अब सोच बदलने की जरूरत हैं – विकास मिश्र : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : राधे श्याम अपने पुत्र राज और पत्नी राधा के साथ एक दिल्ली में एक किराए के घर में रहते हैं।छोटी नौकरी हैं परंतु अपनी जिंदगी में खुश हैं क्योंकि उनके परिवार का बहुत सीमित खर्च हैं।उनकी पत्नी भी बहुत आज्ञाकारी एवं कम खर्चीली हैं।अपने जीवन के 25 साल अपने गांव में व्यतीत करनें के बाद वो दिल्ली में रहने आएं थे वो स्वयं गांव से जुड़े हैं इसीलिए पत्नी भी ग्रामीण सोच से जुड़ी थी।

शहरों में रहने के साथ उन्होंने खुद को शहर के माहौल में ढाल लिया लेकिन पत्नी को अभी भी शहर के माहौल में नही ढाल पाए।उनकी पत्नी को छोटी जाति के लोगों को अपने बर्तन और गिलास में पानी पिलाना खाना खिलाना पसंद नहीं था। आए दिन पति के मित्र जब भी घर आतें तो चाय पानी देने की बात होने पर उनको अलग गिलास में पानी देती तो उनको शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी।इसके निपटारे के लिए पति कांच के गिलास और प्लेट खरीद कर लाया जिससे अतिथियों के सामने शर्मिंदा न होना पड़े।

पति के बहुत प्रयास करनें के बाद भी पत्नी की सोच में खास फर्क नहीं आया।पति जब कभी भी घर पर किसी मैकेनिक को बुलाता या मित्र को बुलाता भले वो किसी भी जाति को हो वो छोटी जाति का ही समझती।कांच के गिलास में ही पानी और चाय के गिलास में ही पानी लेकर आती लेकिन अच्छी बात ये होती कि पति को भी कांच के बर्तन में देती तो पति के किसी के सामने शर्मिंदगी नही उठानी पड़ती।

हद तो तब हो गई जब पति के गांव से उनके एक मित्र आना हुआ तो उनका दिल्ली में कोई रिश्तेदार नही था उनको रुकनें की व्यवस्था राधे श्याम को ही करनी थी।जब राधे श्याम ने अपनी पति राधा को बताया तो राधा ने कहां कि वो कौन से जाति के थे, छोटी जाति के थे।पति को लगा सही बताएंगे तो पत्नी रुकने नही देंगी।अगर झूठ बोलकर उनको अपने घर पर रुकने की व्यवस्था करते हैं पत्नी को पता लगेगा तो पत्नी को जब पता लगेगा तो झूठ बोलने से रिश्तें में दरार भी आ सकती हैं।

पति ने पत्नी को सच बताते हुए उनके रुकने के लिए पत्नी से कह दिया।पत्नी ने बोला आप मना कर दो मैं उनको अपने बिस्तर पर नही सुला सकतीं इस बात पर वो पति से बहस करनें लगी इस बात से पति को भी पत्नी पर गुस्सा आया और अपने विशाल ज्ञान और सामाजिक समझ का परिचय देते हुए पत्नी को समझाया डॉक्टर,टीचर जैसे लोगों इसी तरह व्यवहार करेंगे तो इंसान को जिंदगी गुजारने में कितनी दिक्कतें हो जाएंगी।

पति ने पत्नी से कहां कि ना जाने किस जमाने में जी रही है आप।इंसान कहां से कहां पहुंच गया।अभी तुम जाति जानने में लगी हो।बहुत समझाने पर पत्नी को अपनी सोच पर पछतावा हुआ और अतिथि को अपने घर पर रुकने की सहमति खुशी खुशी दे दी।

विकास मिश्र
लेखक एवं पत्रकार
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश

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