तुम तो ऐसे ना थे – रश्मि प्रकाश

घड़ी की सुइयों के साथ साथ आज अवन्ति के हाथ भी जल्दी जल्दी चल रहे थे….काम ख़त्म कर घर से निकलते हुए वो अपनी माँ सेबोली ,”मैंने सब कुछ तैयार कर दिया है , तुम और पापा वक़्त पर खाना खा लेना और दवाइयाँ भी याद से ले लेना।” 

तभी माँ ने आवाज़ दिया ,”अरे रूक बेटा अपना टिफ़िन तो ले जा पता नहीं आज इतनी जल्दी क्यों मचा रखी है?”

   “माँ अभी स्कूल जवाइन किये एक महीना ही हुआ है।आज नये बच्चों के एडमिशन होने वाले ।उपर से आज कुछ मैनेजमेंट के लोग भीआने वाले।इसलिए जल्दी जाना है।तुम दोनों अपनी दवाइयाँ याद से ले लेना।”अवन्ति बोली

स्कूल में आज बहुत भीड़ थी। एस. एन .इन्टरनेशनल स्कूल एक जाना माना स्कूल उसमें एडमिशन के लिए हमेशा भीड़ होती। 

चपरासी ने अवन्ति को बोला ,“मैडम आपके कमरे में कुछ साहब लोग बैठे इंतज़ार कर रहे हैं।”

वो जल्दी से अपने रूम की ओर जाने लगी।

प्रिंसिपल-अवन्ति सिन्हा कमरे के बाहर बोर्ड लगा था। अपने केबिन में आकर वो कुछ देर को रूकीं खुद को एक बार उपर से नीचे देखीऔर दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गई। अंदर एक महिला और एक पुरुष बैठे थे।अवन्ति उनके चेहरे नहीं देख सकी पर घुसते हुए बोली ,“सॉरी मुझे थोड़ी देर हो गई….।“और अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गई

“जी मैं अवन्ति सिन्हा आपके स्कूल की प्रिंसिपल हूँ चूँकि अभी मैं नयी हूँ तो मुझे आपलोग अपना परिचय दें दे….वैसे तो ये स्कूलआपका ही है पर कुछ औपचारिकताएँ भी होती ,कुछ आपके नियम होंगे वो बता दे तो मैं कभी आपको शिकायत का मौक़ा नहीं दूँगी।” अवन्ति ने कहा 

अवन्ति ने जब सामने देखा तो उसे वो चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा।

सामने बैठे शख़्स ने बताया मेरा नाम शिवेन है और ये मेरी छोटी बहन है। हम दोनों मिलकर इस स्कूल की देख रेख करते हैं ।

पता नहीं क्यों अवन्ति को लग रहा था ये कही शिव तो नहीं पर सामने से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई जिससे ऐसा लगे कि वो भीअवन्ति को जानता हो।



कुछ देर काम की बातें चलती रही। फिर वो जब जाने को उठे तो अवन्ति ने देखा शिवेन को उठने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही उसकी बहन नेउसको सहारा देकर खड़ा किया फिर दोनों कमरे से निकलने को हुए ही थे कि अवन्ति के मुँह से अचानक से निकल गया ,”शिव”।

शिवेन के बढ़ते कदम रूके पर वो बिना अवन्ति को देखे कमरे से निकल गया।

अवन्ति कुछ देर को सोची क्या पता कोई और हो पर ऐसा क्यों लगा ये मेरा शिव है।

फिर वो अपने काम में लग गई। 

आज बहुत पैरेंट्स आए हुए थे उनसे मिलकर वो थक चुकी थी।

आज तो पाँच बज गये माँ परेशान हो रही होगी सोचती हुई वो स्कूल के गेट तक आ गयी।कार लेकर जब ड्राइवर आया तो वो बैठ करशिव के बारे में सोचने लगी।

कालेज का पहला दिन वो कभी भूल ही नहीं सकती थी ….कालेज की कैंटीन में नये दोस्तों के साथ बड़े चाव से पाव भाजी खा रही थीपर उसको महसूस हो रहा था कोई उसको घूर रहा है पर जब वो इधर-उधर देखती तो सब अपने में मशगूल दिखते….

