आपने भी तो सुना होगा..? – रोनिता कुंडु : short story with moral

short story with moral : अरे रंजन और बता कैसा चल रहा है सब..? सुना है तेरा इस बार भी प्रमोशन नहीं हुआ..? रंजन की बहन की शादी में उसके दोस्तों ने उससे कहा…

 हां यार अब यह सब छोड़… शादी पर आया है तो ऑफिस की बात रहने दे और शादी इंजॉय कर, उधर स्नेक्स का भी इंतजाम है.. रंजन ने कहा 

पर यार भाभी की तो हर साल प्रमोशन होती है.. मानना पड़ेगा उन्हें… अब तो तेरी सैलरी उनकी आधी रह गई होगी है ना..? रंजन के एक दोस्त ने कहा 

अरे यार मुझे समझ नहीं आ रहा है तुम लोग मेरी बहन की शादी पर आए हो या ऑफिस पार्टी में..? छोड़ो ना यार यह सब, शादी है मेरी बहन की, मुझे लाखों काम है, चलता हूं यह कहकर रंजन चला गया.. 

उसके जाते ही उसके दोस्त आपस में बातें करने लग जाते हैं.. अंदर ही अंदर तो घुट रहा है और घुटे भी क्यों ना..? अपने सामने पत्नी की प्रमोशन और सैलरी आसमान छूने लगे तो किस मर्द को बुरा नहीं लगेगा..? जब परिवार में उसकी नहीं, पत्नी की चलेगी तो दिल तो जलेगा ही ना..? बेचारा रंजन पता नहीं भाभी के हुक्म कैसे सहता होगा..?

यह सब वहीं मौजूद रंजन की मां शारदा की खड़ी सुन लेती है, वह मारे गुस्से में जलने लगती है, और अपनी बेटी की शादी के निपट जाने का इंतजार करने लगती है..

शादी में प्रीति के सास ससुर शादी के इंतजाम की काफी तारीफ कर रहे थे, जिस पर शारदा जी उसका पूरा श्रेय अपने बेटे रंजन को दे रही थी.. तभी रंजन की पत्नी अनामिका आकर रंजन से कहती है, यह क्या है..? आपको कहा था ना आप वहां कैटरर को बता दीजिएगा के बच्चों को जरा कम कम परोसे..?

क्योंकि बच्चे खाने की बर्बादी करते हैं, आपने उन्हें बताया नहीं..? अनामिका यह जब कहने आई उसका ध्यान बस रंजन पर था, उसने इधर-उधर ध्यान नहीं दिया था… उसकी सास और प्रीति के भी सास ससुर वहीं मौजूद थे, यह उसे बाद में पता चला, तो उसने बात को संभालते हुए कहा, आप भी ना हर बात भूल जाते हैं, चलिए कोई बात नहीं मैं बोलकर आती हूं.. 

जैसे ही अनामिका जाने लगी, शारदा जी उसे रोक कर कहती है, रुक जा बहू… यह किस तरीके से बात कर रही हो अपने पति से..? दो पैसे क्या कमाती हो, तो समझ लिया कि तुम ही इस घर की मुखिया हो..? तुम चाहे कितना भी कमा लो, घर का मुखिया मेरा बेटा ही रहेगा समझी..? और करवा इससे नौकरी.?

कहा था मैंने इतनी छूट सही नहीं, पर किसी ने मेरी बात नहीं मानी, अब आप ही बताइए समधन जी, भगवान ने हीं बनाया है कि औरत घर संभालेगी और पुरुष बाहर, पर आजकल जिसको देखो उसे पैसे ही कमाने हैं, भले ही उसके लिए घर परिवार यहां तक की पति की बेइज्जती होती रहे, कुछ कहो तो कहेंगे हम आधुनिक है,

आप अपनी पुरानी सोच बदलो, पर चाहे जमाना कितना भी आधुनिक हो जाए, औरत और मर्द का फर्क नहीं मिटा सकता, पता है रंजन अभी तेरे दोस्त भी तेरे बारे में बात कर रहे थे, तू चाहे लाख छुपा ले अपनी घुटन, पर जमाना तो जानता ही है ना की पत्नी अगर  पति से ज्यादा कमाए, तो यह गर्व नहीं बेज्जती की ही बात होती है… मैं तो कहती हूं इससे कह बहुत कर ली नौकरी, अब घर संभाले, तेरी तनख्वाह से भी घर आराम से ही चल जाएगा.. 

