आखिर खुन का रिश्ता था , कमजोर कैसे होता ?? – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : विभोध , हो ना हो मेरी सोने की चैन तुम्हारी बहन ने ही चुराई हैं और आज वह अपने ससुराल वापस जाने वाली हैं !!  हमें उसका बैग चेक करना पड़ेगा , वैसे भी सीमा नहाने गई हुई हैं , चलो तब तक हम उसका बैग चेक कर लेते हैं निशा अपने पति विभोध से बोली !!

विबोध बोला , हां निशा , तुम सही कह मही हो , जल्दी चलो उससे पहले कि सीमा बाथरूम से निकले हमें उसका बैग चेक कर लेना चाहिए !!

विबोध और निशा दोनों सीमा का बैग चेक करने उसके कमरे में पहुंचते हैं , निशा सीमा का हैंडबैग चेक करने लगती हैं और विबोध सीमा का सुटकेस चेक करने लगता हैं !! दोनों बैग चेक कर ही रहे होते हैं कि सीमा बाथरूम से नहाकर निकल जाती हैं !! अपने भाई भाभी को अपना बैग चेक करते देख सीमा हैरान हो जाती हैं , विबोध और निशा भी उसे देख थोड़ा सहम जाते हैं !!

सीमा बोली यह क्या कर रहे हो आप दोनों ?? मेरा बैग क्यूं चेक कर रहे हो ??

निशा बोली इतनी भोली बनने की जरूरत नही हैं सीमा , हो ना हो मेरी सोने की चैन तुने ही चुराई हैं , देख सीधे तरीके से चैन दे दे वर्ना मुझसे बुरा कोई नही होगा !!

सीमा बोली भाभी माना आप उम्र और ओहदे दोनों में मुझसे बड़ी हैं मगर इसका मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी बोलेंगी और मैं सुनती रहुंगी !! मैं तो कल आपको आपकी चैन ढूंढने में मदद कर रही थी और आज आप मुझ पर ही इल्जाम लगा रही हैं , आपने इल्जाम लगाने से पहले एक बार भी सोचा नहीं कि आप अपनी उस ननद पर इल्जाम लगा रही हैं जिस ननद ने हर सुख दुःख में आपका साथ दिया हैं , आज इतनी दूर ससुराल से इजाजत लेकर आपकी सेवा करने आई हुं , भला मैं अपनी ही भाभी की चैन चुराऊंगी ऐसा सोचा भी कैसे आपने ?? बोलकर रोने लगी सीमा !!

देखा आपने एक तो चोरी उपर से सीनाजोरी , एक तो मेरी चैन चुरा ली और अब मगरमच्छ के आंसू बहा रही हैं , विबोध यह ऐसे नहीं मानने वाली गुस्से में बोली निशा !!

विभोध बोला सीमा , देख हम तेरे घर की परिस्थिती से भलीभांति वाकिफ हैं , हम जानते हैं कि दामादजी को व्यापार में बहुत बडा नुकसान हुआ हैं , यहां इतना सब देखकर तेरे मन में लालच जाग गया होगा !! अब हमारे घर के ठांट – बांट किसी का भी मन मोह सकते हैं और तु ठहरी गरीब !! हम जानते हैं यह चैन तुने ही चुराई हैं इसलिए चैन वापस दे दे वर्ना मैं तुझे धक्के मारकर यहां से निकालुंगा , इससे अच्छा होगा कि तु अभी की अभी अपनी गलती मान ले !!

अपने भाई के मुंह से यह बात सुनकर तो जैसे सीमा पुरी टुट गई , आंखों से आंसू लगातार बहते जा रहे थे !!

सीमा ने अपना पुरा सुटकेस उन लोगों के सामने खाली कर दिया और हैंडबैग में से भी सब कुछ निकालकर पलंग पर फेंक दिया और बोली लिजिए देख लिजिए सब कुछ और फिर भी यकीन ना हो तो मेरे शरीर का भी स्कैन कर दिजिए कि कहीं मैंने पहने हुए कपडों में तो कुछ नहीं छुपाया और मैं यह सब यहीं छोड़कर जा रही हुं ताकि आप लोग मेरे सारे कपड़े अच्छे से चेक कर पाओ , कहीं किसी कपड़े में खुफिया जेब में मैने वह चैन ना छुपा रखी हो कहकर रोते रोते सीमा अपने मायके से निकल गई !!

पिता मनोहर जी , छोटा भाई निलेश , भाभी शालू सभी यह हंगामा देख अपने अपने कमरे से बाहर आ गए और सीमा को रोकने लगे मगर सीमा गुस्से में घर से बाहर गेट तक आ गई !!

