तू इस तरह मेरी जिन्दगी में शामिल है (भाग -3)- दिव्या शर्मा : Moral stories in hindi

“नाम! नाम क्या है इसका…ऐ सुनो तुम्हारा नाम… नाम क्या है तुम्हारा?” शेखर ने उसे आवाज़ दी लेकिन उसकी आवाज़ गुझिया के कानों से बहुत दूर थी।वह पलटकर गली के  मोड़ को देखती है और अपने दरवाजे में समा जाती है।

शेखर अपने कदमों को घसीटता हुआ उसी मकान की ओर चल पड़ता है जहाँ से निकला था।दिमाग में चलते तुफान को आँखों में समेटे शेखर न जाने कौन सी उलझन में था।

मेन गेट पर पहुंच कर उसने नजर ऊपर की।बालकनी में तृप्ति खड़ी थी।उसके चेहरे को देख शेखर के मन में घृणा पसर गई।

दरवाजे को धकेल शेखर ने अपने पैर अंदर ही रखे थे कि तृप्ति का तमतमाया चेहरा उसके सामने आ गया।शेखर उसे अनदेखा करते हुए अपने कमरे की ओर जाता है कि तभी तृप्ति की कर्कश लेकिन धीमी आवाज़ उसके कदमों को रोक.देती है,

“वह तुम्हारा इंतजार कर रही थी लेकिन तुम पहुंचे नहीं।कहाँ थे तुम?”

“मरने गया था।” शेखर ने चिढ़ते हुए जवाब दिया।

“फिर इरादा क्यों बदल दिया!मर जाते।मुझे इस तरह ब्लैकमेल करने की कोशिश न करना।मैं.उससे पैसा ले चुकी थी यह बात तुम अच्छी तरह जानते हो!” तृप्ति ने शब्दों को चबाकर कहा।

“तुम ऐसा क्यों कर रही हो!मैं मर रहा हूँ…मैं मुक्ति चाहता हूँ।मुझे छोड़ क्यों नहीं देती” शेखर ने बेचारगी से कहा।

“तुम्हें छोड़ दूँ!तुम तो मेरी एटीएम मशीन हो।”

तृप्ति कुटिलता से बोली।

“मैं सबको बता दूंगा कि तुम मुझसे क्या करवा रही हो…मैं बता दूंगा सबको।” शेखर पागलों की तरह दरवाजे की ओर बढ़ते हुए बोला।

तृप्ति उसकी ओर जलती निगाहें डालती है और चिल्लाने लगती है,

“मुझे छोड़ दो शेखर…मत मारो…दोबारा ऐसा नहीं करूंगी।” तृप्ति चिल्ला रही थी और अपने कपड़ें फाड़ रही थी।

तभी दरवाजे पर जोर जोर से दस्तक होने लगती है।तृप्ति के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है।वह दरवाजा खोलकर सामने खड़ी मीनाक्षी  के गले लग कर सिसकने लगती है।शेखर बुत बना खड़ा था।

“तुम्हें शर्म नहीं आती!अपनी बीवी के साथ जानवरों का सा बर्ताव करते।आदमी हो या शैतान?” मीनाक्षी शेखर से लगभग चिल्लाते हुए बोली।

“नहीं…दीदी इन्हें कुछ नहीं कहो।गलती मेरी है।तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए खाना नहीं बना..पाई…इसलिए बस…ये…गुस्सा।” तृप्ति ने रोते हुए कहा।

“इसके हाथ टूट गए हैं?खुद बना लेता।याद रखना शेखर अगर आइंदा तृप्ति पर हाथ उठाया तो मैं पुलिस बुलाऊंगी।”

“पर …मैं…मैंने कुछ।” शेखर हकलाते हुए बोला।

इससे पहले की वह अपनी बात क्लीयर कर पाता तृप्ति ने पैंतरा बदल दिया और शेखर के नजदीक जाकर बोली,

