रानी महल की छबि
छबि आज बहुत गुमसुम थी. वह कोराेना का समयकाल था. जब बाहर बारिश हो रही थी और वह अपनी खिड़की पर बैठ कर छबि गीली मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू ले रही थी. और चाय की चुस्कियां लेते हुए छबि को अपने पुराने दिन याद आ गए. उतने में छबि के कमरे में गुलाबो आती … Read more