तुम मेरी बहू नहीं बेटी हो – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : आरती की थाल सज के तैयार थी , मनीषा बहू का इंतजार कर रही थी। जैसे ही बेटे बहू की कार आकर दरवाजे पर रूकी मनीषा की खुशी का ठिकाना न रहा।बहू की आरती उतार महावर भरा थाल आगे रख दिया । फिर मनीषा नेहा ,(बहू) से बोली बेटा इसमें पैर रख कर आगे बढ़ो,जब ड्योढ़ी तक नेहा आई तो चावल से भरा कलश रखा था नेहा इसको दाहिने पैर से ठोकर लगाओ और घर में प्रवेश करो ।

मनीषा ने नेहा को गले से लगा लिया नये घर में तुम्हारा स्वागत है बेटा अब तो ये घर तुम्हारा है और तुम मेरी बेटी।और मुझे अपनी मां समझना वैसे तो इस घर में तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी और यदि कोई बात होती भी है तो मुझे अपनी मां समझ कर मुझसे बेझिझक कह सकती हो । मनीषा तो प्यार लुटाए जा रही थी पर क्या नेहा अपने को मनीषा की बेटी मानने को तैयार थी ।

               नेहा एक बड़े शहर की माडर्न लड़की थी आजाद ख्यालों की वो घर में कितना अजेस्ट करती है ये तो समय ही बताएगा। दूसरे दिन मनीषा ने नेहा से कहा बेटा देखो अभी घर में सभी मेहमान है इसलिए चुन्नी वाले सूट पहनना और थोड़ा सिंर पर पल्ला भी रखें रहना और हां बेटा एक बात और यहां जीन्स मत पहनना ये छोटी जगह है और सारी बिरादरी यहां रहती है इसलिए अच्छा नहीं लगेगा।उस समय तो नेहा चुपचाप सुनती रही फिर कमरे में जाकर गौरव से बोली यार गौरव ये क्या हैं

कल से तुम्हारी मम्मी लेक्चर ही दिए जा रही है , देखो गौरव मैं किसी की बात सुनने की आदी नहीं हूं प्लीज तुम अपनी मम्मी को समझा दो मुझे लेक्चर न दे मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है । मनीषा नेहा को बुलाने उसके कमरे तक गई थी सो कुछ बातें उसके कानों में पड़ गई मनीषा पर तो जैसे घड़ों पानी गिर गया सोंचने लगी मैं तो बेटा बेटा करते नहीं थक रही हूं और ये नेहा मेरे बारे में कैसी बातें कर रही है।मन मसोस कर रह गई मनीषा फिर अपने को समझाया कोई बात नहीं थोड़ा वक्त लगेगा परिवार में घुलने मिलने में ।

            एक हफ्ते बाद मनीषा ने घर में पूजा रखी नई बहू के साथ कुछ सुहागिन स्त्री यों के साथ पूजा की जाती है और कुछ मीठा खिलाया जाता है, फिर बड़ी महिलाएं बहू को फलने फूलने का आशीर्वाद देती है । मनीषा ने नेहा से आज साड़ी पहनने को कहा नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया वो सूट पहनकर नीचे आ गई तो मनीषा ने टोका बेटा नेहा आज पूजा है सभी बड़ी बूढ़ी महिलाएं आयेंगी साड़ी पहनो ।

नेहा एकदम से बिफर पड़ी क्या मम्मी सूट में क्या खराबी है साड़ी पहनना जरूरी है क्या साड़ी वाडी मुझसे नहीं संभलती। मनीषा को बड़ा झटका लगा फिर भी संयत होकर बोली नहीं आज साड़ी पहन लो तो बहू बोली मुझे पहनानी नहीं आती । मनीषा ने अपनी छोटी बहन की मदद से नेहा को साड़ी पहनाई फिर पूजा सम्पन्न हुई। सभी महिलाओं के जाने के बाद मनीषा  भी कुछ मीठा लेकर खाने को बैंठ गई तो नेहा ने मनीषा को टोंक दिया क्या मांजी आपको तो शुगर है न और आप मीठा खा रही है ।

बीमार होंगी तो कौन देखेगा । मनीषा सन्न रह गई।ऐसी बातों की उम्मीद न थी नेहा से । मनीषा सोचने लगी मैं तो प्यार लुटाए जा रही हूं बेटा बेटा कहते मेरा मुंह नहीं थक रहा है और इसके मिजाज ही नहीं मिल रहे हैं ।सच ही तो कहा है सास तो एक बार मां बन सकती है पर क्या बहू बेटी बन पाती है  , मेरे ख्याल से नहीं । आपकी क्या राय है सभी के साथ ऐसा नहीं होता होगा लेकिन आजकल समय बहुत खराब हो गया है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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