आखिर खुशियों ने दस्तक दे ही दी – संगीता अग्रवाल 

वो खुशबू दार मोमबत्तियों की लडी और खिड़की से झांकती चाँद की रौशनी.. बहुत सुंदर इंतज़ाम किया था राघव ने सिया के लिए.. पर सिया कहीं ओर ही गुम थी…

” सिया.. क्या तुम मुझसे शादी करोगी!” घुटनों पर बैठ राघव ने सिया को गुलाब देते हुए कहा.

” राघव, जो लड़की तुम्हारी दुल्हन बनती वो मैं नही हूँ.. वो सिया तो मर चुकी उसी हादसे मे..!” ये बोल सिया फूट फूट कर रो दी.

” मैं नही मानता सिया उस हादसे मे तुम्हारी कोई गलती थी.. वैसे भी हादसे जिंदगी का हिस्सा हैं पर उनके कारण ना तो खुशियों से मुँह मोड़ा जाता है ना ही जीना छोड़ा जाता!” राघव ने सिया को गले लगाते हुए कहा.

” पर राघव जो हुआ उसके बाद ना तो ये समाज़ ना तुम्हारे घर वाले मुझे स्वीकार करेंगे.. एक बलात्कार पीड़िता को ये समाज जीने नही देता..!” सिया रोते हुए बोली.

” किस समाज़ की बात कर रही हो सिया जो समाज़ हर बार लड़की को कटघरे मे खडा करता!”राघव बोला.

” पर…!”

” पर.. वर कुछ नही अगर तुमने मुझसे शादी को मना कर दिया तो मैं कभी शादी नही करूँगा.. रही मेरे घर वालों की बात मेरे घर वाले इतनी छोटी सोच के नही.. मै कल मम्मी पापा को ले तुम्हारे घर आऊंगा!” राघव ने कहा.

ये हैं राघव और सिया कॉलेज मे साथ पढ़ते थे.. कॉलेज के बाद जहाँ राघव अपने पिता के बिजनेस मे हाथ बटाने लगा वहीं सिया एक कंपनी मे नौकरी करने लगी.. दोनो एक दूसरे से बेहद प्यार करते है लेकिन उनके प्यार को मंजिल मिलती उससे पहले ही दो महिने पहले ऑफिस से घर आते मे सिया का अपहरण हो गया और दो लड़कों ने उसके साथ बलात्कार कर उसे सड़क पर फेंक दिया… किसी तरह सिया घर पहुंची.. और बेहोश हो गई.. उसकी हालत उसकी कहानी बयां कर रहे थे… सिया के पिता ने उन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई.. और वो पकड़े भी गए.. पर सिया इन सबका दोषी खुद को मान राघव से दूरी बनाने लगी.. आज राघव ने कसम दे उसे मिलने बुलाया था और जानता था सिया कमजोर पड़ सकती इसलिए उसने किसी खुली जगह ना बुला अपनी एक दोस्त के घर पर बुला ये इंतज़ाम किये थे… !

” भाई साहब हम जल्द से जल्द सिया को अपनी बहु बनाना चाहते है !” आगे दिन सिया के घर आ राघव की मम्मी ने कहा.




” पर बहन जी आप तो जानती सिया के साथ क्या हुआ.. कल को कहीं वो हादसा उसकी शादीशुदा जिंदगी को तबाह ना कर दे!” सिया के पापा हाथ जोड़ बोले.

” पापा मैं आपसे वादा करता हूँ सिया के अतीत की परछाई हमारे भविष्य पर कभी नही पड़ेगी!” राघव सिया के पापा का हाथ पकड़ते हुए बोला!

” भाई साहब हमे बच्चों का प्यार देखना चाहिए वैसे भी ये हादसा तो शादी के बाद भी हो सकता था तब..!” राघव के पिता बोले.

” अब आप ज्यादा मत सोचिये हमारी बहु को बुलाइये.. !” राघव की मम्मी बोली.

सिया ने आकर दोनो के पैर छुये..

” लो राघव ये अंगूठी सिया को पहना दो!” राघव की मम्मी अंगूठी देते हुए बोली.

” पर आंटी…!”

” पर वर कुछ नही सिया जिंदगी का नाम ही कभी खुशी कभी गम है उस हादसे को एक गम समझ भूल जाओ और आने वाली खुशी को अपनाओ ।  तुम मुझपर विश्वास रखो.. मैं तुम्हारे होठों की हँसी कभी खोने नही दूँगा..!” ये बोल राघव ने सिया को अंगूठी पहना दी.

सिया के माता पिता की आँख मे खुशी के आंसू थे .. क्योंकि उन्हे इतना समझदार दामाद जो मिला था जिसने उनकी बेटी के गमों को खुशी मे बदल दिया था। . तभी सिया अंगूठी देख रो पड़ी.

” पापा अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं सिया से कुछ देर अकेले मे बात कर सकता हूँ!” राघव ने सिया के पापा से पूछा.

” बेटा तुम्हे इज़ाज़त की जरूरत नही सिया जाओ राघव को अपने कमरे मे ले जाओ!”

कमरे मे आते ही राघव  ने सिया को गले लगा लिया…

” सिया आज रो लो जितना रोना है क्योंकि आज के बाद मैं इन आँखों मे आंसू नही देखना चाहता… यूं नो आई हेट टीयर्स!” राघव ने जब अदा से ये कहा तो सिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो वापिस राघव के गले लग गई.. बाहर खिड़की से आती चाँद की रोशनी मे उसका चेहरा चमक रहा था…उसकी जिंदगी मे खुशियों ने दस्तक जो दी थी  !

दोस्तों हमारा समाज़ ऐसे हादसों का दोषी लड़की को ठहरा देता है..जबकि जिसके साथ गलत हुआ हो उसका क्या दोष… हमारे समाज़ को जरूरत है राघव और उसके माँ बाप जैसे लोगों की जो किसी के गमो को खुशी मे बदल सके।

कैसी लगी आपको कहानी..??

#कभी_खुशी_कभी_ग़म 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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