सोनाझुरी और कबीगुरु (भाग 5) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

दोपहर के एक बजे। सुमित अपने कमरे में कपड़े बदल रहा था जब किसी ने दरवाजा खटखटाया। यह शौमित था, जो अभी-अभी सोनाझुरी पहुंचा था। अपने पापा से मिलकर उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर आयी। तभी नमिता कमरे में दाखिल हुई। “बेटा, ये नमिता आंटी है। इन्ही की ज़िद्द के कारण तुम यहाँ आ सके!”- … Read more

सोनाझुरी और कबीगुरु (भाग 4) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

कमरे में लेटा सुमित काफी देर तक अपने बेटे के लड़कपन की यादों में गुम रहा। नमिता की तरफ आज उसे एक अजीब-सा खींचाव महसूस हो रहा था। नमिता की बातें, उसका स्पर्श, उसकी मौजुदगी और सबसे बढ़कर शौमित के प्रति उसका अपनापन- ये सारी बातें उसके हृदय में घर कर चुकी थी। काफी देर … Read more

सोनाझुरी और कबीगुरु (भाग3) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

अपनी नज़रें झुंका और अंगुठे की नाखुन को कुरेद खुद को सहज दिखाने का असफल प्रयास करते हुए सुमित बोला- मेरा एक दस साल का बेटा है और मेरी शादी को ग्यारह वर्ष होने को आये। पर…..!! “पर….क्या सुमित जी? आप बोलते-बोलते रुक क्यूं गए! आपका खिला चेहरा अचानक से यूं मुर्झा क्यूं गया? मुझे … Read more

सोनाझुरी और कबीगुरु (भाग2) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

.काफी देर तक दोनों साथ बैठे रबींद्रसंगीत का आनंद उठाते रहे। फिर थोडी देर इधर-उधर चहलकदमी कर सुमित के साथ नमिता अपनी सहेलियों के बीच आ गई और सभी बातचीत में व्यस्त हो गये। नमिता की सहेलियों ने सुमित को सोनाझुरी का अपना पूरा प्लान बताया और अपने साथ घूमने के लिए आमंत्रित किया। बडी … Read more

सोनाझुरी और कबीगुरु (भाग 1) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“यात्रीगण कृपया ध्यान दे! कोलकाता से आने वाली कबीगुरु एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म संख्या एक पर आ रही है।” उद्घोषणा के साथ प्लेटफॉर्म के किनारे खड़े लोग दूर हटते दिखे और चंद मिनटों बाद पटरियों पर कम्पन के साथ ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर एक पर आकर खड़ी हुई। अभी दोपहर के एक बजे थे और यह शांतिनिकेतन के … Read more

हमनशीं (भाग 9) अंतिम भाग – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…. रफीक़ के अगले कुछ दिन सुहाना की यादों के सहारे ही गुजरे। कितना भी खुद को समझाने की कोशिश करे, पर मन तो मानने को तैयार ही न था। बुझे मन से ऑफिस जाना और वापस आकर अपने कमरे में बंद हो जाना। खाना भी अब वह अपने कमरे में ही मँगा लिया करता। … Read more

हमनशीं (भाग 8) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…..शाम होते ही रफ़ीक़ कार लेकर सुहाना के घर पहुंचता है और सभी को लेकर समारोह में आ जाता है। आज सुहाना अपने परंपरागत लिबास में इतनी फब रही थी कि रफ़ीक़ की आँखें उससे हटने का नाम ही न ले रही थीं। तभी रफ़ीक़ की कानों में धीरे से ख़ुशनूदा कुछ कहकर निकल जाती … Read more

हमनशीं (भाग 7) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…बुझे मन से रफ़ीक़ घर लौटा और बिना किसी से कुछ कहे सीधे अपने कमरे की तरफ चला गया। रफ़ीक़ को घर लौटा देख चिंटू ने आवाज़ दिया। पर रफ़ीक़ न पलटा और अपने कमरे में जाकर भीतर से दरवाजा बंद कर लिया। तभी किसी ने रफीक़ के कमरे का दरवाजा खटखटाया। “देखो, चिंटू मियां। … Read more

हमनशीं (भाग 6) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“एक दिन सुबह। आँखें खुलते ही रफ़ीक़ ने बुझे मन से सुहाना के मोबाइल पर फोन लगाया। इसबार, सुहाना का मोबाइल ऑन था और कॉल जा रहा था । जैसे शरीर को उसकी आत्मा मिल गई हो, बिस्तर पर लेटा हुआ रफीक फुर्ती से उठ बैठा। एक-दो रिंग के बाद सुहाना ने कॉल उठाया।……… ………कहाँ … Read more

हमनशीं (भाग 5) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…इधर कुछ दिनों से सुहाना रफ़ीक़ से अपना सिर भारी रहने की शिकायत किया करती। ट्रेनिंग और घूमने-फिरने के थकान के वजह से होने वाले यह सिरदर्द पहले-पहल तो सुहाना के थोड़ा आराम लेने से खुद ही ठीक हो जाया करता। तभी एक दिन, सुहाना का सिरदर्द इतना असहनीय हो गया कि रफ़ीक़ ने जयपुर … Read more

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