समय से सबक – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

केतकी के कपड़ों के नए शोरूम का उद्घाटन होने वाला था , सब परिवार वाले जहां बहुत खुश थे वहीं केतकी की आंखों में आसूं थे, उसके पति राजीव से उसकी हालत छिप नहीं सकी और उसने केतकी से पूछा

“क्या बात है केतकी आज इतना खुशी का दिन है और तुम्हारी आंखों में आसूं ? क्या बात है? बताओ तो”

“कुछ नही राजीव ये तो खुशी के आंसू हैं। कभी सपने में भी नही सोचा था कि हमारा ये शो रूम शुरू हो पाएगा। और पहले  भी कभी नही सोचा था कि हमारी हालत बद से बदतर हो जायेगी । हमारे कल और आज में कितना जमीन आसमान का फर्क है। है ना…….  ” केतकी अपने आंसू पोंछते हुए बोली

हां तो अब हालत सुधर गई फिर भी तुम रो रही हो। अब पुरानी बातों को एक बुरा सपना मान कर भूल जाओ और वर्तमान में जीओ , राजीव केतकी को समझाते हुए बोला

 चलो अब तैयार हो जाओ सब लोग आ ही गए समझो

 कहकर राजीव तैयार होने चला जाता है और केतकी भी अपने कमरे में तैयार होने चली जाती है पर उसकी आंखों के आगे अब भी पुराने दिन घूम रहे थे बचपन से लेकर अब तक….

  केतकी अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। संयुक्त मध्यम वर्गीय परिवार से थी तो बहुत मिलनसार और खुशमिजाज थी। सहज ही उसको एक अच्छा रिश्ता मिल गया । लड़का  कपड़ों का इंपोर्ट एक्सपोर्ट का  बिजनेस करता था और अच्छे घर परिवार से था। दोनो की चट मंगनी पट ब्याह हो गया। केतकी जल्दी ही  नए घर परिवार में घुल मिल गई।

केतकी के ससुराल में केतकी के एक देवर और एक जेठ थे पर सबका अपना  अपना बिजनेस और परिवार अलग अलग ही था। एक बड़े से घर में सबके घर के अलग अलग हिस्से थे । केतकी अपने सास ससुर के साथ रहती थी। केतकी के पति राजीव का अच्छा खासा व्यापार चल रहा था तो केतकी ने अपने लिए सोने के खूब सारे गहने बनवा लिए क्युकी उसे पहनने ओढ़ने का बहुत शौक था ।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

 दाखिला – गुरविन्दर टूटेजा

वैसे ठीक भी था एक तरह से बचत हो रही थी क्युकी केतकी बहुत खुले हाथ की थी , बचत करना तो जैसे वो जानती ही नहीं थी। घर में पैसों की कोई कमी नही थी तो खूब ऐशो आराम से रहती। धीरे धीरे ये उसकी आदत बन गई। घर को सजाना नया नया सामान लाना इसमें खूब खर्चा करती थी और बचत करना तो उसकी आदत में वैसे ही शुमार नही था ।

धीरे धीरे उसका परिवार भी बढ़ गया , दो बेटियों की मां बन गई। बच्चे धीरे धीरे बड़े हो रहे थे तो अब उसको घर छोटा पड़ने लगा तो राजीव ने घर का रेनोवेशन करवा कर दो कमरे अतिरिक्त और बनवा लिए। और एक बार घर का काम शुरू होने के बाद कितना ही पैसा लग जाए पता ही नही चलता वो ही केतकी के साथ भी था।

कहने को तो दो ही कमरे बने थे पर उसने अपनी आदत अनुसार   खर्चा काफी कर दिया था । जो भी सेविंग थी वो घर बनने में लग गई और बाकी अपनी बेटियों की पढ़ाई लिखाई में जा ही रही थी। राजीव और  केतकी के व्यवहार से रिश्तेदारी में संबंध बहुत अच्छे थे । वो सबके सुखदुख में साथ रहते थे और जरूरत पड़ने पर रुपए पैसे से भी  मदद करते थे इसलिए काफी रुपए औरों के पास भी थे।

   तभी समय ने करवट ली और राजीव को व्यापार में बड़ा नुकसान हो गया । इधर अभी नया घर बनवाया और उधर नुकसान हो गया। केतकी और राजीव को बड़ा झटका लगा।  बेटियां भी धीरे धीरे बड़ी हो रही थी , उनके भी  खर्चे बढ़ रहे थे। 

    उनका आज, उनके कल से बिलकुल अलग था। केतकी को जैसे रहने की आदत थी  वैसे ही उसकी बेटियां भी थी। आराम पसंद….

