#आशीर्वाद ( चिंकी ) -संगीता अग्रवाल । : Moral Stories in Hindi

“ये किसे उठा लाई ” शालिनी जो मंदिर गई थी को एक दो साल की बच्ची के साथ घर मे घुसते देख उसकी सास दुर्गा देवी चिल्लाई।

” माँ जी ये बच्ची मुझे मंदिर की सीढ़ी पर बैठी मिली बहुत रो रही थी मैने इससे इसकी माँ के बारे मे पूछा पर ये कुछ ना बता पाई मैने पुलिस स्टेशन मे रिपोर्ट लिखवाई इंस्पेक्टर साहब ने इसके माँ बाप का पता लगाने बोला है पर ये बच्ची वहाँ रही नहीं तो मैं अपने साथ ले आई । ” शालिनी एक सांस मे बोल गई।

” ये घर है कोई धर्मशाला नहीं जो ऐसे उठा लाई, जाने कौन जात की है ।” दुर्गा देवी नाक भौं सिकोड बोली।

“पर माँ जी ये तो बच्ची है जात धर्म से इसे क्या मतलब बच्चे तो ईश्वर का आशीर्वाद होते है। वैसे भी जब इसके घर वाले मिल जायेंगे तब ये चली जायेगी मैने आपके बेटे से फोन पर पूछ लिया था तभी लाई । ” शालिनी बच्ची को खुद से चिपटाते हुए बोली।

“अपनी मर्जी चलावें हैं सभी , अपनी औलाद पैदा कर ना सकी चार साल मे ना जाने किसकी औलाद पर ममता लुटायेगी । ” दुर्गा देवी बड़बड़ाती हुई अपने कमरे मे चली गई। शालिनी की आँख मे आंसू आ गये क्योकि पिछले चार साल से बच्चा ना पैदा कर पाने के ताने सुन रही थी और इलाज करवा करवा कर तंग और हताश हो चुकी थी।

शालिनी ने उस बच्ची जो अपना नाम चिन्की बता रही थी उसे दूध पिलाया और सुला दिया खुद घर के कामों मे लग गई… बच्ची थोड़ी देर बाद जाग गई और बैठक मे दुर्गा देवी के पास आ खड़ी हो गई। गौरी चिट्टी बच्ची टुकुर टुकुर दुर्गा देवी को देखने लगी।

” ए चल हट दूर हो मुझसे अरी शालिनी कहाँ मर गई इसे दूर कर मुझसे । ” दुर्गा देवी उसे देख चिल्लाई।

शालिनी भागी भागी आई और बच्ची को कमरे मे ले गई।

अगले दिन तक बच्ची शालिनी और उसके पति रमेश के काफी करीब आ गई। उन दोनो को भी चिंकी का साथ बहुत अच्छा लग रहा था क्योकि उनकी जिंदगी मे बच्चे की जगह सूनी थी शालिनी के शादी के पांच साल बाद भी माँ ना बन पाने के कारण।

अगले दिन

” जी साहब …नहीं कोई दिक्कत नहीं …आप आराम से ढूँढिये बच्ची यहाँ सुरक्षित है .. जी ठीक है । ” रमेश के पास किसी का फोन आया।

” किसका फोन है लल्ला ” दुर्गा देवी ने पूछा।

” माँ थाने से फोन था अभी बच्ची के माँ बाप की जानकारी ना मिली है, मैं बोल दिया तब तक बच्ची यहीं रहेगी। ” रमेश ने कहा।

” यहाँ रहेगी तो क्या इस मैली कुचेली फ्राक् मे, ले शालिनी ये कुछ कपड़े तेरी ननद के हैं जो मैने सम्भाल के रखे थे, नहला के बदल इसके कपड़े वरना सारे घर को गन्दा करती फिरेगी ये । ” दुर्गा देवी संदूक से कुछ कपड़े निकालते बोली।

