वो गोद ली हुई है सिर्फ इसलिए उसका तिरस्कार सही है ? – संगीता अग्रवाल 

” श्रेया…. शीना को दो ये गुड़िया क्यों रुला रही हो उसे !” मानसी अपनी बड़ी बेटी से चिल्ला कर बोली।

” पर मम्मा शीना के पास कितने सारे टॉयज हैं मेरे पास तो बस यही एक गुड़िया है।” सात साल की नन्ही मासूम सहम कर बोली।

” छोटी है वो और तुम इतनी बड़ी हो गई तब भी कुछ नहीं समझती लाओ ये गुडिया !” मानसी श्रेया से गुड़िया छीनते हुए बोली।

चार साल की शीना गुड़िया मिलने से खुश थी पर मासूम श्रेया नहीं समझ पा रही थी कि उससे हर चीज क्यों छीन ली जाती है। क्यों मम्मी उसे शीना की तरह प्यार नहीं करती , क्यों उसे अपने हाथ से खाना नहीं खिलाती वो भी तो बच्ची ही है अभी।

” पापा मुझे नया स्कूल बैग चाहिए , पेंसिल बॉक्स भी बार्बी वाला!” एक दिन श्रेया अपने पापा अमित से मचलते हुए बोली।

” क्या जरूरत है अभी पिछले साल तो बैग आया है वहीं बैग और पेंसिल बॉक्स इस्तेमाल करो जो है तुम्हारे पास!” अमित कुछ बोलता उससे पहले ही मानसी बोली।

” कोई बात नहीं मानसी उसे नया चाहिए ला दूंगा बात ख़तम !” अमित बोला।

” नहीं कोई जरूरत नहीं है नए की। आदत मत खराब करो तुम इसकी और श्रेया तुम जाकर पढ़ो …पढ़ना लिखना है नहीं कभी ये चाहिए कभी वो !” मानसी अमित को चुप करा श्रेया पर भड़की तो श्रेया रोते हुए अन्दर चली गई।

” मानसी ये तुम सही नहीं कर रही श्रेया के साथ। क्या इस दिन के लिए गोद लिया था उसे तुमने कि जब अपनी बच्ची हो जाए तो उसे दूध में पड़ी मक्खी सा निकाल फैंकों अपनी जिंदगी से !” अमित श्रेया को रोता देख बोला।

” कौन सा निकाल फैका मैने उसे अमित सब कुछ तो मिल रहा उसे जो शायद उस अनाथालय में कभी ना मिलता !” मानसी तुनक कर बोली और अपने काम में लग गई।




अमित गुस्से को पीकर रह गया मानसी का रवैया उसे बहुत खराब लगता था कहां उसने श्रेया को गोद लेने के लिए कितने पापड़ बेले थे जब शादी के तीन साल बाद डॉक्टर ने कह दिया था कि मानसी शायद ही कभी मां बन पाए। तब दोनों की रजामंदी से एक बच्ची गोद लेने की जद्दोजहद शुरू हुई जो एक साल बाद श्रेया के घर आने पर ख़तम हुई। उनकी सूनी बगिया को श्रेया की खिलखिलाहट ने गुलजार किया था। मानसी कितना प्यार करती थी उसे हर चीज कहने से पहले करती थी उसके लिए मानो मानसी की दुनिया श्रेया के इर्द गिर्द ही सिमट गई हो।

फिर लगभग पांच साल पहले एक चमत्कार हुआ….

” मानसी जी आप मां बनने वाली हैं!” एक दिन मानसी की तबियत खराब होने पर जब अमित उसे डॉक्टर के पास लेकर गया तब डॉक्टर ने कहा।

” पर डॉक्टर ….कैसे … मैं तो …!” हैरानी और खुशी के मिले जुले भावों के कारण मानसी हकलाने लगी।

” मानसी जी मेडिकल साइंस में भी मिरिकल हो जाते हैं वैसे भी हमसे ऊपर एक भगवान है जो सब कुछ करता है !” डॉक्टर ने कहा।

मानसी और अमित की खुशी का ठिकाना ना था ठीक चार साल पहले मानसी की गोद में शीना आईं श्रेया भी खुश थी छोटी बहन को देख। पर उसके बाद मानसी का सारा प्यार दुलार बस शीना के लिए था श्रेया तो मानो अनचाही बन गई थी उसके लिए। तबसे आज तक श्रेया के हिस्से में सिर्फ थोड़ा अमित का प्यार बचा था। क्योंकि मानसी अमित की भी नहीं सुनती थी उसके लिए श्रेया पराई सी हो गई थी।

अमित ने श्रेया को जाकर देखा तो वो रोते हुए सो चुकी थी अमित उसका माथा चूम वापिस अा गया।

” क्या सब कुछ फैला कर रखती है ये श्रेया ..!” अगले दिन बच्चों के स्कूल और अमित के ऑफिस जाने के बाद मानसी श्रेया के कमरे में आकर बोली। वो घरेलू सेविका को बुलाने ही जा रही थी कि एक कॉपी पर उसकी निगाह पड़ी जिसमे कुछ लिखा था उसने कॉपी उठाई…




