आभासी सुंदरता – Dr. Parul Aggrwal

आज मैं आप सभी के साथ एक कहानी नहीं विचार साझा कर रही हूं। जो बताने जा रही हूं कहीं न कहीं उससे हम सभी ही रूबरू हुए होंगे आजकल का दौर टेक्नोलोजी का है, सोशल मीडिया से लेकर तरह- तरह के ऐप आज ही उपलब्ध हैं। कई ऐप की वजह से तो हमारी ज़िन्दगी थोड़ी आसान भी हुई है पर कई हमे एक ऐसी तिलस्मी या काल्पनिक दुनिया में ले जा रहे हैं जो हमारी सोचने- समझने की क्षमता पर भी असर डाल रहे हैं। चलिए अब ज्यादा पहेली ना बुझाते हुए मै अपनी असली बात पर आती हूं। मै बात कर रही हूं आजकल उपलब्ध अलग – अलग प्रकार के फोटो ऐप की, सोशल मीडिया के चलते हम सभी को शौक है अपनी पिक्चर को अपलोड करने का जिसे हम अपने दोस्तो को,

अपने परिवार वालों को दिखा सकें। पर कई बार इन पिक्चर को देखकर ऐसा लगता है कि ये इंसान तो देखने में ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि जब हम इससे मिलते हैं तो इसके फीचर्स, नैन नक्श तो बिल्कुल अलग लगते हैं। ये सब संभव होता है हमारे मोबाइल में उपलब्ध फोटो ऐप्स से। ये ऐप एक से एक नए फीचर्स से भरे होते हैं, इनकी मदद से काले को गौरा, मोटे को पतला सब किया जा सकता है। सुंदर दिखना हम सब की प्रकृति होती है,अपने रूप की तारीफ सुनना हम सभी को अच्छा लगता है पर  हम जैसे हैं सुंदर हैं, हमारी सुन्दरता दूसरों की तारीफ पर निर्भर क्यों रहे? इन ऐप्स की हेल्प से हम अपनी कुदरती सुंदरता को क्यों बदलें? हो सकता है आपलोग मेरी इस बात से सहमत ना हों पर कई बार इन ऐप्स का हमारे मनोविज्ञान पर  स्पेशली हमारी टीनऐज पीढ़ी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । अब ऐसा ही एक किस्सा मै आपको बताने जा रही हूं


,मेरी एक छात्रा जिसका नाम रचना है काफी साधारण सी टीचर्स की आज्ञाकारी लड़की है उसके मार्क्स अच्छे आने पर उसके पापा ने अपने वायदे के अनुसार उसको एक नया फोन दिलवा दिया.. नया फोन आने से जैसे उसके सपनों को तो पंख ही लग गए, उसने सोशल नेटवर्किंग मैं अपने अकाउंट बनाकर काफी नये- नये लोगो से दोस्ती कर ली,कई ग्रुप ज्वाइन कर लिए। इस नई दुनिया में कदम रखने के साथ उसने अपनी तरह – तरह की पिक्चर भी अपलोड की  जिसमे वो अपने चहरे के नैन नक्स को पूरी तरह बदल कर डालती थी.. उसकी इन पिक्स पर उसको काफी प्रशंसा भरे कॉमेंट्स आते थे। उस पर तो जैसे सोशल मीडिया का बुखार पूरी तरह हावी हो गया था,

इसी कड़ी में उसके जो फ्रेंड्स जो सोशल मीडिया पर बने थे उन्होंने मिलने का प्लान बनाया। अब मिलने तो वो चली गई पर वहां जितने भी उसके नए बने दोस्त मिले उन्होंने उसे ये कहकर की हम लोगो को तो लगा था कि तुम बहुत खूबसूरत, स्मार्ट सी लड़की होंगी पर असलियत तो कुछ और ही है तुम तो बहुत साधारण सी लड़की हो कहकर खूब मज़ाक बनाया, वो काफी इमोशनल लड़की थी । उन लोगो के इस तरह मज़ाक बनाए जाने पर वो पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई। उसके माता – पिता भी परेशान हो गए कि अच्छी- खासी लड़की को क्या हुआ है। बाद में जब स्कूल में उसकी काउंसलिंग हुई तब पूरी बात समझ में आ गई। समय रहते बात संभल गई।

हालांकि बात कोई बहुत बड़ी नहीं थी पर मेरे कहने का ये मकसद है कि हम जैसे हैं अच्छे हैं,कहीं ना कहीं हम अपने अंदर कमी महसूस करते हैं तभी हम इस तरह के ऐप्स का प्रयोग करते हैं। हमारी सुंदरता का पैमाना दूसरे  लोग क्यों निर्धारित करें। जो आपको दिल से पसंद करता होगा उसको आप हर हाल में खूबसरत लगोगे अंदर का आत्मिश्वास हमारे चहरे पर वो चमक ला सकता है जिसके आगे हर क्रीम हर ऐप्स फीकी है। तो चलिए कदम बढ़ाए टेक्नोलोजी के इस युग में भी वास्तविकता की हमारी अपनी दुनिया की ओर।  “क्योंकि कुछ खास है हम सभी में”….

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