही होऊँगी व बाकी सब भाई- बहन बहुत छोटे थे ।

उस दिन पापा भी घर पर  नहीं थे। इसलिए मम्मी ने यह एक्सपेरिमेंट कर डाला था। मम्मी से मैंने पूछा तो उनका जवाब था गुड्डू।


 गुड्डू, अरे!  वह 2 साल पहले ही रोड एक्सीडेंट में मर गए हैं मम्मी , हाँ  यही तो मैं सोच रही हूं। 

दरअसल प्राइमरी स्कूल की हेडमास्टरनी की बेटी की शादी थी। उनका बेटा गुड्डू अपनी बहन की शादी के कार्ड बाँटने गया था और रास्ते में एक बस से कुचल गया था। तभी से उसकी आत्मा वहां भटकती थी।

 मम्मी ने बताया कि स्कूल की पीछे की खिड़की के गेट टूटे पड़े थे।

 मैंने सोचा कोई बीनने वाला ले जाएगा इसलिए 7 – आठ  दिन पहले उठा लाई , की मैडम मिलेगी तो उन्हें दे दूंगी वरना सर्दी में हाथ सेक लूंगी। कई बार देखा मैडम दिखाई नहीं दीं और मैं काम की व्यस्तता से उनके घर जा न सकी । शायद इसीलिए यह गुड्डू आया होगा क्योंकि अभी तक हम लोगों ने सुना ही था कि गुड्डू की आत्मा भटकती है पर आज मम्मी ने तो अपने कानों से उसकी आवाज सुनी थी । 

उस रात मैंने सपने में भूत देखे और गेट पर चुड़ैलों से सारी रात लड़ाई की। मतलब हम सब इतना डर गए रात भर सपनों में चीखते- चिल्लाते रहे।

 बड़ी  मुश्किल से सुबह हुई । जैसे ही बाहर चहल-पहल हुई मम्मी ने सबसे पहले  दरवाजे जहाँ  से उठाए थे चुपचाप जाकर वहीं  रख दिए।

 उस दिन से हमारे घर के दरवाजे पर खट-खट, खट-खट होना बंद हो गई।

 

 

स्वरचित/मौलिक

वंदना चौहान

आगरा,उत्तर प्रदेश

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!