हमारी “बेटियां” क्या “बेटों” से कम होती हैं..?” –  पूनम गुप्ता

सविता जी बेटा पाने की चाह में पांच बेटियों की मां बन जाती हैं..फिर भी बेटा एक भी नहीं होता” इस बात से हमेशा उदास और परेशान सी रहने लगती! यहां तक की उनके आस -पड़ोस के लोग उनके परिवार वाले भी उन्हें ताना देने शुरू कर देते हैं !! बेचारी सविता और उसके पति … Read more

विरोध से उन्मुक्त तक – अभिलाषा कक्कड़

विरोध और समर्थन के बीच जब द्वन्द्व होता है ,तो अक्सर विषय प्रश्नों के घेरे में आ जाता है । जो परिणाम निकल कर आते हैं वो सदा याद रहते हैं क्योंकि अथक प्रयासों से निकल कर आते हैं । जीवन में ऐसे अनुभव आने वाले समय में कुछ मन की उलझनों को सुलझाने में … Read more

आलू टमाटर की सब्ज़ी – कल्पना मिश्रा

आज बाबूजी की तेरहवीं है। नाते-रिश्तेदार इकट्ठे हो रहे हैं पर उनकी बातचीत, हँसी मज़ाक देख-सुनकर उसका मन उद्दिग्न हो रहा है..”कोई किसी के दुख में भी कैसे हँसी मज़ाक कर सकता है? पर किससे कहे,किसे मना करे” इसीलिये वह बाबूजी की तस्वीर के सामने जाकर आँख बंद करके चुपचाप बैठ गई। अभी बीस दिन … Read more

जब विरोध करना सिखाया ही नहीं गया तो विरोध कैसे करूं,,,,, बेटी  – मंजू तिवारी

मैं आप के गर्भ में आई  आपको पुत्र मोह था आपने मुझे मरवा दिया तब तो मैं विरोध कर भी नहीं सकती थी मैं एक बेटी हूं बचपन से ही मुझे  पालने के लिए सदैव समाज के परिवार के दोहरे मापदंड रहे,,,,, जब पैदा हुई तो मुझे बोझ समझा गया कभी भी शरीर को मजबूत … Read more

” कहीं घूमने चलें राधिका ? ” – सीमा वर्मा

 “क्या सोचा है आपने इस बार राधिका  ? “  — ” किस बारे में सुधीर,  मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है “ सुबह से ही घर की देखभाल में व्यस्त राधिका कराहती हुई बोली। यों इस घर में  काम करने वाले ‘ हेल्परों ‘  की कमी नहीं है पर सभी हेल्पर अपने -अपने काम … Read more

अवरोध – संजय मृदुल

ये क्या है मम्मी। कुछ भी पोस्ट कर देती हो फेसबुक पर। कोई शर्म लिहाज है या नही, शादी के इतने साल बाद अब किसीकी कमी फील हो रही है। आप न बन्द करो अपना अकॉउंट। जब देखो कुछ न कुछ ऊलजुलूल पोस्ट करती रहती हो। मेरे फ्रेंड्स जानने वाले क्या सोचते होंगे। बेटा फोन … Read more

सांवला रंग – भगवती सक्सेना गौड़

दरवाजे पर कॉल बेल बज रही थी, जाकर रीना ने जल्दी से दरवाजा खोला।  सामने महिमा पुलिस की वर्दी पहने खड़ी थी, आई.पी.एस का बैच लगाए। आज उसको पहली बार वर्दी मे उंसकी आँखे भर आयी। रीना ने खुश होकर कहा, “वाह, तुम्हे यूँ देखकर मैं प्रसन्न हो गयी, सरप्राइज विजिट, घर मे सब ठीक … Read more

“तिरस्कृत कब तक” – कुमुद मोहन

सुरेशबाबू घर में घुसे तो बहुत खुश थे” बहुत खुश नज़र आ रहे हो क्या कोई लॉटरी निकल आई है” कहकर किचन से हाथ पोंछते हुए मीता बाहर निकली! “अरे भाई लॉटरी ही समझो वो पूना से मन्नो जीज्जी का फोन आया उनके जेठ का लड़का अमेरिका में बड़ी कंपनी में काम करता है उसकी … Read more

अपनों के बीच – ‌ऋतु गुप्ता

शांता के पति श्यामलाल उसे समझाते हुए कहते हैं, कितनी बार कहा है शांता तुम्हे कि बहू के आगे पीछे मत घूमा करो, उसे काम संभालने में दिक्कत होती है,मुझे भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता जब बहू तुम्हें नकारते हुए मना करती है।  अब अपना मन मोह माया से हटाकर प्रभु सुमिरन में लगाओ, क्यों … Read more

अब इससे ज्यादा करने की सामर्थ नहीं है मुझमें – किरन विश्वकर्मा

आभा घर के काम जल्दी-जल्दी निपटा रही थी……आज कपड़े धोने की मशीन भी लगाई थी तो उसमें ही काफी समय लग गया था और स्कूल से बच्चों के आने का समय हो गया था और उसे बच्चों के खाने के लिए खाना भी बनाना था…. कि तभी सासू मां का फोन आया और कुछ सामान … Read more

error: Content is Copyright protected !!