तुम मेरे भाग्यविधाता नहीं हो – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in hindi

रजनी की शादी तय हो रही थी, लेकिन उसके मन में अजीब सी परेशानी थी, वो विनय को तो अच्छी तरह से जानती थी पर अपने होने वाले सास-ससुर का व्यवहार उसको पता नहीं था, विनय अपने मम्मी-पापा के बारे में हमेशा अच्छी ही बातें बोलता था, लेकिन वो शादी के पहले अपने सास-ससुर से मिलना चाहती थी।

रजनी के मम्मी -पापा ने विनय के मम्मी -पापा को सपरिवार एक दिन शाम को घर आने को कहा । रजनी और विनय एक-दूसरे को पसंद तो करते थे, ओर उन्हीं के कहने से ये शादी की बात आगे बढ़ने जा रही थी, थोड़ी बहुत बातचीत और औपचारिकता होने के बाद अचानक रजनी ने कहा।

“आंटी जी और अंकल जी अगर आप बुरा ना माने तो 

मै शादी के पहले आपके घर आकर कुछ दिनों के लिए रह सकती हूं।”

विनय और मै वही से ऑफिस निकल जायेंगे, और मै आपके गेस्ट रूम में रह लूंगी, रजनी की अटपटी बात सुनकर विनय के मम्मी -पापा समेत, उसके अपने मम्मी-पापा भौंचक्के रह गये।

रजनी की मम्मी उसका हाथ पकड़कर एक तरफ ले गई,  “रजनी  तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? भला शादी के पहले कौनसी लड़की ससुराल जाकर रहती है? तुम आजकल की लड़कियां पढ़-लिख क्या जाती हो, नई-नई रीत चलाने लगती हो।

“मम्मी, मै विनय के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने को नहीं बोल रही हूं, मै उसके मम्मी -पापा और बाकी सदस्यों के साथ में रहना चाहती हूं।”

“ऐसा तो हमने कभी नहीं सुना कि बहू ससुराल में आकर पहले रहना चाहती है, आखिर  हमारे घर की

 क्या जांच पड़ताल करना चाहती है? हमारे घर की जासूसी करके क्या साबित करेंगी? उसके बाद ही विनय से रिश्ता जोड़ेगी?  विनय की मम्मी गुस्सा होते हुए बोली।

रजनी मुस्करा कर बोलती है, ‘आ़टी जी इसमें बुराई क्या है? मै बड़ी भाभी के साथ रह लूंगी, आखिर मै भी देखना चाहती हूं कि घर की बड़ी बहू कैसे रहती है? आप मेरी जेठानी को नहीं लायें? अपने देवर के लिए वो लड़की पसंद करने नहीं आई?

तभी तपाक से विनय की मम्मी बोलती है, “हमारे घर की बहूंए लड़की पसंद करने नहीं जाती है, शादी तो विनय को करनी है, तो उसमें बड़ी बहू क्या करेंगी?

“आंटी जी, हमने तो आपको  सपरिवार बुलाया था, आपके परिवार में आपकी बड़ी बहू नहीं आती है क्या ? फिर तो आपको भी नहीं आना चाहिए था? आप भी उस घर की बहू है।”

रजनी की बात सुनकर विनय की मम्मी आग बबूला हो गई, “ये कैसी लड़की से तू शादी कर रहा है विनय ?

ये तो इतनी मुंहफट है, तू तो कह रहा था ये तो तेरी भाभी से भी सीधी है, कभी उसने शादी के बाद भी कभी जुबान नहीं खोली? ये तो अभी से जबान से आग उगल रही है, और तू तो कह रहा था, रजनी शादी के बाद नौकरी करना छोड़ देगी, पर मुझे तो इसको देखकर लगता है कि ये हमारे घर के लिए सही नहीं है।” 

 ये सुनकर रजनी के पैरों तले जमीन सरक गई,

“विनय मैंने तो ऐसा कुछ कभी नहीं कहा, तुम तो मुझे दो सालों से जानते हो, मै तुम्हारे साथ ही ऑफिस में काम करती हूं, इतनी अच्छी नौकरी मै छोड़ दूंगी,ये तुमने सोचा भी कैसे?”

“विनय, तुम मेरे भाग्यविधाता नहीं हो,? मैने अपना भाग्य खुद बनाया है, मैंने अपने भाग्य से ये नौकरी पाई है, और तुम्हारे घरवालों के कहने से मै ये सब छोड़कर इनकी सेवा करने लग जाऊंगी, ऐसा तुमने सोचा भी कैसे?”

“आ़टी-अंकल आप मेरे होने वाले सास-ससुर हो, आप मेरे भाग्यविधाता बनने की कोशिश मत करियें, मै आपके कहने मात्र से ये सब नहीं छोड़ूंगी।”

“मै शादी के पहले आपके घर आकर बस इसलिए रहना चाहती थी, ताकि आपके घर में आपकी बड़ी बहू की क्या स्थिति है, मै ये सब जान सकूं, शादी के पहले ही मै अपना निर्णय ले सकूं।”

“विनय, मैंने तुम पर भरोसा किया था, और मै तो तुमसे शादी करने वाली थी, अच्छा हुआ मैंने ये साथ रहने की झूठी बात की इससे आप सबकी असलियत मेरे सामने आ गई, जब तुम्हारी भाभी साथ में नहीं आई तो मै समझ गई थी, तुम्हारे घर में बहूओं की क्या स्थिति है,  मै अपने भाग्य का निर्णय तुम पर नहीं छोड़ सकती हूं, तुम्हें मैं अपना जीवनसाथी चुनने वाली थी, पर तुम तो  मेरे भाग्यविधाता बनने चले थे, मैंने अपने भाग्य और जीवन का फैसला करने का हक किसी को भी नहीं दिया है।”

“पता नहीं इतना पढ़ने-लिखने और आत्मनिर्भर बनने के बाद भी लड़कियां अपना भाग्यविधाता ससुराल वालों और पति को क्यों चुन लेती है?” वो इजाजत देंगे तो नौकरी करती है, नहीं तो आसानी से छोड़ देती है, फिर दोबारा करने का दबाव बनाते हैं तो फिर से वो नौकरी या अपना छोड़ा हुआ काम कर लेती है।” पर मै उन सबमें से नहीं हूं, मै तुमसे शादी करना चाहती थी, पर अब मैंने अपना निर्णय बदल लिया है, मुझे तुमसे भी अच्छा जीवन साथी आगे मिल सकता है।

मै अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीऊंगी, तुम मेरे भाग्यविधाता नहीं बन सकते हो, विनय का परिवार मुंह लटकाकर चला गया।

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना सर्वाधिकार सुरक्षित

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