आशीर्वाद – कामिनी मिश्रा कनक : Moral Stories in Hindi

आज सुबह से ही पूरे गाऊँ को सजाने में लगे थे  , कोई इधर से सामान ला रहा है तो कोई उधर से , हो भी क्यू ना  यसोधरा जी कि एकलौति पोती कि जो शादी है ….. सारा सामान शहर से आया है  । यशोधरा जी  पैसे पानी कि तरह बहा रही थी  ।

गाऊँ वालों में कानाफुंसी होने लगी …… कि यशोधरा जी तो 51 लाख का लहंगा ही लायी है अपनी पोती के लिए …….तो सोचो खाने पीने कि कितनी अच्छी व्यवस्था होगी सारे हलवाई बाहर से आए है आज तो मज़ा आयेंगे । शहरी खाना मिलेगा खाने को …….

इधर हवेली में  चहल- पहल हो रही थी तभी अचानक ……..

 माधव , मोती कहा मर गए सब के सब ……महमानो के आने का वक्त हो गया है , अभी तक घर कि सजावट नही हुई  है  …..  यशोधरा जी  चिल्लाते हुए अपने कमरे से आयी …..

दादी – दादी कुल आप क्यू परेशान हो रही है सब हो जाएगा ….. मोती भैया ये फलो कि टोकरी बाहर रखिये ….. इसकी वहा ज़रूरत है  , ये फूलो कि टोकरी माधव भैया आप ले जाइये….. सजावट वाले को दीजिए ……. मीनल ने बड़े ही सहजता से सारा काम समेट दिया !

मीनल तुम्हें ज़रूरत नही है इन सब को  सिर पर चढ़ाने कि ये सब काम मुझे पता है कैसे कराने है …. तू बैठ कल तेरी शादी है इन सब को चार बातें सुनने कि आदत हो गयी है , जब तक चार बातें  सुनेंगे नही तब तक ये सब हाथ – पैर हिलायेंगे नही ….. यशोधरा जी चिल्लाते हुए बोली …..

यशोधरा जी  कि आवाज़ सुनकर सभी नौकर भाग – भाग कर काम करने लगे  ।

अगली सुबह पूरे गाऊँ को नौता दिया गया , चारों ओर  ख़ुशी का माहोल दिखने लगी ,शहर से महमानो का आना शुरू हो गया ,

यशोधरा जी – मीनल तुम तैयार हो , बारात आने बाली है ।

यस दादी आइ ऐम रेडी …. मीनल तैयार होकर बाहर आयी  ।

मीनल को देखकर सारे मेहमान  क्या बात है यशोधरा जी लहंगा तो बहुत ख़ूबसूरत है …….

यशोधरा जी – हो भी क्यूँ ना , बाहर से मंगायी हूँ , 51 लाख कि है  51 लाख की ………

तभी बारात भी ढ़ोल , गाजे -बाजे के साथ यशोधरा जी की हवेली  पर पहुँच गयी …..

बारातियों के स्वागत  के लिए यशोधरा जी और सब मेहमान पहुँच गए ,

अरे समधन जी ये दो पंडाल क्यू हम सब किसमें जाए …… दुल्हे कि माँ देखते ही बोली…..

यशोधरा जी – समधन जी आप मेरे साथ आइए ….

दूल्हे कि माँ – ये पंडाल किसके लिए है …….?

यशोधरा जी- ये गाऊँ वालों के लिए है …… आप जैसे महमानो के लिए ये पंडाल है , शहर से सारे हलवाई आए है ख़ास आप लोगों के लिए ।

दूल्हे कि माँ- इन सब कि क्या ज़रूरत थी  यशोधरा जी …. हम शहर में ज़रूर रहते है पर सोच अभी इतनी नही बदली है …हम सब भी गाऊँ वालो के ही संग में खा लेते …. ये दो जगह करने की क्या ज़रूरत थी  ।

यशोधरा जी-समधन जी आइए ………आप अंदर तो आइए ….. जयमाला का  समय हो गया है ।

हाँ हाँ चलिए …… सब आगे बढ़ गए

जयमाला के लिए दूल्हा – दुल्हन भी स्टेज पर आ गए

सभी कि नज़र दोनो से हट नही रही थी ……. यशोधरा जी बहुत खुश थी …. कि  सब  कुछ  उनके हिसाब से हो रहा है ।

तभी अचानक …..आप लोग कौन है  जब से बारात आयी है तब से देख रही हूँ आप दोनो ऐसे छुप – छुप कर विवाह देख रही है ……. आप लोगों को विवाह देखना है तो अंदर आइए ……दूल्हे कि माँ ने एक बुज़ुर्ग दम्पति से पूछा

वो दोनो बुज़ुर्ग लज्जा महसूस करते हुए वहा से जा ही रहे थे ….. कि तभी आवाज़ आयी रुकिये…….आप लोग कहा जा रहे है

मीनल तुम इन्हें क्यू रोक रही हो यशोधरा जी ग़ुस्से से बोली ।

मीनल- दादी ये वो ……..

ये कौन है समधन जी  दूल्हे कि माँ ने पूछा

यशोधरा जी- ये इसी गाऊँ के है , गरीब है बेचारे ……आप लोग उस पंडाल में जाइए ……

मीनल- रुकिए …. आप लोग मुझे बीना आशीर्वाद दिए ही जा रहे है , दादी इन्हें मैंने बुला है  ।

आप मेरा गिफ़्ट ले कर आयी है …. दीजिए मुझे …

बुज़ुर्ग दंपति- सकुचाते हुए …. एक पुरानी सी पन्नी मीनल के हाथ में रख देते  है ।

दूल्हे कि माँ- मीनल  कौन है ये , और इसमें क्या है………

मीनल – ये मेरी नानी और नाना है मम्मी जी ….

इस पन्नी में मेरी माँ कि आख़री निशानी है …. मेरी माँ कि चुन्नी … जिसे पहन कर मेरे पापा से मंदिर में विवाह कि थी ….. मेरे लिए मेरी मम्मी और पापा का आशीर्वाद है …..

यशोधरा जी – मीनल यह क्या कर रही हो , 51 लाख के लहंगे पर यह चुन्नी डालोगी । तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है ।

मीनल- दादी ये चुन्नी मेरे लिए बहुत अनमोल है मेरे पापा ने मम्मी को दिया था …..

यशोधरा जी – इसे अभी रख दो , इस लहंगे कि क्या इज्जत रह जाएगी ,  तुम्हारा मन है तो तुम इसे फिर कभी डाल लेना  ।

मीनल- दादी आपके लिए ये सब स्टेट्स , दिखा सब पैसों का खेल है …….

आपके इसी इगो कि वजह से

आज पापा और मम्मी इस दुनिया में नही है  । आपने कभी मेरी माँ को अपनाया नही ,  वो गरीब  थी इसलिए और पापा ने माँ का साथ नही छोड़ा …. माँ तो आपके आशीर्वाद के लिए तरसती रही ….. पर मैं  उनके आशीर्वाद से वंचित नही रहूँगी ।

मीनल  ने उसी लहंगे के ऊपर से माँ कि चुन्नी को डाल कर विवाह कुणाल  के साथ मंडप  में बैठ गयी ।

दूल्हे कि माँ मीनल के नाना और नानी को  अपने साथ ले कर मंडप में आती है ….आप लोग मेरे बेटे और बहू को आशीर्वाद नही देंगी समधन जी ।

कामिनी मिश्रा कनक

फ़रीदाबाद

 

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