वह लड़की – निभा राजीव

राहुल उन लड़कों में से था, जिन्हें पढ़ाई से कोई मतलब नहीं होता। घर से कॉलेज से निकलना भी उनके लिए आवारागर्दी करने का एक माध्यम मात्र होता है ।

              उस दिन भी वहअपना कॉलेज बंक कर दिन भर अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता रहा। जब धीरे-धीरे अंधेरा गहराने लगा तो फिर उन लोगों ने घर का रुख किया। राहुल और उसके दो दोस्त बाइक पर हंसी मसखरी करते हुए चले जा रहे थे। अचानक दूर एक लड़की खड़ी दिखाई दी। उसकी पीठ इस तरफ थी। उसे देखते ही तीनों की आंखें कामातुर होकर होकर चमक उठीं। तीनों ने एक दूसरे को आँखों ही आँखों में इशारा किया और एक भद्दी सी मुस्कान उनके चेहरे पर आ गयी। उसके एक दोस्त ने जोरों की सीटी बजाई। दूसरे दोस्त ने उस लड़की पर फिकरा कसते हुए चिल्लाकर कहा- “हाय जानेमन!” ….इस पर वह लड़की बुरी तरह से चौंक गई और डर कर आगे की तरफ बढ़ने लगी। उसे डरी हुई देखकर उन्हे और मज़ा आने लगा। उन्होने झटके से उसके बगल में बाइक रोक दी।  राहुल बाइक से कूदा और उसने झपट कर उस लड़की की बाँह पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। अब वह लड़की उसके सामने खड़ी थी। उसकी शक्ल देखते ही अचानक उसे ऐसा लगा जैसे उसे अचानक भरे बाज़ार में नंगा कर दिया गया हो।…..


सामने उसकी ही दृष्टिहीन बहन निधि खड़ी थी। वह बहुत डर गई थी और थरथर काँप रही थी। पर राहुल ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा, निधि ने उसकी खुशबू और उसके स्पर्श से उसे पहचान लिया। वह भय से काँपते हुए उसके सीने से लग गई- “भैया अच्छा हुआ, तुम आ गए!  देखो ना कौन लोग हैं मुझे छेड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मैं तो बुआ के साथ मंदिर आई थी। और यहां आज मंदिर में थोड़ी देर हो गई। हम यहां तक निकल कर आए तो बुआ को पता चला कि उनका पर्स मंदिर में ही छूट गया।बुआ मुझे कुछ देर यहां रुकने को कहकर पर्स लाने मंदिर गई हैं। पता नहीं यह दरिंदे कहां से आ गए। भैया मुझे बहुत डर लग रहा है। मुझे बचा लो भैया। मुझे घर ले चलो। दूसरों की बहन को ये राक्षस बहन नहीं समझते..”….. तीनों लड़के स्तब्ध किंकर्तव्यविमूढ़ खड़े रह गए। निधि के एक-एक शब्द कोड़े बन कर उनके मन पर बरस रहे थे। किसी की बहन की इज्जत क्या होती है, शायद इसका मूल्य उनकी समझ में आ चुका था।

निभा राजीव

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