तपस्या – विभा गुप्ता

#बड़ी_बहन          मंच पर उद्घोषक महोदय ने जैसे ही संजीव का नाम पुकारा, पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।सिविल सेवा की परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त कर संजीव ने अपने परिवार का ही नहीं, ज़िले का भी नाम रोशन किया था।इसी खुशी में शहर के एक प्रतिष्ठित सभागार में उसे सम्मानित किया जा रहा … Read more

मम्मी – सोनाली श्रीवास्तव

रात को सोते सोते अचानक फिर अपने गाल पर मम्मा के हाथ का स्पर्श महसूस किया वहीं नरम गुदगुदी मोटे से हाथ वही गर्माहट वही रेशम आंखों से आंसू अपने आप बह निकले। मानों वह  बस हमेशा यूं ही तैयार रहते हैं बरसने के लिए।   पूरे 569 दिन हो चुके हैं मां को गए  पर … Read more

नहले पर दहला – प्रीती सक्सेना

स्वलिखित   हां तो बात बहुत पुरानी है, हम पुत्र जन्म के डेढ़ माह बाद इंदौर आए, एक तो काम करने की कम आदत, अरे बताया तो था, पापा हमारे एसडीएम, थे न, चपरासियों की फौज रहती थी घर में, कुछ तो इस कारण से काम करने की आदत नहीं पड़ी , और हमें ये … Read more

सफर – अनुज सारस्वत

आज काफी दिनों बाद रेल में यात्रा करने का अवसर मिला कोरोना के कारण। स्लीपर का टिकट करा लिया था।मेरी ऊपर की सीट थी शरारती तो हम बचपन से थे तो जूते सहित चढ़ गये मन में शरारत सूजी रख दिये जूते पंखे के ऊपर।ऐसा बचपन में बहुत करते थे तब साधारण कोच ही हमारी … Read more

सयानी बेटी – रीटा मक्कड़

माँ का फोन बंद करने के बाद अंजली सोच में डूब गई। माँ कह रही थी संजना की तबियत आज ठीक नही है ।तुम फोन करके उसका हाल चाल पूछ लेना।बेचारी को सारा दिन काम से फुर्सत नही मिलती।कितना काम करती है ना।ऊपर से घर मे बजुर्ग सास ससुर। कितना थक जाती है बेचारी। संजना … Read more

लिट्टी की नियति – वीणा

आज पार्वती बहुत खुश थी , दिल्ली जो जाना था उसे । बेटे मनोहर ने टिकट कटवा दिया था दिल्ली आने का । कहा था– माँ , मैं डेरा ले लिया हूँ , पर छुट्टी नहीं मिल रही मुझे । रमेसर चचा के साथ तुम गाड़ी से आ जाना , मैं स्टेशन आ जाऊँगा लिवाने … Read more

प्रायश्चित पूरा हुआ – संगीता अग्रवाल

कितने अरमानों से महेश के माता पिता उसे बहु बनाकर लाए थे अपने इकलौते बेटे के लिए पर उसने उनके घर को ही तोड़ना चाहा। कितना प्यार करते थे सभी पर उसे तो सास ससुर के जिम्मेदारी बोझ लगती थी।  ” महेश मुझसे नही होती तुम्हारे मां बाप की सेवा मुझे आजादी चाहिए तुम कही … Read more

माँ की ममता – गोविन्द गुप्ता

सुनीता एक बहुत ही सीधी सादी लड़की थी ,विवाह योग्य होने पर माता पिता ने राजकुमार नामक लड़के से विवाह तय कर दिया जो अपने माता पिता का इकलोता लड़का था, शादी धूमधाम से हुई और कुछ वर्ष बाद एक लड़के का जन्म हुआ , खूब खुशी मनाई गई लड़का धीरे धीरे बड़ा होने लगा … Read more

अहसास … – सीमा वर्मा

मालती मात्र १७  की थी जब उसका  विवाह सुधीर के साथ सम्पन्न हुआ था ।  उसने जब से सपने देखना शुरू किया  था तभी से सोंचना भी उसका मन भी फूलों जैसा महका था सुधीर के साथ। यह उम्र ही होती है जब आप रंगीन और रूमानी दुनिया में रहते हैं ।  जिंदगी सतरंगी लगती … Read more

इडली वाली: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

क्या यार, कैसी लड़की है ए? ना ढंग के कपड़े पहनती है, ना ढंग से सजती सँवरती है, शरीर देखो उसका? कैसे अदरक जैसा जहाँ तहाँ से शरीर निकल रहा है। उसकी आँखें तो देखो, कितनी कजरारी और बड़ी हैं। अगर सही से सजे-धजे और शरीर का वजन घटा ले तो हमारे क्लास की लड़कियों … Read more

error: Content is Copyright protected !!