शुभ -विवाह – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

विवाह एक ऐसा  पवित्र बंधन है, जिसमें अगर पति-पत्नी आपस में प्रेम और समझदारी से रहें ,एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें,तो उनकी जिंदगी में कुछ भी नामुमकिन नहीं रहता है।खुशियाॅं उनके दरवाजे पर सर झुकाए खड़ी रहती हैं। प्रस्तुत कहानी सच्ची घटना से प्रेरित एक लड़की राम्या की कहानी है।

राम्या  एक छोटे से गाॅंव में अपने माता-पिता और चार भाई-बहन के साथ रहती है।उसका रंग जरूर साॅंवला  था, परन्तु उसकी बड़ी-बड़ी बोलती ऑंखें,मासूम चेहरा ,घने काले लम्बे बाल उसके आकर्षण में  चार चाॅंद लगाते। उसके पिता की आर्थिक स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं थी, फिर भी यथासंभव वे बच्चों का  भरण-पोषण  कर रहे थे।

राम्या की नौवीं कक्षा की परीक्षा खत्म हो गई।शाम के समय राम्या अपनी सहेलियों के साथ नदी किनारे टहल रही है। शाम के समय सूर्य की सुरमई किरणें राम्या के साॅंवले-सलोने मुखरे को अपनी आभा से प्रदीप्त कर रही थी।

गाॅंव का हरियाली भरा सुरम्य वातावरण,घर लौटने को आतुर पशु-पक्षी, अस्ताचलगामी सूर्य की मनोहर छटा देखते -देखते अचानक से राम्या को घर लौटने की याद आ जाती है।वह सहेलियों के साथ उछलते -कूदते घर वापस आ जाती है।उसे देखकर उसकी माॅं कहती हैं -” बेटी!अब तुम बड़ी हो गई हो। तुम्हें इस प्रकार उछलना-कूदना शोभा नहीं देता है!”

एक अनजान रिश्ता  – डॉ. सुनील शर्मा

राम्या झट से माॅं के गले में दोनों हाथ डालकर झूल जाती है।बगल में बैठे उसके पिता स्नेह भरी दृष्टि से माॅं -बेटी के प्यार -मनुहार को देखते हैं।

राम्या के माता-पिता अब उसकी शादी के लिए चिंतित रहते हैं।उनके समाज में अभी भी कम उम्र में लड़कियों की शादी आम बात है। संयोगवश एक पुलिस में नौकरी करनेवाले लड़का रमण  का रिश्ता राम्या के लिए आया।

लड़का उससे दस साल बड़ा था। सरकारी नौकरी के कारण उसके पिता ने उसके साथ राम्या की शादी तय कर दी।समाज के नियमानुसार राम्या ने शादी के लिए कोई विरोध नहीं किया। साधारण परिवार और ग्रामीण परिवेश में पलने के कारण राम्या के मन में न कोई ऊॅंचे ख्वाब थे और न ही कोई सपना ही।बस माता-पिता की खुशी ही उसकी खुशी थी।

राम्या के शुभ -विवाह का मुहुर्त्त तय हो चुका था। विवाह के दिन राम्या काफी खुश थी।उसने बड़े उत्साह से चेहरे पर हल्दी लगवाई और हाथों में  पति नाम की मेंहदी।

शुभ घड़ी में रमण के साथ धूम-धाम से उसका शुभ-विवाह हो गया।वह रमण की दुल्हन बनकर ससुराल आ गई। आरंभ में तो उसे ससुराल में बंधन महसूस होता, परन्तु सास-ससुर और पति का प्यार पाकर उसे पिया का घर प्यारा लगने लगा। राम्या को पति रमण में कभी अभिभावक का रुप नजर आता,तो कभी प्रेम रस से सराबोर पति ।

रमण कभी-कभी राम्या के कमसिन,मासूम चेहरे को देखकर आत्मग्लानि से भर उठता।उसे महसूस होता कि इतनी कम उम्र की लड़की से शादी कर उसने उसके साथ अन्याय किया हो।रमण था तो पुलिस वाला, परन्तु वह बहुत  ही सहृदय और  कोमल  स्वभाव का था।