“शेखर तुम…गुस्सा नहीं…मैं.. बनाती कुछ…मीनाक्षी दीदी…शेखर ऐसा नहीं है..।”

“देख…देख…इस लड़की को! अब भी तेरा पक्ष ले रही है।सुधर जा वरना पछताएगा।”इतना कह कर मीनाक्षी उनके फ्लैट से बाहर निकल गई।

तृप्ति दरवाजा बंद करके मुस्कुराते हुए शेखर की ओर मुड़ी।उसके चेहरे पर विजेता वाली मुस्कान थी और शेखर के चेहरे पर बेचारगी।

वह थके हुए कदमों से अपने कमरे की ओर चल दिया।

बिस्तर पर लेटा शेखर अपनी पिछली जिंदगी में झांकने लगा।तृप्ति से उसने बेइंतहा मोहब्बत की।सब कितने खुश थे लेकिन यह खुशी जैसे लोहे पर चढ़े उस सोने के पानी की तरह थी जिसे उतरना ही था लेकिन इतनी जल्दी!

वह काली शाम,वह पार्टी और वह लोग।शेखर की  जिन्दगी पर ग्रहण बनकर आई थी वह शाम।आँखों के सामने से परदे सरकने लगे।

तृप्ति के साथ उसकी दोस्त की पार्टी में जाना उसके लिए सजा बन गया।उस दिन…

“शेखर क्या लग रहे हो यार तुम!सच कहती हूँ मेरी सारी फ्रेंड्स तुम पर मर जाएंगी।” इतना कहकर तृप्ति ने शेखर के गालों पर एक किस्स कर दिया।

“मरती हैं तो मरने दो।मैं तो तुम पर कब का मर चुका हूँ।”तृप्ति को अपनी बाँहों में समेटकर वह बोला।

“इरादा क्या है जनाब!” तृप्ति शरारत से बोली।

“इरादा बड़ा नेक है जानेमन…इस ब्लैक गॉउन में कातिल लग रही हो।” शेखर तृप्ति को अपने और करीब लाकर कस लेता है।

“वेट…वेट…वेट…ज्यादा रोमांटिक होने की जरूरत नहीं।निकलो अब ,सब इंतजार कर रहे होंगे।” अपने को छुड़ाकर तृप्ति बोली और.लिपस्टिक डार्क करने लगी।

“नहीं जाते यार…आ जाओ मेरी बाँहों में।”

“शेखर! चुपचाप चलिए।रिक्की सिर्फ एक हफ्ते के लिए इंडिया आई है।हमें मिलना चाहिए।”

शेखर ने आज्ञाकारी पति की तरह हाँ में गर्दन हिलाइ।

पार्टी में रंग बिरंगे चेहरों पर कुछ चेहरे नजर आ रहे थे।तृप्ति सबको शेखर से मिलवाती है।शेखर की पर्सनैलिटी को देखकर रिक्की कुछ ज्यादा ही मेहरबान बनने लगी।बार बार शेखर के करीब आकर उसे छूने का बहाना ढूंढती।शेखर मन ही मन चिढ़ रहा था।मौका देख वह तृप्ति को एक कोने में ले गया और बोला,

“यार मुझे तुम्हारी यह दोस्त…क्या नाम है!हाँ रिक्की, मुझे बेहद बदतमीज लग रही है।चलो यहाँ से।”

“क्या हुआ! ऐसे क्यों बोल रहे हो!” तृप्ति हैरान थी।

“अरे यार.. बार बार मुझे टच कर रही है।” शेखर ने अपनी गर्दन को टेडा करके कहा।उसकी बात सुनते ही तृप्ति जोर से हँस पड़ती है।

“तो इंज्वॉय करो यार।खुश हो जाओ,लड़की तुम्हें टच कर रही है।” इतना कह तृप्ति रिक्की के नजदीक जाकर खड़ी हो जाती है।शेखर की नजरे रिक्की के चेहरे पर चली  गई जो उसे ही देख रही थी।शेखर चुपचाप पार्टी से बाहर निकल जाता है।उसे बाहर जाते देख रिक्की के चेहरे पर कुछ भाव आते हैं।वह तृप्ति को देखती है और अपने पर्स से रिस्टवाच निकाल कर उसकी ओर बढ़ा देती है।

