आखिरी तस्वीर – रोनिता कुंडू   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मां… मेरे सारे दोस्त तो आ गए हैं और हमारी फैमिली भी… फिर हम किसका इंतजार कर रहे हैं..? केक काटू..? नीरज ने अपनी मां पूनम से कहा…

थोड़ी देर और रुक जा बेटा… मैंने फोन किया है उसे… वह आ ही रही है बस… पूनम ने कहा 

नीरव:  मां बचपन से देखता आया हूं, मैं जानता हूं आप किसका वेट कर रही है..? पर मां मुझे समझ नहीं आता आप उसे इतनी इंपॉर्टेंस क्यों देती है..? मैं कभी पूछता नहीं था, पर हमेशा से आपका खिंचाव उसकी तरफ देखकर आज बिना बोले रह भी नहीं पा रहा, है तो वह बस इस घर की काम करने वाली ही ना..? उससे हमारा खून का रिश्ता थोड़े ही ना है, जो उसके आए बगैर मैं अपना जन्मदिन का केक नहीं काट सकता और इन लोगों से ज्यादा दिल भी नहीं लगना चाहिए, यह तो जिनके पास पैसे हैं, बस उनके ही सगे हैं… 

पूनम:   चुप कर नीरव.. तू इतना भी बड़ा नहीं हो गया है जो अपनी मां को ज्ञान दे रहा है… तुझे कुछ नहीं पता, इसलिए अपना मुंह बंद रख, थोड़ी देर और इंतजार कर लेंगे तो कोई तूफान नहीं आ जाएगा..? 

नीरव:   मां आज मेरा जन्मदिन है और यह बात लक्ष्मी मासी को भी आपने बताई होगी और यह भी कहा होगा, कि केक काटने के समय पर ही आए..? 

पूनम:   हां बताया है.. तो..?

नीरव:   तो क्या मां..? अगर उसे आपकी बात की इतनी ही कद्र होती तो वह इतनी लेट आती..? 

पूनम:   तूने फिर कहा..? तुझे कहा ना जाकर अंदर अपने दोस्तों से बातें कर.. जैसे ही लक्ष्मी आती है हम अंदर आकर के काट लेंगे…

नीरव अबकी बार कुछ नहीं कहता, पर वह गुस्से में अंदर चला जाता है… 

थोड़ी देर बाद, लक्ष्मी हाफ्ती हुई आती है, उसके हाथ में एक तोहफा भी होता है… लक्ष्मी को देखकर पूनम बड़ी खुश हो जाती है और कहती है… क्या हुआ कई इतनी देर लगा दी..? कब से राह देख रही थी तुम्हारा..?

लक्ष्मी:   वह नीरज के लिए तोहफा ले रही थी… इसलिए थोड़ी देर हो गई…

पूनम:   मैंने कितनी बार कहा है कि तुम कोई तोहफा मत लाना… अरे इन सब में क्यों पैसा खर्च करती हो..? मैं क्या नहीं जानती तुम्हारे खर्च..? फिर दोनों अंदर जाते हैं जहां नीरव लक्ष्मी को देखकर गुस्से से उबल रहा था… फिर पूनम नीरज से कहती है… चलो नीरज, अब केक काटो… 

नीरव:   मैं नहीं काट रहा कोई केक वेक, आप लक्ष्मी मासी को ही कहो ना केक काटने, मुझसे ज्यादा तो वह आपकी प्यारी है, आइए मासी, आप ही केक काट लीजिए…

इस पर पूनम नीरव पर काफी गुस्सा हो जाती है और कहती है… तू जानता है कि किसे क्या कह रहा है..? आज जो अगर यह न होती तो शायद आज हम इतने खुश भी ना होते… हम हमेशा से ऐसे नहीं थे… बेटा, तू तो जानता ही है तेरे पापा बॉर्डर पर जंग लड़ते हुए शहीद हो गए… तब तू सिर्फ तीन महीने का था… अचानक तेरे पापा के चले जाने से सबसे बड़ा सवाल हमारी आर्थिक स्थिति पर थी.. तेरे पापा की पेंशन, सेविंग्स, इन सब में वक्त लग रहा था.. तेरे नानी नानी की बदौलत हमें कुछ ज्यादा दिक्कत तो नहीं हो रही थी, पर नाना नानी के घर भी कितने दिन रहते..? वापस अपने घर तो आना ही था… खर्चों में कटौती करने के लिए हमारे घर काम कर रही लक्ष्मी को हटाना चाहा, पर पता है इसने उसे वक्त क्या कहा..?

इसने कहा, मेमसाहब, जब मुझे आपकी जरूरत थी, तब आपने मुझे न सिर्फ काम दिया… मेरे बेटे को वह सारी चीज दी जो मैं उसे कभी नहीं दे सकती और आज मैं सिर्फ आपको इसलिए छोड़ दूं, क्योंकि आप मुझे पगार नहीं दे सकती… मानती हूं पगार से मेरा घर परिवार चलता है.. पर अब से मैं आपके घर सबसे आखिर में आकर सारा काम कर दिया करूंगी… आपका बच्चा भी छोटा है, ऐसे में आप इसे संभाल कर घर का सारा काम कैसे करेंगी..? आप मुझे पगार मत देना, मैं इसे अपना घर ही समझती हूं, तो अपने घर में बिना पगार के भी तो काम करती हूं ना.. और तब से अब तक इसने हर सुख दुख में मेरा साथ दिया… जितना की कोई खून के रिश्ते भी देते हो… नीरव आज तू 14 साल का हो गया है और खुद को संभालने लायक हो गया है.. पर जब तू सिर्फ 4 महीने का था तब इन्होंने तुझे संभाला था..? इनके बिना तो शायद ही हम इतनी दूर आ पाते… 

नीरव: माफ कर दीजिए मुझे आप मां… पर आपने मुझे यह सब पहले क्यों नहीं बताया..? माफ कर दीजिए मुझे आप भी मासी, मुझे तो लगता था के सिर्फ खून के रिश्ते ही असली रिश्ते होते हैं… पर आज आपने यह साबित कर दिया कि, दिल के रिश्ते से बड़ा और कोई रिश्ता नहीं होता… चलिए मासी केक काटते हैं… 

फिर नीरव का केक काटने का कार्यक्रम पूरा हुआ और लक्ष्मी ने नीरव को वह तोहफा दिया जो वह लाई थी… नीरव ने जब वह खोला तो वहां मौजूद सब भावुक हो गए… क्योंकि वह एक फोटो फ्रेम था… जिसमें नीरव अपने पापा के गोद में है, पूनम अपने पति के साथ खड़ी है और कहीं दूर एक कोने में लक्ष्मी 

पूनम:   यह फोटो तुम्हें कहां से मिली काकी..? 

लक्ष्मी:   जब आप लोग इसी तरह एक दिन बैठे बात कर रहे थे, तो मैंने ही याद के रूप में खींची थी… सोचा था आप जब अकेले में बैठकर साहब को याद करेंगी, तब मैं आपको यह फोटो दिखाऊंगी, पर संजोग देखिए, उसके बाद ही साहब जंग पर चले गए… किसे पता था कि यह साहब की आखिरी फोटो हो जाएगी..? 

यह कहकर वहां सभी भावुक हो गए और एक दूसरे को गले लगा लिया 

धन्यवाद 

स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित

#खून के रिश्ते  

रोनिता कुंडू

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