वह राम्या की भावनाओं के प्रति सदा संवेदनशील रहता। सास-ससुर के मधुर व्यवहार और रमण की बेपनाह मुहब्बत से राम्या की जिंदगी सुवासित थी। कभी-कभी राम्या के मन में पढ़ाई छूटने की टीस अवश्य उठती थी,जिसे वह मन में ही दबा लेती थी। राम्या की जिंदगी हॅंसी-खुशी बीत रही थी।

अनोखा रिश्ता – मंगला श्रीवास्तव

राम्या की शादी को तीन वर्ष बीत चुके थे।इस बीच वह एक बच्चे की माॅं भी बन चुकी थी, परन्तु कम उम्र में माॅं बनने के कारण उसकी मातृत्व अधूरी ही रह गई। बच्चे ने जन्म के साथ ही दम तोड़ दिया।अब अचानक से  राम्या की हॅंसती-खेलती जिंदगी में मायूसी-सी छा गई।उसका जीवन नीरस और बेरंग हो उठा।

उसके सास-ससुर भी उसके दुख से व्यथित थे। राम्या के चेहरे पर मौन, अव्यक्त पीड़ा को देखकर रमण भी दुखित रहता था।रमण पत्नी की मन: स्थिति भली-भाॅंति समझता था।वह हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करता। धीरे-धीरे राम्या अपने दुख भूलने की कोशिश करने लगी।कुछ दिनों बाद पन्द्रह अगस्त आनेवाला था,इस कारण रमण रोज परेड रिहर्सल में जाता था।

परेड रिहर्सल में जाते समय राम्या अपने हाथों से रमण को वर्दी देती। वर्दी देते समय राम्या एक-दो बार वर्दी को बड़े प्यार से सहलाती, फिर रमण को देती।रमण राम्या का वर्दी प्रेम देखकर मन-ही-मन अभिभूत हो उठता।

गाॅंव की भोली-भाली राम्या को बाहरी दुनियाॅं की बहुत कम जानकारी थी।कम उम्र में विवाह और ग्रामीण पृष्ठभूमि होने के कारण उसे निखरने का मौका ही नहीं मिला था।शहर में आकर अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण पति से प्रत्येक चीजों के बारे में पूछती।रमण भी बड़े प्यार से उसके मासूम सवालों के जबाव देता।एक दिन जिज्ञासावश राम्या ने पति से कहा -“रमण! मुझे पन्द्रह अगस्त की परेड देखने की दिली इच्छा है!”

सहर्ष तैयार होते हुए रमण ने कहा -“राम्या! बहुत अच्छी बात है।कल मेरे साथ पन्द्रह अगस्त की झाॅंकी देखने चलना। तुम्हारे बैठने की व्यवस्था कर दूॅंगा।”

अगले दिन राम्या रमण के साथ पन्द्रह अगस्त की परेड देखने पहुॅंच गई। राम्या के लिए वहाॅं का समारोह देखना अद्भुत दृश्य था। समारोह में बड़े -बड़े लोगों का शामिल होना, स्वतंत्रता सेनानियों को सलामी देना, तिरंगा फहराने के साथ ही खड़े होकर राष्ट्र गान गाना इत्यादि दृश्य उसके रोम-रोम में रोमांच के संचार कर रहे थे।

एक रिश्ता – के कामेश्वरी

इन दृश्यों को देखकर वह अभिभूत थी।ये पल उसकी जिंदगी के अद्भुत पल थे।उसे महसूस हो रहा था कि अबतक तो उसकी जिंदगी कुऍं के मेंढ़क के समान थी।आज उसे जिन्दगी के नए रूप के दर्शन हुए हैं।समारोह से लौटते हुए राम्या ने रमण से पूछा -” कम उम्र की महिला,जो पुलिस ड्रेस में थी,उसे बड़ी उम्र के अधिकारी भी क्यों सलामी दे रहे थे?”

रमण -“राम्या! वह महिला आई पी एस अधिकारी थी,इसी कारण सभी उसे सलाम कर रहे थे!”

पति की बातें सुनकर अचानक से राम्या के दिल में पढ़ने के सोये हुए अरमान जाग उठे। उसने पति से कहा -“रमण! मैं भी आई पी एस अधिकारी बनूॅंगी!”

