बदलते रिश्ते (भाग-15) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

“अब तोह भईया आप उर्मि से जितनी भी बात करो, कोई नहीं रोकेगा ” । भईया मेरे कान खींच कर बोले,“अपने प्रोफेसर साहाब पर भी ध्यान देले” । और हम दोनों हंसने लगे । कमरे में आकर मैंने सर को फ़ोन लगाया, इतने दिनों से ढंग से बात भी नहीं हो पाई थी, उनको यहां … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-14) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

मम्मी भी भईया और मुझसे उखड़ी उखड़ी थी ।  जोह कुछ हद तक तोह उनकी तरफ से जायज भी था। मम्मी अपने कमरे में चले गए, रह गए भईया और मैं। भईया और मैं उनके कमरे में आ गए। अनिरुद्ध भईया जोह इतने समय से अपनी भड़ास दबा कर बैठे थे गुस्से में बोलने लगे, … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-13) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

मैंने कहा “हाँ जी आंटी” फिर आंटी बोले “उर्मि तोह नही है बेटा “ तोह मैंने बोला,”कोई बात नही आंटी जी मैडम कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गई है आजकल, आप बताओ, आप कैसे हो?अंकल जी कैसे हैं?” आंटी बोली, “बेटा सब बढ़िया है तुम बैठो, चाय बना के लाती हूँ “ । कोई और … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-12) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

“लगता है कम से कम तेरे मामले में तोह पापा मम्मी मान ही जाएंगे, मुझे भी तेरी पसंद बहुत पसन्द आई” मैं बोली, “भईया सिर्फ मुझ अकेली कि नहीं उनको हम दोनों की पसन्द को ही स्वीकार करना होगा”। भईया बोले,  हाँ आज रात को बात करते है पापा मम्मी से। तब तक तु भी … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-11) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

घर पहुँचे तोह मम्मी आँगन में ही मिल गई, पापा भी बस हमारा इन्तजार ही कर रहे थे, मैं मम्मी पापा से गले मिली। पापा भईया साथ में ही ऑफिस के लिए निकल गए।  पापा बोले, “तपु शाम को मिलतें हैं खूब सारी बातें करेंगे”। सर को मैंने मेरे सकुशल पहुँचने का सन्देश भेज दिया।  … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-10) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

अंधेरा होने को था सर ने मुझे हॉस्टल के बाहर छोड़ा कल फिर मिलनें के वायदे के साथ।  उसके बाद तोह छुट्टी में घर जाना ही था तोह हम साथ में थोड़ा समय बिताना चाह रहे थे ।  सर ने अगले दिन की छुट्टी ले ली थी। हॉस्टल पहुँच कर मेरी दोस्तों ने मुझे छेड़ना … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-9) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

मैं हंसते हुऐ बोली “कुछ भी बोलती है”। पर मन ही मन मैं भी सोच रही थी ‘क्या कुछ खिचड़ी पकेगी हमारे बीच’  या बस एक तरफा प्यार ही रह जाएगा? दिन निकलते जा रहे थे,  इम्तिहान के दिन भी आ गए। सब प्रोफेसरों ने हमें पेपरों से पहले  शुभकामनायें और परिक्षा में अच्छा करने … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-8) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

मेरी और अनिरुद्ध भईया की जिन्दगी के कुछ अहम फैसले, अगले कुछ महीनों में होने वाले थे ।  जिसका जहाँ इंतजार भी था तोह कहीं ना कहीं डर। मुझे तोह अभी तक यह भी नहीं पता था, जिनके अहसास से दिल ने धड़कना शुरू कर दिया था, उनके दिल में मेरी कोई जगह थी भी … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-7) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

घर आकर मैं उसे सीधे अपने कमरे में ले गई। मैंने उसको बिठाया और बोलना शुरू किया, “कल की बात को कब तक दिल से लगा कर रखेगी? जिसमें तेरा कोई कसूर नहीं शरम तोह उनको आनी चाहिए, बस सब भूल जा”। उर्मि रोने लगी वोह बोली  “तपु मुझे ध्यान रखना चाहिये था। मैं मस्ती … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-6) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

दोनों के बीच ऐसे कोई प्यार वाली भावना ही नहीं है। आजकल तोह मुझे वैसे ही अपनी बुद्धि पर बहुत आशंका होने लगी थी। अगले दिन सुबह  नाश्ता करके मैं और भईया तैयार हो गए थे,  भईया ने सफेद कुर्ता उसके साथ पुरानी नीली जीन्स और मैंने सफेद रंग की कुर्ती और सलवार पहना था। … Read more

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