बाहर आकर उसने रिक्शा ली और सीधा स्टेशन पहुंची और ट्रेन पकड़कर अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई !! खिड़की की सीट पर बैठी सीमा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और वह अतीत के गलियारे खो गई !!

सीमा , विबोध और निलेश तीनों भाई – बहन की परवरिश मनोहर जी और कांता जी ने बहुत प्यार से की थी !! बहुत ज्यादा पैसे वाले नही थे मनोहर जी मगर इतना कमा लेते थे कि बच्चों और पत्नी को खुश रख पाए !! विबोध शुरू से ही पढ़ाई में होशियार था , जैसे जैसे वह बड़ा होने लगा गांव में ज्यादा सुविधाएं ना होने के कारण मनोहर जी को विबोध को पढ़ाई के सिलसिले में शहर भेजना पड़ा !! तीनों बच्चे बड़े हो रहे थे और तीनों की पढ़ाई और उनकी फीस भी बढ़ती जा रही थी !! मनोहर जी की दुध और किराने की दुकान थी जहां वे दिन रात मेहनत करते ताकि बच्चे अपनी सारी इच्छाएं पुरी कर पाए , कांता जी भी मनोहर जी का व्यापार में खुब साथ देती !! छोटा भाई निलेश जिसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था , उसने भी अब मनोहर जी के साथ दुकान पर बैठना शुरू कर दिया था हालांकि मां – पापा ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने कहा था मगर निलेश बोला पापा मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता हैं और मैं आपके पैसे बेफिजूल खर्च नहीं करना चाहता इसलिए बेहतर होगा कि मैं आपके साथ मिलकर दुकान पर ध्यान दुं !! उस समय निलेश की यह बात सुनकर मनोहर जी और कांता जी को निलेश पर एक बार के लिए तो गुस्सा भी आ गया था क्योंकि वे लोग चाहते थे कि निलेश भी विबोध की तरह खुब मेहनत करें और पढ़ लिखकर एक अच्छी नौकरी करें मगर निलेश दुकान पर बैठना चाहता था खैर बेटे के जिद के आगे मनोहर जी और कांता जी ने घुटने टेक दिए और निलेश को दुकान पर बैठा दिया !! वहां विबोध पढ़- लिखकर नौकरी पर लग गया !!

डिग्रियों की कोई कमी ना होने के कारण विबोध की बहुत अच्छी नौकरी लग गई और विबोध ने अपने गांव के घर में सारी भौतिक सुविधाओं को भरना शुरू कर दिया जैसे फ्रीज , वांशिंग मशीन , ऍल इ डी टीवी इत्यादि और निलेश दुकान से घर का खाने पीने और कपड़ों लत्तों का खर्चा निकाल लेता था !! विबोध के बॉस मणीलाल जी को विबोध शुरू से ही पसंद था !! मणीलाल जी बहुत पैसेवाले धनी व्यक्ति थे , उनकी इकलौती बेटी निशा के लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते थे मगर मणीलाल जी को एक घर जमाई की तलाश थी और वे यह बात अच्छे से जानते थे कि कोई भी पैसेवाला लड़का उनका घरजमाई नहीं बनेगा इसलिए वे चाहते थे कि विबोध से उनकी बेटी निशा की शादी कराके उसे हमेशा के लिए अपना घरजमाई बना लुं , विबोध की इमानदारी और होशियारी से मणीलाल जी बहुत आर्कषित थे !! एक रोज उन्होने विबोध को ऑफिस के काम से घर बुलाया और अपनी बेटी निशा से मिलवाया !! निशा एक पढ़ी लिखी , दिखने में सुंदर और मॉर्डन ख्यालों की लड़की थी , निशा को विबोध पहली नजर में ही भा गया , बातों – बातों में मणीलाल जी ने विबोध से अपने दिल की बात कह दी की वे निशा की शादी विबोध से करना चाहते हैं मगर उन्होने यह नहीं बताया कि वे विबोध को घरजमाई बनाना चाहते हैं !! विबोध को भी निशा पसंद आ चुकी थी वह बोला यदि इस रिश्ते के लिए मेरे मां – पिताजी हां कह देंगें तो वह यह शादी कर लेगा !! दूसरे दिन विबोध ने फोन पर अपने मां – पापा को यह सुचना दी और वे लोग भी शादी तय करने शहर आ पहुंचे !!

