माँ की ममता – गोविन्द गुप्ता

सुनीता एक बहुत ही सीधी सादी लड़की थी ,विवाह योग्य होने पर माता पिता ने राजकुमार नामक लड़के से विवाह तय कर दिया जो अपने माता पिता का इकलोता लड़का था,

शादी धूमधाम से हुई और कुछ वर्ष बाद एक लड़के का जन्म हुआ ,

खूब खुशी मनाई गई लड़का धीरे धीरे बड़ा होने लगा इधर समय के साथ राजकुमार और सुनीता के माता पिता भी दुनियां में नही रहे,

अमित नाम था लड़के का ,

धीरे धीरे बीस वर्ष का हो गया स्कूल ने टॉपर था,

हाईस्कूल का रिजल्ट निकला तो फिर टॉप आया दोस्तो ने पार्टी रख्खी,

पार्टी शहर से दूर एक जंगली एरिया में थी,

एक आलीशान कोठी थी जंगल मे,

माता पिता को घर मे प्रणाम करने के बाद शाम को सभी के साथ पार्टी की फिर यह बताकर की रमन ने पार्टी दी है तो हम इंज्वाय करेंगे,


सुनीता व राजकुमार ने सोंचा चलो कभी कभी इंज्वाय करने भी दो रात दिन तो पढ़ता ही है,

कोठी में पहुंचते ही तेज म्यूजिक व मेज पर शराब की कुछ बोतल थी,

अमित ने कहा यह क्या म्यूजिक तो ठीक थी पर यह क्या शराब क्यो ,

तो रमन बोला यार एक दिन की ही तो बात है कौन सा पहाड़ टूटने बाला है,

सुवह जब घर जाएंगे तो नशा उतर जायेगा,

अमित काफी मनमनोउवल के बाद राजी हो गया ,

रमन बोला एक गिफ्ट तुम्हे रात में मिलेगा मना मत करना एक दिन की ही तो बात है ,

यह दिन कौन रोज आने बाला,

पांच दोस्त थे सभी ने पैग लगाये सिगरेट जलाई और झूमकर नाचे फिर थक गये तो अपने अपने रुम में चले गये,

अमित जैसे ही रूम में पहुंचा कुछ लड़खड़ाया तो किसी की कोमल बांहों ने थाम लिया बहुत सुंदर था वह स्पर्श,


इसके बाद क्या हुआ अमित को न पता चला और सुवह उठा तो देखा वह खूबसूरत नव यौवना तैयार होकर जाने वाली थी,

अमित ने रोक लिया कौन हो तुम इतनी खूबसूरत हो फिर भी यह गंदा काम करती हो,

वत्सला नाम था उसका पलट कर बोली हम लोगो को कौन प्यार करेगा हमारी जिंदगी तो यही बनने बाली है,

आज पहली बार आपके साथ थी,

कल कोई फिर कोई,

अमित ने उसे हाँथ पकड़कर बिठा लिया और कोई न यदि हमने आपके जीवन से खेला है तो हम आपको प्यार करेंगे शादी भी करेंगे,

वत्सला ने कहा तुम्हारे माता पिता नही तैयार होँगे,

अमित ने कहा एक वर्ष बाद हम बालिग हो जाएंगे फिर तुम्हे कानून के रास्ते अपना बना लेंगे कोई बाधा नही होगी,

एक वर्ष हम इसी तरह मिलते रहेंगे,

अमित वत्सला के ख़्वावो में ही खोया रहता झूँठ बोलकर घर मे घुमाने ले जाता खूब पैसा खर्च करता,

यहां तक कि फीस भी,

नशे की लत भी लग गई थी ,

रिजल्ट आया तो क्लास में सबसे अंतिम नम्वर पर था,


एक दिन अचानक राजकुमार की डेथ हो गई ,

औऱ सुनीता अकेली रह गई,

कुछ तवियत भी ठीक नही रहती थी,

एक दिन अमित ने वत्सला से कहा कि हम अब बालिग है किसी दिन कोर्ट में शादी कर लेंगे,

वत्सला कहने लगी अमित तुम हंमे ज्यादा प्यार करते हो या माँ को,

अमित ने कहा माँ को,

तो वत्सला नाराज हो गई,

अमित मुस्कराने लगा कहा अरे झूठ बोल रहा था,

तुम्हे बहुत चाहता हूं ,तुम्हारे लिये खुद की जान दे सकता हूँ,

और किसी की ले भी सकता हूँ,

वत्सला बोल उठी तो सबसे पहले अपनी माँ की जान लेनी होगी क्योकि मैं अकेले ही रहना चाहती हूं सिर्फ हम और तुम,

अमित का सर चकरा गया और कहा हम यह नही कर सकते हम माँ को बहुत प्यार करते है,

वत्सला ने कहा शादी तभी होगी जब आप यह काम करोगे,

एक दिन अमित ने खूब शराब पी और माँ की मुंह पर तकिया रखकर उनकी जान ले ली,

और वत्सला को बताने गया कि चलो देख लो तुम्हारे प्यार में हमने माँ की जान ले ली,

ओह वत्सला चीख उठी,

क्या क्या तूने मैं तो तेरे प्यार की परीक्षा ले रही थी,

की माँ के कारण तू हंमे छोड़ देगा क्योकि मेरा तो पेशा यही है जो तुमसे छिपकर हमेशा करती रही ,

हम लोग यदि शादी करने लगे तो कोठे खाली हो जाएंगे और तेरे जैसे अमीरजादे हमारी कोठी की शान कैसे बनेंगे,


ओह इतना बड़ा धोखा मेरे साथ,

न पढ़ सका, न माँ का हुआ,

न प्यार मिला,

इस दुनियां में मेरा कौन है,

वत्सला हंस रही थी और एक लड़के का हाँथ पकड़कर कोठी में ले जा रही थी,

अमित घर आया और माँ की लाश को लेकर थाने पहुंचा और खुद का गुनाह कबूल लिया,

जेल जाते वक्त वही कोठी की रंगीन शाम ओर वह दोस्त याद आ रहे थे,

जिन्होंने यह षड्यंत्र रचा था वह सभी अमित की सफलताओं से जलने बाले लोग थे जिन्हें अमित दोस्त समझता था,

उन्हें लगता था कि अमित इसी तरह टॉप करता रहा तो वह लोग कभी टॉप नही आएंगे,

और यह खेल खेला जो अमित के आजीवन कारावास के साथ समाप्त हुआ

सबक,

बच्चो पर विशेष निगाह रख्खे उन की हर गतिबिधि पर नजर रख्खे,,

लेखक

गोविन्द

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