” भगवान जी क्या मैं गंदी वाली बच्ची हूं जो मम्मा मुझे प्यार नहीं करती पर मैं तो अपना सभी काम समय पर करती हूं मम्मा की बात भी मानती हूं फिर मम्मा मुझे प्यार क्यों नहीं करती शीना को ही करती है बस …भगवान जी आप तो सबकी विश पूरी करते हो मेरी भी कर दो ना अगर मैं मम्मा को अच्छी नहीं लगती तो मुझे गायब कर दो जैसे मिट्ठू की दादी को गायब किया था अब वो किसी को दिखती नहीं।  (श्रेया की सहेली की दादी की मृत्यु कुछ दिन पहले हुई थी पर श्रेया समझती थी उसकी दादी गायब हो गई)  मैं भी किसी को नहीं दिखना चाहती क्योंकि मेरे रहने से मम्मा को गुस्सा आता है। फिर मम्मा के पास बस शीना रहेगी फिर चाहे वो मेरी गुड़िया ले या मेरी सारी चीजें मुझे बुरा नहीं लगेगा और मम्मा भी खुश रहेंगी। प्लीज़ भगवान जी मुझे गायब कर दो ना ।” उस कॉपी में श्रेया ने ये लिख रखा था साथ में सूखे हुए आंसुओं की बूंदें भी चमक रही थी शायद ये रात ही लिखा था श्रेया ने रोते रोते।

मानसी की आंखें ये पढ़कर खुद ब खुद गीली हो गई वो सोचने लगी ये कैसी गलती हो गई उससे ” जिस बच्ची ने मुझे मां बनाया मेरे सूने घर को अपनी किलकारी से भरा उसके साथ मैं कैसा सलूक कर रही हूं … शीना के आने के बाद मैं क्यो बदल गई इतनी क्या एक मां दो बच्चों को बराबर प्यार नहीं करती फिर मैं क्यों…? क्या श्रेया गोद ली हुई है इसलिए? कितनी छोटी सोच है मेरी जबकि उस बच्ची को तो कुछ पता तक नहीं। क्या बीत रही होगी मासूम दिल पर जो वो अपनी मौत मांग रही भगवान् से नहीं।मुझे सबसे पहले मां उसने कहा और मैं उसी की मां नहीं बन पाई। क्या ये घर उसके बिना रह सकता है , हम रह सकते हैं… नहीं मेरा घर श्रेया के बिना सूना है मेरा परिवार उसके बिना अधूरा है !” मानसी रोते रोते खुद से बोली।

” मम्मा …. मैं आ गई !” तभी बाहर शीना की आवाज़ सुनाई पड़ी मतलब बच्चियां स्कूल से आ गई थी ।




मानसी ने आंसू पोंछे और बाहर आई और बच्चियों को देख जमीन में बैठ अपनी दोनों बाहें फैला दी शीना झट मां के गले लग गई जबकि श्रेया दूर से देखने लगी।

” अपनी मम्मा के गले नहीं लगेगी श्रेया!” दूसरी बाह को फैलाए फैलाए मानसी बोली।

श्रेया आश्चर्य से मां को देखने लगी फिर दौड़ कर गले लग गई मानो मां का ये प्यार कोई सपना है और टूटने से पहले उसे ये पा लेना चाहिए।

 

मानसी ने दोनों बच्चियों का माथा चूमा और दोनों के हाथ मुंह धुला अपने हाथ से खाना खिलाने लगी। श्रेया थोड़ी खामोश थी पर उसकी आंखों की चमक बता रही थी उसे सब अच्छा लग रहा है पर जैसे विश्वास नहीं कर पा रही थी वो कि ये सच है।

” चलो अभी हम तैयार होंगे और फिर बाज़ार जाएंगे आज श्रेया के लिए बहुत सारी शॉपिंग करनी है हमे न्यू बैग , पेंसिल बॉक्स और हां एक प्यारी सी ड्रेस भी !” मानसी दोनों को तैयार करते हुए बोली।

” सच्ची मम्मा !” आखिरकार श्रेया खुशी से चहक उठी।

” हां बेटा सच्ची !” मानसी उसका गाल चूमते हुए बोली।

” ओल मम्मा मेले लिए बी !” नन्ही शीना बोली।

” हां आपके लिए भी !” ये बोल मानसी ने दोनों को सीने से चिपटा लिया श्रेया को कुछ ज्यादा ही कस कर शायद उसे खोने का डर अभी तक था मानसी को।

दोस्तों कुछ लोग खुद का बच्चा ना होने की सूरत में बच्चा गोद ले लेते हैं पर खुशकिस्मती से आगे चलकर अपना बच्चा हो जाने पर गोद लिए बच्चे से सौतेला व्यवहार करते हैं जो उस बच्चे के मासूम दिल को छलनी कर देता है। ऐसे मां बाप से मैं यही कहना चाहूंगी एक बार सोच कर देखिए क्या वो बच्चा सिर्फ एक खिलौना मात्र था जिससे आप कुछ समय खेले फिर कोने में छोड़ दिया ….क्या बस जरूरत की चीजें उसे देना भर ही अब आपका कर्तव्य है … क्या उसके बिना आपका घर घर रहेगा ?

#तिरस्कार 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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