रिश्ता मना करने की कोई वजह ना थी इसलिए दोनों परिवारों ने मिलकर शादी तय कर दी !! विबोध और निशा की शादी के बाद मणीलाल जी ने उनके लिए कश्मीर घुमने की टिकटस निकाल ली और दोनों अपने हनीमुन चले गए !! हनीमुन से आकर जब विबोध और निशा अपने गांव के घर आए !! निशा थोड़े ही दिनों में वहां रच बस गई और ननद सीमा से उसकी खुब जमने लगी , बस पंद्रह दिन की बात थी इसलिए निशा ने वहां एडजस्ट कर लिया और वापस शहर लौट आई !! शहर आकर वह विबोध से बोली विबोध , मेरे पापा कह रहे थे कि उनके बंगले का पुरा उपर वाला फ्लोर वैसे भी खाली पड़ा हैं तो हम लोग हमेशा के लिए वहां रहने चले जाए और इससे हमारा इस घर का किराया भी बचेगा !!

विबोध बोला तुम पागल हो गई हो क्या निशा ?? तुम चाहती हो कि मैं घरजमाई बन जाऊं !! लोग और समाज वाले क्या बोलेंगे ?? कल के दिन मेरे माता पिता को पता चला तो मेरी क्या इज्जत रह जाएगी सभी के सामने !!

निशा बोली इसमें घरजमाई वाली क्या बात हैं ?? वैसे भी वह सब हमारा ही तो हैं !!

पहले तो विबोध तैयार नहीं हुआ मगर जब मणीलाल जी ने खुद बहुत आग्रह किया और बोले बेटा विबोध मेरे बाद यह करोड़ों की संपत्ति तुम्हारी तो हैं , जो कल होगा उससे बेहतर हैं आज हो , मैं चाहता हुं कि तुम और निशा हमेशा मेरे साथ रहो , वैसे भी निशा के जाने के बाद मैं बहुत अकेला हो गया हुं , यह सब बातें सुन विबोध को उनकी बात माननी पड़ी क्योंकि ऑफिस के बॉस होने के साथ साथ मणीलाल जी अब विबोध के ससुर भी थे !!

यहां छोटे भाई निलेश की शादी के लिए शालू को पसंद किया जाता हैं जो गांव की सीधी साधी लड़की थी !! निलेश की शादी में भी विबोध और निशा नहीं आ पाते हैं क्योंकि दोनों किसी फोरेन ट्रिप पर गए हुए थे जो मणीलाल जी ने आयोजित किया था !! शालू शादी के बाद अपने सास – ससुर , घर सब अच्छे से संभाल लेती हैं जिससे सीमा बहुत खुश होती हैं क्योंकि उसे वहीं डर था कि कल के दिन कहीं उसके माता- पिता अकेले ना रह जाए मगर शालू जैसी बहु पाकर सभी बहुत खुश थे !!

सीमा भी अब बड़ी हो गई थी , उसके लिए भी अच्छे अच्छे रिश्ते आने लगे थे जिसमें से हरिश जो कि पढ़ा लिखा और संपन्न परिवार का लड़का था उससे सीमा की शादी तय कर दी जाती हैं मगर शादी के दौरान निशा प्रेंग्नेट होने के वजह से शादी में आने के लिए मना कर देती हैं और विबोध भी कहता हैं कि अगर मैं वहां आऊंगा तो यहां निशा का ध्यान कौन रखेगा ?? वह भी शादी में आने से मना कर देता हैं !! विबोध और निशा तो जैसे गांव वापस आना ही नहीं चाहते थे , हर बार उनके पास गांव ना आने का एक नया बहाना होता था !! विबोध भी अब निशा के रंग में पुरी तरह रंग चुका था , दोनों को गांव से कुछ मतलब नहीं रह गया था , सब देखकर भी घरवाले कभी कुछ नहीं कहते थे क्योंकि वे कोई लड़ाई झगड़ा नहीं चाहते थे !! सीमा की शादी के थोडे ही दिनों पश्चात मां कांता जी अचानक चल बसी , तब सिर्फ विबोध भैया आए थे , निशा भाभी को प्रेंग्नेंसी के दौरान आराम करने कहा गया था इसी वजह से विबोध भैया मां के क्रियाक्रम के बाद तुरंत वापस चले गए !! थोड़े ही महिनों में खबर आई कि सीमा भाभी के गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कन ना होने की वजह से उनका अर्बाशन करना पड़ा !! इस खबर से सभी बहुत दुःखी हुए !!

छोटी भाभी शालू ने निशा भाभी से कहा कि वे बस एक बार यहां आ जाए तो यहां वे उनकी सेवा कर पाएंगी क्योंकि अर्बाशन के बाद बहुत कमजोरी आ जाती हैं !!

