तूफानी रात – सीमा वर्णिका

मौसम सुबह से खराब हो रहा था । नौकरी भी बहुत बड़ी मजबूरी बन जाती है कभी-कभी..। क्या करे वह चाह कर भी छोटी-छोटी वजहों पर छुट्टी नहीं ले सकता था । अनमना सा वह ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा ।

” दीप्ति.. मेरा टिफिन तैयार है.. मैं निकलूँ.. पता नहीं कब.. यह बरसात तेजी पकड़ ले,”दीपेश बोला ।

“आ रही हूँ …यह लो अपना टिफिन ..आराम से जाना ..जगह जगह पानी भरा है,” दीप्ति थोड़ी चिंतित होते हुए बोली ।

दीपेश अपना पुराना प्रिया स्कूटर स्टार्ट करने लगा ।

 “पता नहीं इसे भी क्या हो गया.. स्टार्ट ही नहीं हो रहा,” दीपेश बड़बड़ाया ।

“कब से कह रही हूँ नया स्कूटर ले लो.. मेरी सुनते कहाँ हो,”दीप्ति भुनभुनायी। 

“हाँ भाई ..पैसे तो पेड़ पर लगते हैं जब चाहे तोड़ लो.. नया स्कूटर ले लो.. ,”दीपेश झल्लाते हुए बोला ।

स्कूटर किसी तरह स्टार्ट करके दीपेश ऑफिस के लिए निकल लिया। 

पूरा दिन बारिश होती रही सात बज रहा था । अब उसे घर पहुँचने की धुन सताने लगी.. आज मीटिंग्स फाइल्स सब निपटाते काफी देर हो गई थी ।

हेलमेट लगाया.. बैग उठाकर स्टैंड पर जा पहुँचा।

स्कूटर जैसे-तैसे स्टार्ट हुआ बारिश की नमी के कारण और ज्यादा दिक्कत आ रही थी ।

जीटी रोड पर पानी भरा था और भयंकर जाम था । उसने दूसरा रास्ता पकड़ा स्पीड लेकर चल दिया वह रास्ता भी बहुत उबड़ खाबड़ था ..लाइट भी नहीं थी.. बारिश से जगह तार टूट गए थे ।

अचानक बारिश काफी तेज हो गयी.. स्कूटर रोककर एक घर के दालान में खड़ा हो गया… पानी का स्तर बढ़ता जा रहा था और.. उसके माथे पर चिंता की रेखाएँ । उसने जेब में हाथ डाला.. फोन को निकालने के लिए.. जेब में फोन न पाकर वह परेशान हो गया


..उसे लगा फोन कहीं गिर गया ।

एक तो अँधेरा ऊपर से.. मुसीबत में और मुसीबत अब फोन कहाँ चला गया..।

“ओह्ह हमने चार्जिंग पर लगाया था ऑफिस में ही छूट गया,” दीपेश बुदबुदाया। 

“दीप्ति चिंता कर रही होगी .. क्या करें यहाँ तो कोई पी.सी.ओ भी नहीं,” दीपेश सोच रहा था।

तभी घर का दरवाजा खुला ।

” आप अंदर बैठ जाए.. बाहर क्यों भीग रहे हैं..,” एक युवती की मधुर आवाज सुनाई दी ।

थोड़ा नानुकुर करने के बाद दीपेश आग्रह टाल नहीं सका और अंदर आ कर बैठ गया ।

थोड़ी देर बाद युवती ने चाय का प्याला लेकर कमरे में प्रवेश किया। 

“लीजिए.. अदरक वाली चाय पीजिए ,”युवती कप बढ़ाते हुए बोली ।

अरे ! नहीं.. नहीं.. आप परेशान न हों.. बारिश कम होते ही मैं चला जाऊँगा.. मेरी पत्नी परेशान हो रही होगी,” दीपेश बोला ।

मौसम बेहद खराब हो गया था । बादलों की गड़गड़ाहट दहशत पैदा कर रही थी । दीपेश का मन बड़ा बेचैन हो रहा था वह सहज नहीं रह पा रहा था ।

उधर दीप्ति तरह-तरह की आशंकाओं से घिरी तनाव में आधी हुई जा रही थी ।

“आपके पास फोन होगा.. मेरा फोन ऑफिस में छूट गया है.. घर पर एक कॉल करनी है ,” दीपेश याचना भरे स्वर में बोला ।

“हाँ.. जी क्यों नहीं ..अभी देती हूँ,” युवती ने अपना फोन थमा दिया।

बारिश की वजह से फोन की कनेक्टिविटी बाधित हो गई थी तमाम प्रयासों के बाद भी फोन पर बात नहीं हो सकी ।


उसने घर में सन्नाटा देखकर पूछा,” आप यहाँ अकेले रहती हैं” ।

“जी ,”मुस्कुराते हुए युवती बोली ।

दीपेश का मन सशंकित हो उठा वह बाहर निकल आया । 

भयावह तूफानी रात थी तेज गीली हवाओं में ठहरना आसान नहीं था ।

मजबूरन उसे कमरे में वापस आना पड़ा.. रात का ग्यारह  बज गया था न लाइट का पता था.. न बारिश थम रही थी.. इंतजार करते-करते दिन भर का थका दीपेश अजलस्त होकर सोफे पर लुढ़क गया ।

आँख खुली.. सूरज निकल आया था.. बादलों से छन कर धूप धरती को स्पर्श कर रही थी। वह हड़बड़ा कर उठा.. उसे घर पहुँचना था। 

“अरे ! आप जाग गए..आप फ्रेश हो लें मै नाश्ता लगाती हूँ,” युवती बोली ।

नहीं-नहीं धन्यवाद.. माफ करिएगा.. अब हमें घर जाना है । मेरे घर वाले परेशान हो रहे होंगे ,”दीपेश बेचैनी भरे स्वर में बोला ।

 वह तेजी से बाहर आकर अपना स्कूटर स्टार्ट करने लगा.. उजाले में उसकी निगाह घर की नेम प्लेट पर गयी.. उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया ..उसे चक्कर आ रहा था.. वह एक नामी-गिरामी कॉल गर्ल किरण का घर था ।

सड़क पर आने जाने वाले लोग उसे विचित्र निगाह से देख रहे थे तभी दीप्ति भी ढूँढते ढूँढते वहाँ आ पहुँची ।

दीपेश के चेहरे का रंग उड़ गया वह दीप्ति से कुछ कहना चाह रहा था.. पर.. दीप्ति के तो जैसे पाँव तले जमीन खिसक गई थी। वह वहाँ से तुरंत चली गई ।

  दीपेश को समझ आ गया था यह तूफानी रात टली नहीं है बल्कि हमेशा के लिए उसके जीवन में प्रवेश कर गई है । काश! वह वहाँ ठहरा न होता ।

 

सीमा वर्णिका 

कानपुर ,उत्तर प्रदेश

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