तभी उसकी दोस्त चारु ने कहा,“अवन्ति देख तुम्हें वो लड़का कब से देख रहा है ।”

तभी किसी ने उस लड़के के कंधे पर हाथ रखकर बोला ,“क्या बात है शिव इधर बैठकर किसको ताड़ रहे हो। ”

शिव झेंप गया और उधर से चला गया। कालेज में फिर आते जाते बहुत बार दोनों टकरायें।

कहते है प्यार कभी दरवाज़े पर दस्तक देकर नहीं होता बस कोई मिला और हो जाता। ऐसा ही अवन्ति और शिव के साथ हुआ। कालेजके अंत तक दोनों दो हंसों का जोड़ा से प्रसिद्ध हो गये। 



बात इतनी बढ़ गयी कि दोनों ने अपने अपने घरों में बात की और माँ पिता ने बच्चों की ख़ुशी के लिये अपनी सहमति दे दी।  सब कुछबहुत अच्छा चल रहा था शादी का दिन भी तय हो चुका था।अचानक एक दिन खबर आई कि शिव और उसके परिवार वाले ये शहर छोड़कर जा रहे और ये शादी भी नहीं होगी। अवन्ति शिव से बात करने की कोशिश करती है पर उसका नम्बर हर बार बंद आता है ।अवन्तिकुछ समझ ही नहीं पायी कि ऐसा क्या हो गया जो शिव बिना कुछ कहे चल दिया….

क्या कमी रह गई प्यार में जो शिव ऐसे मुँह फेर कर चला गया। वो हमेशा सोचती इतना प्यार करने वाला शिव ऐसा तो नहीं था फिर ऐसेकैसे चला गया ।

इस हादसे के बाद अवन्ति के लिए उस शहर में रहना मुश्किल हो गया था… गम के साए में ज़िन्दगी बहुत बोझिल हो जाती है…. नाजिया जाता ना मरा जाता….ऐसे में फिर वो दूसरे शहर आ गयी और स्कूल में नौकरी करने लगी। शादी नहीं करने का फ़ैसला क्या लियापापा की तबियत ख़राब रहने लगी। लाख समझाने के बाद भी उसने शादी के लिए हाँ नहीं किया। माँ पापा ने हथियार डाल दिये।वोशिव के दिये मीठी यादों को संजो कर रखना चाहती थी पर शिव के अचानक चले जाने से जो कड़वी यादें थी वो उसे चुभती रहती।परआज अचानक शिव का ख़्याल उसे परेशान कर रहा था।

अचानक गाड़ी के ब्रेक से वो जैसे नींद से जागी। 

ड्राइवर ने बोला “मैडम जी आज रास्ते में बहुत भीड़ है बस कुछ देर में घर आ जायेगा।मैं यहाँ पास की दुकान से दवा लेकर आता हूँ। 

“क्यों किसको क्या हुआ रमेश “ अवन्ति घबरा गई। 

रमेश ड्राइवर उदास स्वर में बोला,“मैडम जी वो जो साहब लोग आज आपसे मिलने आये थे ना उनकी दवाइयाँ है। वो जो शिवेन साहब हैना उनके साथ बहुत बुरा हुआ मैडम जी….उनकी शादी होने वाली थी …..सब लोग दूसरे शहर ख़रीदारी करने गये थे ….उधर बहुत बड़ाएक्सीडेंट हो गया उनका। उनके पैर में तभी से कुछ परेशानी है ठीक से चल नहीं पाते….उनकी माँ भी बिस्तर पकड़ ली है वो जो दीदी जीथी ना वो साहब की दूर की रिश्तेदार है अब वही सब को देखती…..बड़े साहब भी अब चुप रहते….हँसते खेलते परिवार को जाने किसकीनज़र लग गई।”

अब अवन्ति को समझते देर नहीं लगी कि वो उसका शिव ही था। 

“रमेश तुम जल्दी से दवाइयाँ लेकर आओ उनके घर मुझे भी तुम्हारे साथ चलना है “ इतना कह कर अवन्ति अपनी माँ को फ़ोन करकेबोल देती है कि उसे थोड़ी देर लगेगी….आकर बात करती हूँ।”

रमेश जब उसे शिवेन के घर ले गया तो अवन्ति थोड़ी घबराई पर हिम्मत करके अंदर गई….शिवेन सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहाथा….अचानक अवन्ति को देख कर बोला,“आप यहाँ….कुछ काम है क्या?”

