सालगिरह-प्रीति आनंद अस्थाना

जल्दी-जल्दी अपना काम निपटाकर जॉन ऑफिस से बाहर निकला। आज उसकी एनीवर्सरी थी। उसका टीना से वादा था कि आज का दिन वह सदा उसके साथ बिताएगा। पर सुबह सुबह बॉस का फ़ोन आ गया था, कुछ ज़रूरी फाइल्स निपटानी थी कल के प्रेजेंटेशन के लिए। फूलवाले से उसने लाल गुलाब खरीदे, टीना के पसन्दीदा … Read more

सिल्क की साड़ी-संजय सहरिया

“तू मद्रासी बीबी तो ले आया है पर उसे अच्छे से समझा देना कि रीति रिवाज, पूजा पाठ, पहनावा सब उसे हमारे तरीको से ही करना पड़ेगा.” सुखदीप कौर ने पुत्र अंगद को पास बैठाते हुए कहा तो अंगद मां की बात पर मुस्कुराहट भरी हांमी देकर रह गया. “तुम बेफिक्र रहो मम्मा मैं  बेला … Read more

“काश, बिटिया के मन को पढ़ पाते….-सुधा जैन

अनुराधा को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उसकी परिचिता सुनंदा की बिटिया ने आत्महत्या कर ली… ऐसा क्या हो गया ?जो शादी के 15 वर्ष बाद उसने ऐसा कदम उठाया। यह प्रश्न उसे बहुत विचलित कर रहा है ।आराधना को पूरी बात पता है कि कैसे आज से 15 वर्ष पूर्व सुनंदा की प्यारी … Read more

“बातों ही बातों में” – ऋतु गुप्ता

अले अले बाबा ! ये आप अभी क्या कर रहे हो, ये जूठी जामुन की गुठली मिट्टीं में क्यूं दबा रहे हो, नन्हे से चुन्नू ने अपनी तोतली जुबान में अपने बाबा से जब ये बात पूछी तो बाबा खिलखिला कर हंस पड़े , और जल्दी से अपने पोते को गोद में बैठाते हुए कहा … Read more

“माँ” –  ऋतु अग्रवाल

   वो तड़पती ही रह जाती थी जब कोई अक्सर उसे बाँझ कह देता।शादी के आठ वर्षों बाद भी वो नि:संतान थी। दो-तीन सालों तक तो ध्यान नहीं दिया। पर फिर मन अकुलाने लगा उन नन्हें हाथों की छुअन के लिए जो सहला देते उसके अंतर्मन को। तरस जाते कान उन मीठी किलकारियों के लिए जो … Read more

फिजूलखर्ची – गीतांजलि गुप्ता

सासू माँ ने इस बार के नवरात्रि में हर हाल में ‘माता की चौंकी’ के आयोजन का पूर्ण निश्चय कर लिया। हर बार हम सब किसी न किसी कारण से इस शुभ काम में बाधक बन जाते हैं कभी बच्चों की परीक्षा तो कभी समीर की विदेश यात्रा। सासू माँ के हुक्म का पालन हम … Read more

पश्चाताप – प्रीती सक्सेना

आज आंखो में नींद का नामो निशान नहीं, अजीब सी बेचैनी, उत्तेजना का अनुभव हो रहा है, मन की खुशी बाहर आने को बेकाबू है, पर लोक लाज का भी तो ध्यान रखना है न, तो अपनी खुशी होंठो में ही दबा कर रखी है, कल मेरी शादी है, कल मैं अपनी ससुराल जाने वाली … Read more

ख़ुद से ही लें ख़ुद के लिए प्रेरणा —पूर्ति वैभव खरे

    ऐसा कौन सा व्यक्ति है ? ‘जो जीवन में निराशावादी होना चाहता है’ शायद कोई नहीं; निराशा, उदासी,मायूसी या हार किसी को रास नहीं आती,फिर भी ये जीवन में मिलती अवश्य है, इनके बिना जीवन कहाँ चलता है? ऐसा कोई न होगा जो कभी पराजय की गली से न गुजरा हो।      जिस तरह जन्म-मरण अक्षरशः … Read more

फिर कब मिलोगे भाग-2 – रीमा ठाकुर

भैया ”  छोटे, तू “ तू तो दस वाली गाडी से आने वाला था!  भैया, छोटा भाई मेरी गर्दन पकडकर झूल गया!  मैने उसे बाहों में जकड लिया, कुछ चिपचिपा सा लगा “ खून “”” क्या हुआ बता, बाकी सब कहा है!  सब पीछे उखडती सी आवाज में छोटे बोला,  क्या हुआ बेटा, इतनी देर … Read more

मैं हूं ना – प्रीति दाधीच 

बारिश में गरमा गरम अदरक की चाय की खुशबू, भीनी भीनी मिट्टी की खुशबू सा, वो गजब का सुकून है ”मेरा बड़ा भाई”।।    कहते है की जब परेशानी हो तो मां का आंचल याद आता है और मुझे भाई का सिर पर रखा हाथ याद आता है।।   एक भरोसा , एक सुकून ” … Read more

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