    बिना एसी उनको नींद नही आती। कपड़े भी नए चाहिए होते। खरीदारी का इतना शौक कि बस पूछो मत पर जो उनका  बीता हुआ कल था वो उनका आज नही था। आज तो उनको घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा था। केतकी को टेंशन से कई बीमारियां हो गई। आए दिन वो बीमार हो जाती ,रोती रहती। उसने जो गहने बनवाए

वो एक एक कर बिक रहे थे क्युकी राजीव ने अपने व्यापार के लिए काफी लोन उठा रखा था बाजार से। अब लेनदारों की भीड़ आने लगी तब उसने अपने गहने बेचकर सबका पैसा चुकाया। 

    केतकी के पास बचत के  नाम पर बस गहने ही तो थे वो भी अब उससे दूर होते जा रहे थे। केतकी को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था की समय रहते बचत की आदत क्यो नही डाली कम से कम उसका आज तो कल की तरह खूबसूरत होता। पर अब पछताने से क्या फायदा

इस कहानी को भी पढ़ें: 

प्रबंधन” – प्रीता झा

     पर हां एक बात थी जो उसने अपने बीते हुए कल से सबक के तौर पर सीखी वो ये कि समय का कोई पता नहीं कब बदल जाए …..जाने कब जिंदगी में कौनसा मोड़ आ जाए ये कोई नही जानता ….इसलिए मानसिक रूप से अपने आप को मजबूत रखकर जिंदगी जीना आना चाहिए। अपने आने वाले कल के बारे में बहुत ज्यादा नहीं पर जरूरत के मुताबिक  सोचकर चलने  में सबका भला है।

हर परिस्थितियों में रहने , ढलने का गुण हर इंसान मे होना चाहिए ताकि मुसीबत के समय वो उसका डटकर मुकाबला करे।

     केतकी ही जानती थी करोड़पति से रोडपति बनना कितना आसान है पर  अपने आपको उन परिस्थितियों में ढालकर चलना कितना मुश्किल।

     वो समझ गई थी कि कल , आज और कल जरूरी नहीं हमेशा एक सा  रहता हो 

     अब केतकी और राजीव ने  अपने जान पहचान के लोगों की मदद से  एक छोटी सी कपड़ों की दुकान डाल ली ।( उसने पूरी जिंदगी में रिश्ते तो जरूर कमाए ही थे जो अब विपत्ति के समय उनका सहारा बने हुए थे) अपने मधुर व्यवहार से जल्दी ही उसके ग्राहक बढ़ गए। उसके कपड़ों की क्वालिटी और दाम भी बहुत अच्छे होते थे।

  ग्राहक की पहुंच में होते थे जो हर ग्राहक की पहली पसंद होते हैं। राजीव बाहर का काम करता और केतकी दुकान संभालती। बेटियां भी बाहर होस्टल में पढ़ने  भेज दी ताकि उनकी पढ़ाई पर घर के तनाव युक्त माहोल का कोई फर्क ना पड़े।

     धीरे धीरे दोनो की मेहनत रंग लाई और उसका व्यापार चल निकला। और उसकी बड़ी बेटी का भी सरकारी नौकरी में नंबर आ गया। उसके अच्छे दिन लौट रहे थे और आखिरकार आज वो दिन भी आ ही गया जब उसके शोरूम का उद्घाटन होने वाला था।

     मां ….. मां कहां हो? , शुभी( केतकी की बेटी) की आवाज से केतकी अपने कल की यादों से वापस अपने आज में आई हां बेटा …अभी आई …..कहकर केतकी अपनी सारी पुरानी कल की यादें भूलकर अपने आने वाले कल को संवारने के लिए अपने आज को जीने चली गई और अब वो बहुत फूंक फूंक कर कदम रखती थी क्योंकि उसने समय को बदलते देखा था जो उसे अच्छा सबक सिखा गया था।

    दोस्तों कभी हमारे कल की बुरी यादें होती हैं तो कभी अच्छी यादें। पर उन यादों से टूटने की बजाय , कुछ सीख कर आगे बढ़ा जाए तो आने वाले कल को जरूर बेहतर बना सकते हैं।

    और समय हमेशा एक सा नहीं होता। जिंदगी में कौनसा मोड़ कब आ जाए ये कोई नही जानता इसलिए सफल होने पर न तो कभी घमंड करना चाहिए और न ही बड़बोला बनना चाहिए।

    जमीन से जुड़े रहने में ही सबका भला है और पता नही जिंदगी में कौन कब काम आ जाए इसलिए अपना व्यवहार मधुर रखकर, रिश्ते बनाकर चलना चाहिए ताकि विपत्ति के समय ये रिश्ते और हमारा व्यवहार मरहम का काम करके हमारे दुख दर्द दूर कर सके।

 आपकी क्या राय है ? मुझे ज़रूर अवगत करवाएं   

    धन्यवाद

    निशा जैन

    दिल्ली

2 thoughts on “समय से सबक – निशा जैन : Moral Stories in Hindi”

Comments are closed.

error: Content is Copyright protected !!