अंधश्रद्धा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे दीदी कहां की तैयारी हो रही हैं..!!

बाबा जी के आश्रम जा रही हूं जया तू भी चल इस बार बाबाजी का आशीर्वाद ले आना तेरे बेटे की नौकरी भी लग जायेगी और तेरे पति के साथ तेरे मनमुटाव का हल भी दे देंगे बाबाजी मालती दीदी ने इतनी श्रद्धा और भक्ति से कहा कि जया चिढ़ गई क्या दीदी आप इतनी पढ़ी लिखी होकर भी इन बाबा के झांसे में आ गईं हैं संभाल के रहिएगा इनका कोई भरोसा नहीं है मेरी सलाह मानिए तो हमेशा भैया जी के साथ ही जाया करिए..!!ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया।

अरे तुम्हारे भैया जी को तो सख्त चिढ़ है मेरे बाबाजी से हरदम मजाक बनाते हैं तभी तो मैने अब बाबाजी को  घर पर बुलाना बंद कर दिया और अब मैं ही हर महीने उनके आश्रम चली जाती हूं तनिक दुखी हो मालती ने कहा।

हर महीने अकेले चली जाती हैं इतना क्या जरूरी है दीदी अचरज था जया को।

विश्वास की बात है ये तो जया मुझे तो बाबाजी की बातों पर आशीर्वाद पर पूरा विश्वास है उन्ही की कृपा से  मेरा घर संसार सुखी है इस बार तो बेटे अंशु की नौकरी के लिए विशेष अनुष्ठान करवा रहे है बाबाजी देखना जरूर मेरे बेटे को बढ़िया नौकरी मिल जाएगी .. अकेले क्या डर अब बाबाजी के ही पास तो जा रही हूं किसी गैर के घर थोड़ी …बहुत उत्साहित थीं वह।

दीदी अंशु तो वैसे ही बहुत मेधावी है उसकी नौकरी तो पक्की ही है इसमें बाबा जी क्या करेंगे …. दीदी आप थोड़ा संभल के जाइए और सावधान हो कर रहिएगा वहां हिदायत सी देती जया अपने घर आ गई थी लेकिन उसका मन मालती दीदी की बाबाजी पर इतनी अंधश्रद्धा के कारण विचलित हो उठा था !! इतनी पढ़ी लिखी इतनी सुंदर मालती दीदी का यों पति बच्चे घर गृहस्थी सब को दरकिनार कर नियमित आश्रम जाना उसे आशंकित कर रहा था ।

तुमने सुना वो मालती दीदी नहीं रहीं ..!!सुबह सुबह प्रिया की बात सुनते ही जया स्तब्ध रह गई ।

नहीं रहीं क्या मतलब ..!!उनकी डेथ हो गई !कैसे ..!कब ..!!अरे अभी  मिली थीं अच्छी भली तो थीं

हां जया मुझे भी विश्वास नहीं हो रहा है अभी तक!! तुझे याद है वह एक बाबाजी को बहुत ज्यादा मानती थीं बस उन्ही के झांसे में फंस गईं…उन्ही के आश्रम में संदिग्ध अवस्था में उनकी मृत्यु हुई है प्रिया बहुत उत्तेजित थी।

क्या कह रही हो प्रिया!!!हुआ क्या आश्रम में क्या भैया जी ने छानबीन नही करवाई अपनी पत्नी की मौत पर। एफ आई आर क्यों नही करते उस बाबा और उसके आश्रम पर जया का खून खौल गया था। मैने तो पहले ही चेतावनी दी थी दीदी को की इन बाबा आबा के झांसे नही आइए सावधान रहिए !!

अरे जया अब भैया जी बिचारे धर्मसंकट में आ गए दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है उन पर तो।अचानक आश्रम से ही फोन आया था उनके पास कि आपकी पत्नी की तबियत खराब है आ जाइए जब  भैया जी वहां पहुंचे दीदी मर चुकी थीं .. सबका तो यही कहना है कि मृत्यु तो बहुत पहले ही हो चुकी थी ना ही उनको हॉस्पिटल ले गए ना डॉक्टर को दिखाया  जरूर उनके साथ कोई हादसा घटित हुआ है आश्रम वालों ने तो लीपा पोती कर आनन फानन मृत देह घरवालों को सौंप कर अपनी बला टाल ली अब घरवाले किससे शिकायत करें पुलिस से करने पर अपने घर की मृत हो चुकी पत्नी की बदनामी से डर रहे हैं घर के लोग चुप हैं।

मैने तो पहले ही चेतावनी दी थी दीदी को की इन बाबा आबा के झांसे नही आइए सावधान रहिए !!लेकिन दीदी की आंखों पर जो अंधश्रद्धा की पट्टी बंधी थी जिसने उन्हें अंधी ही बना दिया था यही अंधकार उन्हे ले डूबा… जया दुखी भी थी और बाबा और उनके आश्रम के झांसे का पर्दाफाश ना कर पाने की विवशता से आक्रोशित भी।

सोच रही थी काश दीदी देख पातीं कि उनके जाने के बाद अब उनका घर संसार जिस पर उनके बाबाजी की कृपा थी.!! उसी कृपा से कितना तहस नहस हो गया है!! 

लतिका श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!