आम – अनुपमा

राधा की शादी स्युंक्त परिवार मैं हुई थी , सामान्य परिवार की तरह ही था उसका परिवार , मिडिल क्लास , ना बहुत कम न ही बहुत ज्यादा , सुघड़ता से परिवार चलाने पर कमी नही थी किसी चीज की 

राधा के सास ससुर , देवर , ननद , दादी सास , एक नौकर जो घर मैं रहता था दादी के गांव से था वो , और पति सभी मिलाकर आठ लोगो का संयुक्त परिवार 

गर्मियों के दिन थे , गर्मियों मैं आम किसके यहां नही आते … सो राधा के ससुर भी आम जब भी लेकर आते तो राधा उन्हें धोकर फ्रिज मैं रख देती ठंडा होने को , सभी को आम बहुत पसंद था , खाने के साथ सभी को आम काट कर दिया जाता , राधा के देवर को ज्यादा ही पसंद था और जब तक राधा का नंबर आता , आम खत्म हो चुका होता था , और राधा हमेशा कह देती थी की वो आम खाती ही नही , उसे इतना पसंद नही है आम खाना 😄

अब परिवार मैं तीन सदस्य और बढ़ गए थे , राधा के तीन बच्चे ।

धीरे धीरे समय यूं ही बीत रहा था , पर आम की कहानी यूं ही जारी थी ।


राधा के बच्चों को भी आम बेहद प्रिय था , अब दादी जी नही रही थी और देवर जी की भी शादी हो चुकी थी , पर आम की कहानी बदस्तूर जारी थी । कभी कभी जब कोई घर से अनुपस्थित होता था तब जरूर राधा के लिए आम रह जाता था और राधा ये कह कर की कोई नही खा रहा , उसे खा लेती थी।

अब तो राधा के बच्चे बड़े हो गए है । और बाहर भी चले गए पढ़ने को , देवर जी का परिवार भी अलग रहने लगा है , ननद भी शादी होकर अपने घर चली गई है । राधा और उसका पति अब दोनो ही अकेले रहते है ।

इस बार जब गर्मियां आई तो राधा के पति तरबूज ले कर आए , खरबूजा भी लाए पर आम नही आया , राधा ने भी कहा नही कुछ ये सोच कर की शायद अच्छा न होगा बाजार मैं ।

और उसके पति ने सोचा की राधा तो आम खाती ही नही इसलिए वो फल लिए जो वो खाती थी । 

तो दोस्तों होता है न ऐसा की स्वभाव वश या प्रेमवश ,आप सभी ने कभी न कभी ऐसा कुछ किया होगा , तो बताइएगा जरुर ।

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