रमण ने उसका माखौल उड़ाने की बजाय  उसे समझाते हुए कहा-“राम्या!तुम केवल नवीं ही पास हो।इसके लिए तुम्हें बहुत पढ़ाई करनी पड़ेगी।सबसे पहले तुम्हें स्नातक की डिग्री लेनी पड़ेगी,उसके बाद  ही तुम यूं पी एस सी की परीक्षा दे सकती हो!”

राम्या के अंतस के पिंजड़े में बंद पढ़ाई की ख्वाहिश जाग्रत हो उठी थी।उसने ऑंखों में चमक लाते हुए कहा -“रमण! मैं पढ़ूॅंगी, बहुत पढ़ूॅंगी!”

पति रमण और उसके सास-ससुर ने उसके पढ़ने की तीव्र इच्छा देखकर उसे पढ़ने की इजाजत दे दी।

अब राम्या की जिंदगी का मकसद बदल चुका था।राम्या जिन इच्छाओं को मृत समझकर भूल बैठी  थी,उन इच्छाओं के जागने पर वह आनंद के सागर में डूबने लगी ।उसकी ऑंखें अर्जुन की भाॅंति अपने लक्ष्य पर केन्द्रित हो गईं। देखते-देखते उसने अपने जुनून से पहले दसवीं, फिर इंटर और स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली।

अब राम्या ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी।रमण को पता था कि इसकी तैयारी के लिए राम्या को बड़े शहर में कोचिंग के लिए भेजना पड़ेगा। राम्या पति की आर्थिक स्थिति के कारण बाहर कोचिंग जाने में आना-कानी कर रही थी, परन्तु रमण राम्या के सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ -संकल्प था।पत्नी की पढ़ाई के प्रति इतने सजग पति बहुत कम ही देखने को मिलते हैं!

दो चेहरा -नीलम सौरभ

राम्या पति को छोड़कर अन्यत्र जाने को तैयार नहीं थी।रमण ने उसे समझाते हुए कहा “-राम्या! तुम पैसों की चिंता मत करो।समझदारी और आपसी सामंजस्य से विषम परिस्थितियों पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है!”

भावुक होकर राम्या पति के गले लग जाती है और पूछती है -“तुम्हें मेरी काबिलियत पर भरोसा है न?तुम कभी मुझ पर शक तो नहीं करोगे?”

रमण उसे प्यार से समझाते हुए कहता है “मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।जहाॅं तक शक की बात है तो विवाह जैसी संस्था की जड़ें इतनी कमजोर नहीं होती हैं कि छोटी-छोटी बातों से उसकी नींव हिल जाऍं! रिश्तों को सींचने के लिए आपसी समझदारी और संवेदनशीलता ही काफी है!”

राम्या ऑंखों में उम्मीदों के सपने लेकर कोचिंग के लिए चेन्नई आ गई।उसने एक प्रतियोगी कामिनी के साथ कमरा शेयर कर लिया। दोनों धीरे-धीरे अच्छी दोस्त बन गईं। दोनों साथ-साथ कोचिंग जातीं और जी-जान से कोचिंग की तैयारी करने लगीं।उसकी दोस्त कामिनी में आधुनिकता और शालीनता का अद्भुत संगम था।

वह बहुत ही स्मार्ट और पढ़ने में बहुत तेज थी। राम्या को कामिनी से बहुत कुछ सीखने-समझने का मौका मिलता।वह राम्या को पढ़ाई में बहुत सहयोग करती थी। कभी-कभी राम्या अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि के कारण हताश और निराश हो जाती।

कामिनी उसे समझाते हुए कहती-“राम्या? ग्रामीण पृष्ठभूमि से कोई अंतर नहीं पड़ता।यू पी एस सी की सफलता सिर्फ जुनून और कड़ी मेहनत से हासिल की जा सकती है।तुम व्यर्थ ही स्वंय को कम समझती हो।तुम गुण और शिक्षा में किसी से कम नहीं हो।बस जरूरत है अपनी काबिलियत को निखारने की!”