“शिव अब तो मुझे पहचानों….तुम तो ऐसे नहीं थे, मुझपर जान छिड़कने वाला शिव मुझे रोते छोड़ आया ….कभी पलटकर भी देखने नहींआये….मुझे सुबह ही लगा तुम शिव हो पर तुम शिव बोलने पर भी नहीं रूके….इतनी बेरुख़ी क्यों शिव? ”अवन्ति के इतना बोलते शिवरोने लगा



“मैं तुमको छोड़ कर नहीं आना चाहता था …इतना भंयकर एक्सीडेंट् था कि हमारा बचना मुश्किल था देख लो मेरा एक पैर भी बेकार होगया ठीक से चल भी नहीं पाता।अवन्ति मैं तुमसे बहुत प्यार करता था इसलिए तुमको अपनी हालत बता कर परेशान नहीं करना चाहताथा….सबने यही निर्णय लिया कि शादी के लिए मना करना ही उचित है….फिर तुम मुझे छोड़ कर किसी और से शादी कर लोगी औरख़ुश रहोगी…पर आज जब तुम्हारा नाम स्कूल में देखा तो सोचने लगा कैसे मिलूँगा पर देखो ना ये बढ़ी हुई दाढ़ी में भी तुमने पहचानलिया और मैं तुमसे नज़रे चुरा रहा था…..अच्छा ये बताओ कौन कौन है घर में पति बच्चे?”शिव ने एक साँस में सब कह दिया 

अवन्ति ख़ुद को संभाल कर बोली ,“बस मैं और मम्मी पापा….मैंने शादी नहीं की शिव….तुम्हारी जगह मैं किसी को नहीं दे सकी….प्यारकुछ ज़्यादा ही था तुमसे इसलिए जब तुम छोड़ कर गये तो बहुत रोयी थी वो कड़वी यादों को वक़्त ने धीरे-धीरे कम कर दिया अब तो मैंबस घर से स्कूल और स्कूल से घर इतने में ही सिमट कर रह गई।”

शिव अवन्ति के चेहरे की उदासी को देख भी रहा था और समझ भी रहा था पर चाह कर भी ये नहीं बोल सकता था कि क्या अब भी तुममुझको चाहती हो …शादी करोगी…!

तभी अवन्ति ने स्पष्ट शब्दों में कहा,“शिव क्या मैं तुम्हारे साथ कदम मिलाकर नहीं चल सकती….तुमने मुझे इतना छोटा कैसे समझलिया….मान लो ये हादसा शादी के बाद होता और तुम्हारी जगह पर मैं होती तो क्या तुम मुझे छोड़ देते?”

“नहीं अवन्ति कभी नहीं !”कहते हुए शिव अवन्ति का हाथ पकड़ लिया और माफ़ी माँगने लगा

„मम्मी पापा कहाँ है शिव उनसे भी तो मिलवाओ।”अवन्ति शिव से बोली

“हाँ आओ ना उनसे भी मिलों शायद तुमसे मिलकर मम्मी ठीक हो जाये….।”कहकर शिवेन धीरे-धीरे एक कमरे की ओर अवन्ति को लेगया

 “पापा मम्मी देखो कौन आया है?”शिव के चेहरे पर जो ख़ुशी थी उससे उनको समझते देर नहीं लगी कि उनके बेटे को उसकी ख़ुशी मिलगई है।

अवन्ति ने उनको प्रणाम किया और बोली,“क्या आप मुझे अपने घर की बहू बनायेंगे….शिव ने जो किया उसमें मेरी भलाई हो सकती थीपर मेरी  ख़ुशी आप लोगों के साथ ही है।”

शिव के पैरेंट्स ने अवन्ति से कहा,“बेटा उस समय की बात और थी पर अब पहले जैसा कुछ नहीं तुम सब समझ लो और अपने पापामम्मी से बात कर लेना….अगर उनको कोई आपत्ति नहीं होगी तो तुम तो पहले भी हमारी ही बहु थी पर घर पर नहीं थी जब सब कीरज़ामंदी होगी तो कल ही शादी करवा देंगे।”

अवन्ति शिव से कल मिलने का वादा करके घर आ गयी। जब उसने आज की सारी बातें मम्मी पापा को बताया तो वो बस यही बोले ,“जिसमें तुम ख़ुश रहो उसमें हमारी ख़ुशी… बहुत गम मिले तुम्हें ज़िन्दगी में अब खुश रहने की बारी आई।”

दो दिन बाद दोनों ने बहुत साधारण तरीक़े से विवाह कर लिया। अवन्ति के मम्मी पापा को ज़िद्द करके शिव ने अपने घर बुलालिया….सब अपनी ज़िंदगी के उन कड़वी यादों को छोड़ कर नयीं मीठी यादों में बस गये ।

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#कभी_खुशी_कभी_ग़म 

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

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