रंजन:   यह कैसी बातें कर रही हो मां..? अनामिका का मुझसे ज्यादा कमाना कभी भी मेरी बेइज्जती की वजह नहीं बनी, आपको पता है वह चाहे कितना भी कमा ले लेकिन आज भी वह मिसेज अनामिका रंजन सिन्हा ही कहलाना पसंद करती है, जब पत्नी अपने बचपन के नाम की पदवी को छोड़कर हमेशा अपने पति की पदवी को अपना लेती है और इसे वह बड़े गर्व के साथ हर जगह बोलती और लिखती है, फिर जब वह ज्यादा तरक्की कर रही हो तो, इसमें मैं क्यों न गर्व करूं?

यह जो सारे दोस्तों की बात आप कह रही है ना, यह तो अपनी पत्नियों को नौकरी करने से रोकेंगे और फिर उन्हें ही बाद में कहेंगे, तुम तो मेरे सर का बोझ हो, कमाती तो जानती कि कितना खर्च होता है परिवार चलाने में और आप जो अभी अनामिका की कमाई की बात कर रही है? आप यह बताओ प्रीति की शादी का ज्यादा खर्च जिसका पूरा श्रेय आप अभी मुझे दे रही थी, वह किसने किया? मां अगर अनामिका कमाती है तो कौन से बस अपने ही शौक पूरे करती है..? आपको पता है इसके सारे कलीग्स ऑफिस टूर पर घूमने जा रहे हैं, पर इसने बिना मुझसे बात किए ही उन्हें मना कर दिया, क्योंकि प्रीति के जाने के बाद आप अकेली पड़ जाएंगी… 

प्रीति की सास:  समधन जी..! भगवान ने यह नहीं बनाया की औरतें घर संभाले और पुरुष बाहर, यह तो हम इंसानों का ही बनाया हुआ है, हम औरतों को तो पूरा दिन घर पर भेड़ बकरियों की तरह काम करने के बाद भी, पूरा दिन क्या किया यही सुनने मिलता है, तो इसलिए आजकल की लड़कियां सिर्फ घर के काम करके ही अपनी जिंदगी बिताना नहीं चाहती,

क्योंकि उसने अपनी मां के साथ यह होते हुए देखा है, आप बताइए आपने भी तो बस घर ही संभाला है तो आप क्या कभी आपको सुनने को नहीं मिला क्या आप पूरा दिन करती ही क्या है..? यह तो पुरुषों का कहना है पर हम महिलाएं तो जानती है ना कि हम पूरे दिन करते ही क्या है..? एक गृहणी होना कोई आसान काम नहीं है, पर जब एक औरत घर के काम और बाहर दोनों संभाल रही है तो उसकी प्रशंसा तो दुगनी होनी चाहिए, इसलिए अब हमें ही सबको बताना पड़ेगा कि हम सिर्फ घर ही नहीं, दोनों संभाल सकते हैं… औरत और मर्द का फर्क हम औरतों को ही मिटाना होगा सबसे पहले.. 

शारदा जी:  माफ कर दो बहू.. पता नहीं जो सबने देख लिया वह मैं कैसे नहीं देख पाई..? जबकि तूने तो हमेशा ही हमें सहारा दिया है, जो तू घर और नौकरी दोनों संभाल सकती है, तो मैं भी तेरे बिना घर को संभाल सकती हूं, प्रीति की शादी हो गई है, तो अब तू भी जा अपने ऑफिस टूर पर, सच में बहु हम अपनी जिम्मेदारियां खत्म होने का इंतजार करते हैं, अपने शौक को पूरा करने के लिए, पर जिम्मेदारियां तो खत्म नहीं होती, पर हां उम्र जरूर ढल जाती है, मैं भी बेवकूफ जिस बात पर गर्व करना चाहिए, उस बात पर गुस्सा कर रही थी, उसके बाद अनामिका शारदा जी के गले लग जाती है..

#गर्व

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु 

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