विबोध कार में बैठाकर निशा को यहां ससुराल ले आया और विबोध ने यहां ओर सुख सुविधाएं भर दी ताकि निशा को कोई कर्म ना रह पाए !! सीमा भी अपने ससुराल से इजाजत लेकर थोड़े दिन निशा भाभी की देखभाल के लिए मायके आई !!

यहां अब शालू और सीमा मिलकर निशा का खुब ध्यान रखने लगे मगर यह क्या उस दिन आए फोन से सीमा अंदर तक हिल गई , सीमा के पति हरिश को व्यापार में बहुत बड़ा नुकसान हो गया था , यहां तक कि हरिश कर्जे में डुब गया था !! सीमा फोन रखकर फफक फफक कर रो पड़ी !!

छोटे भाई निलेश और भाभी शालू ने सीमा को सांत्वना दी और बोले पगली !! फिक्र मत कर तेरे दो दो भाई हैं , हम लोग तेरी मदद जरूर करेंगे, निलेश ने अपने भाई होने का कर्तव्य यह कहकर पुरा किया था क्योंकि एसे क्क्त में प्यार से बोले दो शब्द भी दिल पर लगी चोट पर मरहम का काम करते हैं !!

सीमा का इस खबर के बाद किसी काम में मन नहीं लग रहा था मगर निशा भाभी की नाजुक हालत को देखकर वह सब काम कर रही थी !! रोज निशा को पुरी बॉडी मालिश सीमा ही करके देती थी और उसके लिए पौष्टिक खाना शालू बनाती थी !!

आज भी सीमा ने निशा को बॉडी मॉलिश की और निशा बाथरूम से नहाकर आई तो अपनी सोने की चैन ढूंढने लगी , वह बोली मैंने रोज की तरह चैन निकालकर यहीं ड्रॉवर में तो रखी थी , सीमा भी निशा को चैन ढूंढने में मदद करने लगी मगर चैन कहीं नहीं मिली !!

शालू रसोई से आई तो बोली मेरी कामवाली जमुना यहां काम कर रही थी मगर वह तो हमारे यहां तब से हैं जब से सीमा , निलेश और विबोध भैया की शादी भी नहीं हुई थी , वह ऐसा क्यों करेगी ??

किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था और यहां निशा का माथा ठनक गया था क्योंकि चालीस ग्राम की चैन घर से गायब हो जाना कोई छोटी बात नहीं थी !!

उसे उस रात नींद नहीं आई क्योंकि निशा को सीमा पर शक होने लगा था और दूसरे दिन सीमा अपने ससुराल जाने वाली थी इसलिए दूसरे दिन उसने सीमा के बाथरूम में जाने के बाद विबोध से कहकर उसके बैग की तलाशी ली और उसे यूं अपमानित होना पड़ा था !!

ट्रेन के हॉर्न की आवाज से सीमा वर्तमान में लौटी , उसके ससुराल का शहर आ गया था !! जैसे ही सीमा ससुराल लौटी उसकी सास गंगा जी बोली बेटा , तेरा सामान कहां हैं ?? गंगा जी बहुत अच्छी महिला थी , सीमा के शादी के बाद उन्होने बेटी जैसा प्यार दिया था उसे !! गंगा जी के इस सवाल पर सीमा फिर से रो पडी और उसने सारी घटना अपनी सास को बता दी !!

गंगा जी को यह सुनकर बहुत दुःख हुआ और उन्होने सीमा को गले से लगा दिया और आराम करने कहा !!

सीमा जाकर अपने कमरे में लेट गई मगर उसकी आंखों से नींद गायब थी !!

रात को जैसे ही हितेश घर आया , उसने सारी बात हितेश को बताई और बोली हितेश तुम्हारा व्यापार क्या डुबा , मेरे भाई भाभी ने मुझे चोर घोषित कर दिया , यह भी नहीं सोचा कि मैं यहां से इतनी दूर सिर्फ भाभी की सेवा करने गई थी !! 

हितेश बोला दुःख के दिनों में लोग अकेला छोड़ देते हैं यह बात तो सुनी थी निशा मगर चोरी का इल्जाम लगा देते हैं यह आज देखा , तुम फिक्र मत करो सीमा , यह हालात भी जरूर बदलेंगे और वापस हमारी नैया किनारे पर आ जाएगी !!

