सरप्राइज – संगीता अग्रवाल Moral Stories in Hindi

“दो पल के गुस्से से प्यार भरे रिश्ते बिखर जाते हैं प्रेरणा अपनी नहीं तो कम से कम अपनी बेटी की सोच!” प्रेरणा की दोस्त स्वाति ने उसे समझाया।

” पर स्वाति उस इंसान को मेरी कद्र नहीं है तो मैं क्यों जबरदस्ती का रिश्ता निभाऊं!” प्रेरणा बोली।

” तू कैसे कह सकती उसे तेरी कद्र नहीं सात साल एक साथ गुजारे हैं तुमने तुम खुद बोलती थी कि अभि का तुम्हारी जिंदगी में आना ईश्वर का तोहफा है!” स्वाति ने कहा ।

” वो मेरी भूल थी स्वाति या ये कहो उस इंसान की चाल थी अच्छा बनने की!” प्रेरणा कड़वाहट से बोली।

” पर उसे क्या मिला तुम्हारी नजर में अच्छा बनकर तब और अब बुरा क्यों बनेगा वो!” स्वाति ने सवाल किया।

” तू मेरी सहेली है या उसकी तबसे उसकी ही साइड लिए जा रही है मैने तुझे अपनी परेशानी कहने को बुलाया और तू अभि के हक में बोल रही !” प्रेरणा तुनक कर बोली।

” नहीं प्रेरणा मैं अभि की साइड नहीं ले रही मैं सिर्फ सही गलत समझा रही हूं …अच्छा ये बता ऐसा क्या हुआ जो तू ये घर छोड़ना चाहती!” स्वाति ने पूछा।

” काफी समय से देख रही हूं अभि उखड़ा रहता है चलो वो भी ठीक पर ना वो मुझे वक़्त दे रहा ना ही बुलबुल( प्रेरणा और अभि की पांच साल की बेटी) को देर से घर आता है पूछो तो गोलमोल जवाब देता है !” प्रेरणा बोली।

” तुमने प्यार से उससे बात की कहीं उसे कोई परेशानी तो नहीं कहीं वो किसी उलझन में तो नहीं !” स्वाति बोली।

” एक दो बार पूछा मैने पर उसने जवाब नहीं दिया मुझे तो लगता है उसका कोई अफेयर है इसलिए उसे घर आना अच्छा नहीं लगता … मैने हर परिस्थिति में उसके साथ रहने का निर्णय लिया पर अब नहीं!” प्रेरणा अभी भी गुस्से में थी।

” हम्म ठीक है जैसा तुझे सही लगे पर मैं फिर भी यही कहूंगी गुस्से से नहीं शांति से ठंडे दिमाग से सोच क्योंकि बुलबुल को भी मां और बाप दोनों की जरूरत है  ..अब मैं चलती हूं फिर आऊंगी!” स्वाति ये बोल चली गई।

प्रेरणा बैठे बैठे अपने अतीत में खो गई … पापा ने अभि की सच्चाई और अच्छाई देखी बस और रिश्ता कर दिया उस वक़्त अभि पर ना तो अपना घर था ना ही कोई बहुत अच्छी जॉब पर प्रेरणा ने उसका साथ दिया अभि के प्यार ने भी बाकी सब कमियों को ढक दिया पर पिछले एक साल से अभि बदल गया पहले तो प्रेरणा को भी लगा उसका प्रमोशन हो गया तो जिम्मेदारी बढ़ गई होंगी पर नहीं ये देर से घर आना , अनमना सा रहना ये सब काम के कारण नहीं जरूर कोई और बात है जो अभि उससे छिपा रहा बस यही सोच आज प्रेरणा का सब्र जवाब दे गया और उसने घर छोड़ने का निर्णय लिया पर स्वाति की बातों ने उसे उलझन में डाल दिया।

” अभि आखिर तुम क्या चाहते हो अगर तुम्हे ये रिश्ता नहीं निभाना तो बेहतर है हम अलग हो जाएं मैने सोच लिया है मैं बुलबुल को ले चली जाऊंगी यहां से !” आज फिर अभि के देर से आने पर प्रेरणा फट पड़ी।

” क्या….. ये क्या बोल रही हो तुम मैने तुम्हे ऐसा क्या कहा जो तुम घर छोड़ने की बात कर रही अलग होने की बात कर रही!” अभि हैरानी से बोला।

” बस अब नहीं अभि अब ये नाटक बन्द करो तुम सब जानते हो मैं ऐसा क्यों कह रही फिर भी पिछले एक साल से मैं सब सह रही पर अब नहीं अरे मेरी तो छोड़ो तुम्हे अपनी बच्ची का भी ख्याल नहीं रात को उसके सोने के बाद आते हो सुबह उठने से पहले चले जाते हो!” प्रेरणा गुस्से में बोली।

” पर प्रेरणा मेरी बात तो सुनो!” अभि प्यार से बोला।

” नहीं सुननी अब कोई बात ना यहां रहना है सुबह होते ही हम चले जाएंगे यहां से !” प्रेरणा ये बोल गुस्से में अपने कमरे में चली गई और दरवाजा बन्द कर लिया।

अभि वहीं सोफे पर लेट गया।

” जा रही हूं मैं !” सुबह प्रेरणा ने अभि को उठाते हुए कहा वो अपना सामान और बुलबुल को साथ लिए हुए थी।