” जी माँ जी” शालिनी ने कपड़े लिए और चिंकी को नहला कर वो कपड़े पहना दिये।

चिन्की का उजला रंग नहा कर और निखर आया, नन्ही बच्ची सारा दिन इधर से उधर फुदकती रहती घर मे रौनक हो गई उसके आने से,शालिनी जो अब तक तरस रही थी माँ बनने को उसको भी चिन्की के रूप मे बेटी मिल गई थी। अब तो दुर्गा देवी भी उसकी हरकतों पर मुस्कुरा देती, जब चिन्की तोतली आवाज़ मे उन्हे दादी बोलती तो खिल जाती दुर्गा देवी भी पर अपनी अकड़ मे कभी बच्ची को हाथ ना लगाती।

एक महीने बाद…

” अरी शालिनी देख दरवाजे पर कौन है ।” दरवाजे की घंटी बजने पर दुर्गा देवी चिल्लाई।

” जी साहब ” दरवाज़ा खोल सामने खड़े इंस्पेक्टर से शालिनी बोली।

” हमने उस बच्ची के माँ बाप का पता लगाने की कोशिश की पर सफल नही हुए । ” इंस्पेक्टर अंदर आते हुए बोला।

” ऐसी सूरत मे बच्ची का क्या होगा । ” शालिनी ने चिन्की को खुद से चिपकाते हुए कहा।

” मैं इसीलिए आया हूँ, एक अनाथ आश्रम मे बात कर ली है बच्ची  वहीं रहेगी अब मैं उसे लेने आया हूँ । ” इंस्पेक्टर बोला।

” पर इंस्पेक्टर साहब बच्ची वहाँ कैसे , मेरी बच्ची कैसे रहेगी । ” शालिनी की आँख मे आँसू आ गये।

” खुद को सम्भालो शालिनी, बच्ची को एक न एक दिन जाना ही था ये पहले से तय था हमारी ही गलती है जो हम इससे इतना मोह पाल बैठे । ” शालिनी को गले लगाते रमेश  भरे गले से बोला।

” चलो बेटा। ” इंस्पेक्टर ने चिन्की से कहा।

” नहीं !!” चिन्की रोते हुए शालिनी से लिपट गई।

इंस्पेक्टर बच्ची को गोद मे उठा ले जाने लगा पर बच्ची रो रही थी और शालिनी के पास आने को मचल रही थी। तभी…

” हमारी पोती कहीं ना जायेगी । ” दुर्गा देवी कमरे से बाहर आते बोली ।

” माँ जी !!” शालिनी आश्चर्य से बोली।

” हाँ हमारी पोती यहीं रहेगी ,तू चिंता ना कर शालिनी तेरी बिटिया कोई अलग नहीं करेगा तुझसे ये देवी मैया का आशीर्वाद है जो बच्ची तुझे उसके मंदिर मे मिली है तेरी सूनी गोद भरने को । अब वो गोद खाली ना होगी ” दुर्गा देवी प्यार से बोली।

” सच मांजी !” रोती हुई शालिनी बोली और इंस्पेक्टर की गोद से बच्ची को ले गले लगा लिया।

” इंस्पेक्टर बच्ची यहीं रहेगी इसके माँ बाप मिलते हैं तो ठीक है वर्ना हम इसे कानूनन गोद लेंगे !” दुर्गा देवी इंस्पेक्टर से बोली।

” जी माँ जी पर इसके लिए आपको पुलिस स्टेशन आ आज्ञा लेनी होगी और पर्चे पर दस्तखत करने होंगे !” इंस्पेक्टर दुर्गा देवी से बोला।

” हम तैयार हैं चल रमेश मेरे साथ पुलिस स्टेसन, और शालिनी तू पकवान बना मेरी पोती होने की खुशी मे । “दुर्गा देवी ने चिन्की को शालिनी की गोद से लेते हुए कहा।

” माँ जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया मुझे ये खुशी देने के लिए । ” शालिनी दुर्गा देवी के कदमों मे झुकती बोली।

उसे गले लगाते हुए दुर्गा देवी बोली “अरी सुक्रिया तो तेरा मुझे इत्ती प्यारी बच्ची की दादी बनाने के लिए ” दुर्गा देवी बोली।

” दादी.. दादी ” चिन्की खुशी से खिलखिला उठी। दादी ने बच्ची का माथा चूम लिया।

धन्यवाद

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल ।

 

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