मोह मोह के धागे – विनोद सिन्हा “सुदामा”
सुनो….जरा इधर आना सुई में धागा डाल दो जरा….तुम्हारे कुर्ते की जेब सिल दूँ, आगे की एक बटन भी टूटी है उसे भी टाँकनी है , ओहहहह…बिन चश्मे कुछ दिखाई नहीं देती अब तो… राधिका जी ने अपने पति मोहन जो दूसरे कमरे में पेपर पढ़ रहे थे….उन्हें आवाज लगाई….. आता हूँ…बस जरा सा रह … Read more