सीमा बोली आज से मेरा बडे भाई भाभी से रिश्ता खत्म हैं हितेश , मुझे उन लोगों का मुंह भी नहीं देखना और रही बात तुम्हारे व्यापार की तो हम दोनों मिलकर फिर से मेहनत करेंगे और अपना व्यापार फिर से जमाएंगे !! वहां जैसे ही छोटे भाई निलेश और भाभी शालू को यह सारी बात पता चली दोनों ने सीमा को बहुत फोन किए मगर सीमा ने किसी का फोन नहीं उठाया यहां तक कि अपने पापा मनोहर जी का भी नहीं !!

मनोहर जी को अपने बेटे बहु का यह व्यवहार देख बहुत दुःख हुआ था मगर वे  बेचारे अब कर ही क्या सकते थे ??

भाभी शालू हर हफ्ते सीमा को फोन करती मगर सीमा  किसी का फोन उठाने तैयार नहीं थी !! सीमा बस अपने पति के साथ मिलकर उसका व्यापार वापस खड़ा करने में लगी थी और आखिर चार साल की मेहनत रंग लाई !!

सीमा और हितेश ने मिलकर वापस अपना व्यापार जमा लिया था , सारे लेनदार को वे लोग पैसे भी दे चुके थे जिससे उन्हें कर्जे से मुक्ति मिल गई थी !! इन चार सालों में निलेश और शालू ने भरसक कोशिश की थी सीमा को मनाने की मगर सीमा के आतमसम्मान को गहरी चोट पहुंची थी इसलिए उसने मायके से अपना रिश्ता खत्म कर दिया था , हां अपने पिता को फोन कर कभी कभार उनका हालचाल पूछ लेती बस !!

सीमा और हितेश अब वापस बुलंदियों को छु रहे थे , सीमा ने खुशी से अपने पिताजी को फोन किया , वहां से मनोहर जी बोले आज बस हालचाल पूछकर फोन मत काट देना बिटिया , मेरी पुरी बात सुनना , तेरा पिता भी अब बुढ़ा हो चला हैं , जाने ओर कितने दिन रहुं ना रहुं !!

सीमा बोली पापा ऐसी बातें ना करो , बोलो क्या हुआ ??

मनोहर जी बोले बेटा , थोड़े दिन पहले ही हमारी कामवाली जमुना रमणलाल जी के घर चोरी करते हुए पकड़ी गई , जिस जमुना पर घर में सभी को बहुत विश्वास था उसकी पोल अब जाकर खुली हैं , तेरे बड़े भाई भाभी अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा हैं !!

सीमा बोली पापा , मेरे लिए अब यह सब बेफिजूल बातें हैं और चाहे भाई भाभी कितने भी शर्मिंदा क्यूं ना हो , मैं उन्हें कभी माफ नहीं करूंगी !!

बेटा तेरे भाई विबोध की दोनों किड़नियां खराब हो गई हैं , जिस वजह से वह हॉस्पिटल में एडमिट हैं , वह डायलसिस पर हैं बेटा , जाने आगे क्या हो जाए , तु सिर्फ उससे एक बार मिलने चली जा , वह तुझसे माफी मांगना चाहता हैं बस ओर कुछ नहीं !!

भाई की बीमारी की बात सुनकर सीमा का दिल पसीज गया , आखिर थी तो वह भी एक बहन ही , हो ना हो खुन का रिश्ता तो खुन का रिश्ता होता हैं !!

सीमा ने हितेश को सारी बात बताई और दोनों अपने भाई से हॉस्टिपल मिलने पहुंचे !! विबोध और निशा दोनों सीमा को यूं अचानक देख बहुत खुश हुए , दोनों ने सीमा से माफी मांगी !!

उतने में निलेश और शालू भी आ गए , सभी एक दूसरे को इतने साल बाद देख रहे थे , सभी की आंखों से आंसु बह रहे थे !!

बातों बातों में निलेश से पता चला कि सभी ने अपनी किडनियां चेक करवा ली मगर किसी की किडनी मैच नही हो पा रही हैं , सीमा ने भी अपनी किडनी देने के लिए अपना चेकअप करवाया और सीमा की कीडनी मैच कर गई !!

सीमा ने विबोध को अपनी किड़नी देकर उसकी जान बचाई !!

आज तो विबोध और निशा शर्मिंदगी के कारण जमीन में धंसे जा रहे थे !!

दोस्तों , कभी कभी खुन के रिश्तों में भी दरार आ जाती हैं मगर मुंह से कड़वे वचन निकालने से पहले सौ बार सोचे क्योंकि जब कोई अपना ही घाव देता हैं तो फिर उस पर मरहम भी काम नहीं करता !! 

आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें !!

धन्यवाद !!

स्वाती जैन

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