“यह तुम्हारे लिए मेरी तरफ से छोटा सा गिफ्ट।”

“लेकिन यह तो बहुत मंहगी है यार!”तृप्ति की आँखें ब्रांडेड घड़ी देखकर चमक उठी।

“कहाँ महंगी है!सिर्फ एक लाख की है।तुम्हारे लिए इतना तो कर सकती हूँ मैं।” रिक्की,तृप्ति के कंधे पर हाथ रखकर कुछ ज्यादा ही मिठास से बोली।

“यार फिर भी….” तृप्ति का दिल खुशी से उछल रहा था।

“क्या तुम भी,मैं दोस्त हूँ तुम्हारी।या फिर तुम्हारे हसबैंड को प्रोब्लम होगी!” तृप्ति ने चेहरे पर दुख सा लाकर कहा।

“अरे नहीं।शेखर को प्रोब्लम कुछ नहीं होगी लेकिन इतनी मंहगी घड़ी …।” तृप्ति अनमनी सी बोली।

“क्या मंहगी यार! तुम मुझे कभी कुछ और गिफ्ट कर देना।रिटर्न गिफ्ट।ओके…क्या यार मैं दोस्त हूँ तुम्हारी।हक है तुम पर।नहीं है क्या?” तृप्ति की आँखों में झांककर वह बोली।

“ऑफकोर्स है, तुम तो मेरी जान हो।” तृप्ति रिक्की के गले लग गई।रिक्की के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई।

“अच्छा अब मैं चलती हूँ।शेखर भी घर पहुंच गया होगा।देर हो गई है काफी।”

“डोंट वरी यार,मैं छोड़ दूंगी तुम्हें।वैसे शेखर को ऐसे घर नहीं जाना चाहिए था।” रिक्की ने ड्रिंक का गिलास तृप्ति के हाथों में पकड़ाकर कहा।

“उसे पार्टीज से एंजाइटी होती है।” इतना कहकर तृप्ति ने पूरा ड्रिंक अपने गले में उतार लिया।

“आई अंडरस्टैंड,मिडिल क्लास में यह प्रोब्लम कॉमन है।” रिक्की ने गले में शराब उढेलते हुए कहा।उसकी बात सुनकर तृप्ति के चेहरे पर एक शर्मिंदगी से उभर आई।

“ओह्..सॉरी…मेरा मतलब …सभी के लिए नहीं कहा मैने।” रिक्की जानबूझकर मासूम बनने की कोशिश करने लगी।

“मुझे घर ड्रॉप कर दोगी प्लीज!” तृप्ति ने रिक्की को कहा।

“क्यों नहीं…वैसे भी पार्टी बोरिंग लग रही है।मैं सबको बॉय करके आती हूँ।

रिक्की की बात सुनकर तृप्ति ने सहमति में सिर हिलाया।रिक्की अपने दोस्तों के करीब जाकर बातें करने लगती है।तृप्ति की नजर अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर चली जाती है जिसे देखकर उसके चेहरे पर खुशी जगमगाने लगती है।अपने ख्यालों में खोई तृप्ति ,रिक्की को अपने करीब आने पर भी अनदेखा कर देती है।रिक्की उसकी आँखों को गौर से देखती है।रिक्की के होंठो पर एक मुस्कान आ जाती है।

अगला भाग

तू इस तरह मेरी जिन्दगी में शामिल है (भाग -4)- दिव्या शर्मा : Moral stories in hindi

दिव्या शर्मा

(कौन है रिक्की?और शेखर की जिन्दगी में उसका आना किसी तुफान का संकेत था  या फिर किसी बदलाव का।यह पढेंगे हम अगले अंक में)

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