काॅल बेल बजी, देखा एक 10-12साल का लड़का कैरी बैग लिए खड़ा था,” क्या काम है ” सीमा ने पूछा,
वो कोने वाली कोठी से आंटी ने भेजा है,खोला तो देखा थोड़ा सा ताजा पालक,मेथी,टमाटर, हरी धनिया और,एक टुकड़ा कद्दू, करौंदे,नींबू ?इतनी ताज़ी सब्जियां देख कर उसे मज़ा आ गया।
सीमा और अतुल कालोनी मे अभी कुछ दिन पहले ही आए थे किसी को अच्छी तरह से जानते भी नहीं थे।पर तभी उसे ध्यान आया उस कोठी मे तो एक बुजुर्ग कपल गुप्ता करके रहता है, उनके घर की हरियाली देख कर बरबस नज़र उस तरफ़ उठ जाती थी।
इतवार को सीमा और अतुल दोपहर में 12बजे के करीब उनके घर उन्हें धन्यवाद देने गये तो देखा गुप्ता जी अखबार में लीन थे,दोनों की उम्र लगभग 70-75साल की होगी,उनकी वाइफ़ ताजा टूटी सब्जियों की ढेरियां लगा रही थी, वो छोटा लड़का सब्जियों के पैकेट बना रहा था।
नज़र घुमा कर देखा क्यारियों में,गमलों में,फिनाइल के प्लास्टिक के डिब्बों को काट कर, पेंट की छोटी-बड़ी बाल्टियों में,ग्रो बैग में तरह तरह की सब्जियां उगा रखी थी।
ज़मीन में लगी,कद्दू, लौकी,तोरई,खीरे की बेल,फर्स्ट फ्लोर तक फैली थीं,जिनमें छोटे छोटे कद्दू तोरी, खीरे लगे थे ।
दो बड़े गमलों में नींबू के छोटे-छोटे पेड़ पीले पीले नींबूओं से लदे थे।बाहर लगी करौंदे की “बुश”छोटे बड़े करौंदे से भरी हुई थी।
दही के,मैगी के खाली प्लास्टिक के छोटे-छोटे गिलासों में फूलों की छोटी-बड़ी पौध/कटिंग लगी थी।
आंटी ने बताया,घर में उगी सब्जियों वे कालोनी में बांट देती हैं।
अपने माली और मेड को पौधे बेचने से कुछ एक्स्ट्रा इन्कम हो जाऐ,उसमें सहायता करती हैं।
ये छोटा लड़का स्कूल के बाद और छुट्टी के दिन बगीचे का काम करता है,इसकी फीस और किताबों का ,यूनिफॉर्म का खर्चा उठाती हैं ।
रंग बिरंगे फूलों से भरा उनका छोटा सा बगीचा देखते ही लगा जैसे स्वर्ग में आ गये हों।
” और अंकल ! उनका मन कैसे लगता है आप तो इन पेड़ पौधों में बिज़ी रहती हैं”?सीमा नें पूछा?
शाम को ये इस लड़के को पढ़ा देते हैंकम्प्यूटर सिखा देते हैं ,मैं काम वाली लड़कियों को खाना बनाना, मेंहदी लगाना सिखा देतीं हूँ।
तभी उनकी मेड ताज़े नींबू की शिक॔जी और लौकी के पकौड़े, हरी धनिया की चटनी के साथ ले आई, वाओ! सब कुछ ऑरगैनिक घर का उगा हुआ,।
आंटी सीमा और अतुल को अपना छोटा सा गार्डन बड़े उत्साह से दिखा रही थी,इस उम्र में इतना ऐंथूसिएस्म बहुत कम देखने को मिलता है।
फिर घर के पिछवाड़े गड्ढे में रोजाना की सब्जियों और फलों के छिलके जमा करके बहुत बढ़िया खाद बन जाती है उसी को वे अपने पौधों में डालती हैं, कोई कैमिकल इस्तेमाल नहीं करती।
सीमा नें उनकी फिटनेस के बारे में जानना चाहा,क्योंकि उनकी त्वचा और फ़िगर से उनकी उम्र का पता ही नहीं चल रहा था,उन्होंने बताया सुबह उठकर दोनों 365 दिन नींबू शहद का पानी पी कर आधा पौने घंटे योग और प्राणायाम करते हैं,फिर 5बादाम,एक अखरोट के साथ गुड़ की मसाला चाय पीते हुए अखबार पढ़ते हैं।
कोरोना की वजह से बाहर नहीं जा सकते,वरना खूब घूमते हैं, “पूरी दुनिया इन्होंने घुमा दी है “आंटी ने प्यार भरी नज़र से अंकल को देखा।
“तुम्हारी आंटी को लिखने, पेंटिंग का भी बहुत शौक है,हिंदी मैगज़ीन के लिए लिखती हैं”तीन चार एकल पेंटिंग एक्जीबिशन भी लगा चुकी हैं, ऑल इंडिया पेंटिंग कंपीटिशन में अवार्ड भी मिला”अंकल ने बड़े गर्व से बताया।
“आप दोनों अकेले यहाँ और बच्चे”?अतुल ने पूछा?
उन्होंने बताया बच्चे बहुत कहते हैं हम अब उनके साथ रहें, कुछ दिनों के लिए जाते हैं, पर मन यहीं अपने घर में ही लगता है।रोजाना बच्चों का फोन आ जाता है, पोते और नातिन की आवाज़ सुनकर हमारी बैटरी चार्ज हो जाती है।
आंटी बोली “मेरे बच्चे तो कभी-कभी कहते हैं कि तुम्हें हमसे ज़्यादा ये पेड़ पौधे प्यारे हैं “।
कोई इमर्जेंसी हो तो हमारे अड़ोसी-पड़ोसी बहुत ख्याल रखते हैं।बाकी भगवान् भरोसे!
“हम दोनों की ” पॉजिटिव थिंकिंग “है,जब अंकल सर्विस में थे नौकरों की फौज थी,उस टाइम उन का सुख उठा लिया,अब एक है उसके साथ एडजस्ट कर लिया,हम पास्ट में क्या था या आगे क्या होगा नहीं सोचते।
हम मरने के लिए नहीं जी रहे, ज़िन्दगी की शाम को पूरी तरह से ऐंजाय कर रहे हैं”।
सीमा और अतुल उनके ज़िन्दगी जीने के ज़ज्बे,आत्मविश्वास और ज़िन्दादिली को सलाम करते हुए निकल गए।
दोस्तों!
अक्सर लोग अपनी युवावस्था में किट्टी, क्लबों,मौज़ मस्त आदि में लगे रहते हैं, इनके साथ अगर कोई हाॅबी भी डेपलेप कर लें तो जीवन संध्या में या रिटायरमेंट के बाद जिन्दगी बहुत आसान और ख़ुशनुमा हो सकती है।
मेरी बात से सहमत हों तो लाइक-कमेन्ट्स अवश्य दें। धन्यवाद।
कुमुद मोहन