” ठीक है प्रेरणा चली जाना पर सिर्फ एक बार मेरे साथ चलो सिर्फ एक घंटा मुझे दे दो उसके बाद तुम्हारी जो मर्जी मैं नहीं रोकूंगा तुम्हे!” अभि बोला।

” मतलब” प्रेरणा हैरानी से बोली।

” कहीं ले जाना चाहता हूं तुम्हे और तुम ना नहीं करोगी मेरी कसम !” ये बोल अभि ने प्रेरणा का हाथ पकड़ा और बाहर आ गया ।

उसने गाड़ी में बुलबुल को बिठाया आगे की सीट पर प्रेरणा को और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ चल दिया।

” कहां जा रहे है हम अभि कुछ बताओगे !” प्रेरणा गुस्से में बोली।

” थोड़ी देर शांत रहो और ये पट्टी बांध लो आंख पर!” अभि प्यार से बोला।

” क्या … क्या करने वाले हो तुम!” प्रेरणा संशय से बोली।

” प्लीज़ प्रेरणा एक बार मुझपे विश्वास कर लो और ये पट्टी बांध लो एक घंटे बाद मैं खुद तुम्हे छोड़ दूंगा जहां तुम जाना चाहती प्रोमिस !” अभि ने कहा ।

प्रेरणा ने पट्टी बांध ली… ठीक 30 मिनट बाद अभि ने गाड़ी रोकी और प्रेरणा और बुलबुल का हाथ पकड़ लेके चला।

” हैप्पी बर्थडे टू यू प्रेरणा !” अचानक कुछ आवाज़ें प्रेरणा के कानों में पड़ी तब उसे याद आया आज तो उसका जन्मदिन है।

अभि ने उसकी आंखों से पट्टी हटाई । प्रेरणा ने खुद को एक घर में पाया जो ज्यादा बड़ा तो नहीं पर बिल्कुल वैसा था जैसे घर के सपने उसने और अभि ने मिलकर देखे थे। वहीं पर प्रेरणा की सहेली स्वाति प्रेरणा के मम्मी पापा और भाई भी था।

” अभि ये !” प्रेरणा ने हैरानी से अभि की तरफ देखा जो मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

” ये तुम्हारे जन्मदिन का तोहफा !” अभि ने कहा ।

” क्या……!” प्रेरणा की आंखे आश्चर्य से फटी रह गई।

” जन्मदिन और अपने खुद के घर की ढेरों शुभकामनाएं प्रेरणा!” स्वाति ने प्रेरणा को गले लगा कर कहा।

” मुबारक हो बेटा!” प्रेरणा के मम्मी पापा ने कहा।

” अभि ये सब !” प्रेरणा सबको नजरंदाज कर अभि से बोली।

” ये वजह है मेरी एक साल से तुम्हे समय ना देने की पिछले जन्मदिन पर तुम्हारे खुद से वादा किया था खुद से अगला जन्मदिन तुम्हारे खुद के घर में मनाऊंगा …. जानता हूं इसके लिए मैने तुम्हे दुख दिया पर तुम्हे सरप्राइज देना था घर खरीदना आसान नहीं तो ओवर टाइम कर रहा था क्योंकि वक़्त कम था मेरे पास , अपने परिवार से दूर इसलिए था जिससे परिवार को खुशियां दे सकूं जानता हूं इसके लिए तुम्हारा दिल दुखाया है उसके लिए माफ़ कर दो!” अभि बोला।

” पर तुम मुझे बता भी तो सकते थे ना!” प्रेरणा बोली।

” बता देता तो क्या तुम मुझे ओवरटाइम करने देती और फिर मुझे ये हैरानी जो इस वक़्त तुम्हारे चेहरे पर है ये देखने मिलती क्या ?  माना मेरा तरीका थोड़ा गलत हो सकता है पर मेरा प्यार गलत नहीं ना तुम्हारे लिए ना अपनी बेटी के लिए !” अभि हंसते हुए बोला।

” ओह अभि !” प्रेरणा अभि के गले लग गई सभी लोग तालियां बजाने लगे क्योंकि स्वाति ने प्रेरणा के घर में सबको बता दिया था प्रेरणा के दिमाग में क्या चल रहा है

 और रात को अभि सबको फोन कर सब व्यवस्था कर यहां की घर गया था।

” हां तो मेरा एक घंटा पूरा हुआ अब बताओ तुम्हे कहां छोड़ना है !” अभि शरारत से बोला।

प्रेरणा फिर से अभि के सीने से लिपट गई। अभि उसे हटा केक लेने अंदर चला गया।

” स्वाति बहुत शुक्रिया मुझे कल इतने अच्छे से समझाने के लिए वरना में कल ही घर छोड़ देती तुमने सच कहा था दो पल के गुस्से से प्यार भरे रिश्ते बिखर जाते है!” प्रेरणा स्वाति के गले लगते हुए बोली।

प्रेरणा के माता पिता इतना अच्छा दामाद पा आज खुद की पसंद पर गर्व महसूस कर रहे थे वहीं प्रेरणा अभि का इतना प्यार देख अपने आप पर शर्मिंदा थी कि नाहक अभि पर शक किया।

दोस्तों जो हमे दिखाई दे रहा जरूरी नहीं वहीं सच हो गुस्सा किसी बात का हल नहीं इससे सिर्फ बात बिगड़ती है और रिश्ते भी।

कैसी लगी आपको ये प्यारी सी कहानी बताइएगा जरूर आपके कमेंट का इंतजार रहेगा।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है

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