तीरे-नजर – अंजू निगम

 बहुत दिनो से सब पीछे पड़े थे,बेटे का इतने बढ़िया कॉलेज में एडमिशन हो गया| एक पार्टी तो बनती हैं| मैंने भी सोचा आते रविवार को सबकी ये शिकायत दूर कर ही दूँ|

   मैंने और बाई ने मिल कर मोर्चा संभाल लिया|पर काम था कि सुलट ही नहीं रहा था| तभी मेरी दोस्त सुरभि आ गई|

 “चलो,कुछ मदद मिल जायेगी|” मैंने सोचा|

 “शाम को कुछ खास दिखना चाहिए न| शाम का खाना तो बनाना नहीं मुझे तो सोचा क्यों न पार्लर ही हो आँऊ|” बड़ी अदा से कह,बन चुके खाने को थोड़ा-थोड़ा चुगती फिर बोली,” तुम भी चली चलती पर तुम्हें तो बड़ा काम होगा न!!!” भई,तुम्हारे हाथ की पुदीने की चटनी का तो जवाब नहीं| वो भी बना ही लेना,” कह वो दरवाजे के बाहर निकल गयी|

 मेरे मन में थोड़ी उथल-पुथल रही फिर मैं शाम की तैयारी में जुट गयी|

सबको ८.३० का वक्त दिया था पर सुरभि ८.०० बजे मेरे घर थी| सब तो बन चुका था बस सलाद बाकी थी| सो,वो ८.३० तक सलाद”बनाने”में जुटी रही| जब दोस्तो की आवक शुरू हुई तो सुरभि रसोई में”अति व्यस्त”थी|


“ये टिक्की लीजिए न,मैंने इसमें “कार्नफ्लोर” डलवा दिया था| अरे!!आप तो कुछ ले ही नहीं रहे|इस चटनी में अमिया डलवायी तो स्वाद कितना अलग हो गया न!!”सुरभि अपने रंग जमा रही थी,इधर मैं कुढ़ रही थी| वियोम दो बार आ मुझे टोक चुके थे,”सारा क्रेडिट ले रही हैं और तुम मुँह सीये बैठी हो|” सुरभि की ये अदाकारी तो अभि भी देख रहे थे| खाने के दौरान फिर सुरभि ने अपना परचम लहराया,”आप लोग पुलाव जरूर खाईयेगा| मैंने उसके ऊपर तली हुई गोभी डलवा दी थी|” तभी अभि बोल उठे,” भई सुरभि,तुम तो छुपी रूस्तम निकली|  तुम्हारे हाथ में इतने जायके हैं,मुझे अब तक मालूम ही नहीं पड़ा| हमे भी बना कर खिलाओ भई!!और हमे ही क्यों इन सबको भी तो पता चले कि हमारी बीवी के हाथो में कितना जादू हैं| तो अगले शनिवार को आप सब हमारे यहाँ पधारे|”

“सुरभि, इस बार एक सब्जी-पूड़ी से न टरका देना| भई,अब जब पता चल ही गया हैं कि तुम्हारा खाना बनाने में कोई तोड़ नहीं तो इस बार हम भी रच के खायेगे|”विदिशा ने चुटकी ली|

 “संध्या भाभी,आपको सिल में पिसी चटनी बहुत पंसद हैं न| इस बार सुरभि के हाथ की बनी खाईयेगा|”अभि ने तीर छोड़ा|

” इस शनिवार हम सबका खाना तो सुरभि के यहाँ होगा संध्या| तो चलो,फिर ३ से ६ की पिक्चर देख आयेगे| काफी दिन से गये भी नहीं| और सुरभि, जैसा टिक्की और पुलाव तुमने बनवाया,वो तो लाजवाब लगे| ये दोनो तो तुम बना ही लेना|” आलोपा के तरकश का ये आखिरी तीर एकदम निशाने पर लगा| 

अंजू निगम

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