कामिनी की बातों से राम्या के दिल में नई ऊर्जा का संचार होने लगता और वह जी-जान से तैयारी में जुट जाती।

एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे

पहले प्रयास में कामिनी और राम्या को असफलता हाथ लगी। राम्या कुछ निराश -सी हो गई, परन्तु कामिनी ने उसका उत्साहवर्धन करते हुए कहा -“राम्या !निराशा की कोई बात नहीं है।हम पिछली गलतियों से सबक लेकर परीक्षा की तैयारी करेंगे।”

कामिनी संपन्न घराने की थी,इस कारण उसे आर्थिक कठिनाइयाॅं नहीं थीं, परन्तु राम्या को अपने पति के खर्च की चिंता होती।उसका पति रमण बीच-बीच में आकर उसको हिम्मत न हारने की दिलासा दे जाता। राम्या का मन पति के प्रति श्रद्धा भाव नत हो जाता।

दूसरे प्रयास में उसकी दोस्त कामिनी को सफलता मिल गई, परन्तु राम्या असफल ही रही।उसकी दोस्त कामिनी ने जाते समय उससे कहा -“राम्या!परीक्षा पास किए बिना तुम हिम्मत मत हारना।तुमने तो सुना ही होगा कि कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती। हौसलों से ही उड़ान होती है, पंखों से नहीं!”

कामिनी की बातें सुनकर राम्या के चेहरे पर मुस्कुराहट और ऑंखों में चमक आ गई।उसके पति ने भी उसके उत्साहवर्धन में कोई कमी नहीं छोड़ी। राम्या पिछली असफलताओं से सबक  लेते हुए दुगुने उत्साह से परीक्षा की तैयारी करने लगी। परन्तु तीसरी बार भी उसे असफलता ही हाथ लगी।इस असफलता से राम्या का परिवार और पति निराश हो उठे।पति रमण ने कहा -” राम्या!अब बहुत हो चुका। तैयारी छोड़कर अब घर वापस आ जाओ।”

 परन्तु तीन बार की असफलता से राम्या निराश नहीं हुई थी। उसमें अभी भी पढ़ने का जुनून और जज्बा बरकरार था।उसने पति से कहा -“रमण!बस एक बार और मैं अंतिम प्रयास करना चाहती हूॅं।”

रमण ने कहा -” ठीक है!जो तुम सही समझो,वहीं करो। पैसों की तुम चिंता मत करना।”

चौथी बार राम्या ने अपनी पिछली गलतियों पर बारीकियों से‌ ध्यान देना आरंभ किया। कहाॅं-कहाॅं उससे चूक हुई,इस विषय पर उसने गहरा मंथन किया।चौथे प्रयास की तैयारी से वह पूर्ण संतुष्ट थी।

उसने इस बार की तैयारी में खुद को झोंक दिया था, परिणामस्वरुप इस बार उसकी परीक्षा संतोषप्रद रही।अगले दिन उसका परिणाम आनेवाला था।उसके दिल में हलचल मची हुई थी।नींद‌ उसकी ऑंखों से कोसों दूर थी।आधी रात बीत चुकी थी। बाहर बारिश हो रही थी। बादलों को चीरकर आती हुई ठंढ़ी हवा ने कब उसे नींद की आगोश में सुला लिया,उसे कुछ पता ही नहीं चला!

अगले दिन चिड़ियों की चहचहाहट और सुनहली स्वर्ण रश्मियों के साथ सूर्योदय हुआ।उस सुबह राम्या की वर्षों की मेहनत रंग लाई।उसने इस बार सफलता प्राप्त कर ली। ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो दोस्तों ।’

राम्या ने उक्त कथन को चरितार्थ कर दिया। राम्या के चारों ओर महकते हुए सुर्ख गुलाब खिल उठे, जिन्हें वह अपनी काबिलियत से दुनियाॅं के समक्ष बिखेर देना चाहती है।वह अपने सपनों को हकीकत में समाज सेवा कर एक नई उड़ान देना चाहती है। शादीशुदा होकर भी पति के सहयोग से उसने अपने सपने को पूरा किया। सचमुच अगर सच्चा प्यार करनेवाला जीवनसाथी मिल जाऍं,तो जिंदगी की सारी बाधाऍं खुद-ब-खुद पार हो जातीं हैं।ऐसे में  कम उम्र में शुभ-विवाह अभिशाप न बनकर वरदान बन जाता है।

उपर्युक्त कहानी सच्ची घटना से प्रेरित है।

समाप्त।

लेखिका -डाॅ संजु झा (स्वरचित)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!